कोलकाता, 22 मई (भाषा) भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेडएसआई) के वैज्ञानिकों ने हाल में लंबी पूंछ वाली फारसी रेगिस्तानी छिपकली (मेसलीना वाटसोनाना) को 150 से अधिक वर्षों के बाद आधिकारिक नाम दिया है।
इस नामकरण के साथ ही दुनिया भर के संग्रहालयों में इस प्रजाति के अलग-अलग नमूनों की मौजूदगी के कारण इसकी खोज के बाद से 153 वर्षों तक बनी रही भ्रांति को अब दूर कर लिया गया है।
इस छिपकली की खोज वैज्ञानिक फर्डिनेंड स्टोलिज्का ने 1872 में की थी, लेकिन उनके द्वारा एकत्र किए गए विभिन्न नमूने कोलकाता, लंदन और वियना के संग्रहालयों में मौजूद हैं।
इससे यह भ्रम पैदा हो गया कि किस विशिष्ट प्रजाति को आधिकारिक तौर पर लेक्टोटाइप कहा जाए या सभी नमूनों (स्पेसीमेन) का प्रतिनिधित्व करने वाला एकमात्र नमूना कहा जाए।
भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के एक प्रवक्ता के मुताबिक जेडएसआई के वैज्ञानिक सुमिध रे और डॉ. प्रत्यूष पी. महापात्रा ने पुराने अभिलेखों का सावधानीपूर्वक अध्ययन किया और प्रजातियों के नामकरण के नियमों का पालन करते हुए कोलकाता की प्रजाति को ‘मेसलीना वाटसोनाना’ के निर्णायक उदाहरण के रूप में चुना।
जेडएसआई की निदेशक धृति बनर्जी ने कहा कि इस नए आधिकारिक नाम से भविष्य में इसी प्रकार की रेगिस्तानी छिपकलियों पर शोध करना बहुत आसान हो जाएगा।
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