तिरुवनंतपुरम, 22 फरवरी (भाषा) केरल विधानसभा में विपक्षी कांग्रेस-नीत यूडीएफ ने हालिया लोकायुक्त अध्यादेश पर चर्चा को लेकर वाम मोर्चा सरकार की कथित अनिच्छा का विरोध करते हुए सदन से बहिर्गमन किया। इस अध्यादेश को लेकर राज्य में राजनीतिक विवाद पैदा हो गया है।
यूडीएफ के सदस्यों ने सदन में शून्यकाल के दौरान अध्यादेश का मुद्दा उठाया। वे सदन की अन्य सभी कार्यवाही को रोक कर इस विषय पर चर्चा कराने की मांग कर रहे थे, लेकिन कानून मंत्री पी राजीव ने उनकी मांगों का यह कहते हुए विरोध किया कि राज्यपाल द्वारा हस्ताक्षरित अध्यादेश पर कार्य स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से सवाल खड़े करना गलत उदाहरण स्थापित करेगा।
राजीव ने 22 साल पहले पारित राज्य लोकायुक्त अधिनियम के कुछ प्रावधानों में संशोधन के लिए अध्यादेश लाने के सरकार के कदम को सही ठहराते हुए कहा कि संशोधन के माध्यम से भ्रष्टाचार-रोधी संस्था की कोई भी शक्ति नहीं छीनी है और एलडीएफ सरकार सदा भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ी रही है।
विपक्ष की ओर से कांग्रेस के सन्नी जोसेफ ने कार्य स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया।
सदन में नेता प्रतिपक्ष वी. डी. सतीशन ने सरकार से यह जानना चाहा कि आखिर विधानसभा सत्र से ठीक पहले उसे अध्यादेश लाने की क्या जरूरत आ गयी थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार जल्दबाजी में अध्यादेश लाई क्योंकि एजेंसी मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के खिलाफ कुछ मामलों पर विचार करने वाली है।
उन्होंने यह भी कहा कि क्या मुख्यमंत्री अपने खिलाफ दर्ज मामलों को लेकर भयभीत हैं।
विधानसभा अध्यक्ष एम बी राजेश ने सरकार के जवाब के आधार पर कार्यस्थगन प्रस्ताव की अनुमति नहीं दी, जिसके बाद विपक्षी सदस्यों ने विरोध दर्ज कराते हुए सदन से बहिर्गमन किया।
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