नयी दिल्ली, छह अक्टूबर (भाषा) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अंतरिक्ष मिशन को पांच दशक से अधिक समय तक सहयोग प्रदान करने के बाद, भारत की सबसे बड़ी इंजीनियरिंग कंपनी लार्सन एंड टूब्रो (एलएंडटी) ने अब अंतरराष्ट्रीय बाजार, विशेष रूप से अगले अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर अपनी नजरें टिका दी हैं।
एलएंडटी पहले जेफ बेजोस की ब्लू ओरिजिन के साथ कक्षीय प्रक्षेपण क्षमता और अंतरिक्ष में रहने से जुड़ी सामग्री की आपूर्ति के लिए बातचीत कर रही थी, लेकिन उसमें कुछ समस्या आ गई।
एलएंडटी प्रिसिजन इंजीनियरिंग एंड सिस्टम्स के उपाध्यक्ष विकास खिता ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘अब यह बातचीत नासा के साथ की जा रही है। इसलिए, हमें उम्मीद है कि जब अमेरिका को अपने अगले अंतरिक्ष स्टेशन की आवश्यकता होगी, तो भारतीय कंपनियां आपूर्ति श्रृंखला में भूमिका निभाएंगी।’’
जियोस्पेशियल वर्ल्ड द्वारा आयोजित उद्योग सम्मेलन के अवसर पर खिता ने कहा कि कंपनी स्पेस पोर्ट, स्पेस पार्क और विनिर्माण क्लस्टर के निर्माण में भी रुचि रखती है। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों को 2020 में सरकार द्वारा अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी भागीदारी के लिए खोलने के बाद बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा, ‘‘व्यावसायिक दृष्टि से, हम 2033 तक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के कारोबार में पांच गुना वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं।’’
एलएंडटी, इसरो की हर परियोजना के लिए उपकरणों के उत्पादन में शामिल रही है, जिसमें चंद्रयान, गगनयान और मंगल ऑर्बिटर मिशन शामिल हैं।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड-एलएंडटी कंसोर्टियम पांच ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) का भी निर्माण कर रहा है।
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