नयी दिल्ली, 16 मई (भाषा) पंजाब की लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) तुर्किये एवं अजरबैजान के संस्थानों के साथ सभी समझौता ज्ञापनों (एमओयू) को समाप्त करने वाला एक और शैक्षणिक संस्थान बन गया है।
विश्वविद्यालय ने हालिया भू-राजनीतिक घटनाक्रम का हवाला देते हुए कहा कि यह भारत के राष्ट्रीय हितों के विपरीत है।
यह कदम तुर्किये द्वारा पाकिस्तान का समर्थन करने तथा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी शिविरों पर भारत के हमलों की निंदा करने की पृष्ठभूमि में उठाया गया है।
भारत के साथ सैन्य संघर्ष के दौरान पाकिस्तान ने भी बड़े पैमाने पर तुर्किये के ड्रोन का इस्तेमाल किया था।
जालंधर स्थित एलपीयू, तुर्किये एवं अजरबैजान के संस्थानों के साथ संबंध समाप्त करने वाला भारत का पहला निजी विश्वविद्यालय है।
एलपीयू के चांसलर एवं राज्यसभा सदस्य अशोक कुमार मित्तल ने कहा, ‘‘जब हमारे बहादुर सशस्त्र बल अपनी जान खतरे में डाल रहे हैं – चाहे वह गुप्त अभियान हो, हवाई रक्षा हो या हमारी सीमाओं पर गश्त हो – हम एक संस्थान के रूप में, उदासीन नहीं रह सकते। एलपीयू का मिशन हमेशा भारत की तरक्की और अखंडता के साथ जुड़ा हुआ है और हम कभी भी किसी ऐसे संस्थान से नहीं जुड़ेंगे जो भारत की संप्रभुता को कमजोर करता हो।’’
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), जामिया मिलिया इस्लामिया, मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय (एमएएनयूयू), हैदराबाद और छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू), कानपुर उन संस्थानों में शामिल हैं जिन्होंने दोनों देशों के साथ अपने समझौते निलंबित कर दिए हैं।
भाषा
देवेंद्र रंजन
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