लेह, 10 अक्टूबर (भाषा)लेह जिला प्रशासन ने मौजूदा कानूनी प्रावधानों के तहत जिले में सोशल मीडिया मंचों के जरिये फर्जी खबरें प्रसारित करने पर रोक लगा दी है।
लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और क्षेत्र को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर पिछले महीने हुए प्रदर्शन में हिंसा की पृष्ठभूमि में प्रशासन ने यह फैसला लिया है।
इस बीच, लेह जिले में 24 सितंबर को व्यापक हिंसा के बाद करीब एक पखवाड़े तक निलंबित रही मोबाइल इंटनेट सेवा को बृहस्पतिवार की रात बहाल कर दिया गया। पिछले महीने हुई हिंसा में चार लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हो गए थे।
लेह के जिलाधिकारी रोमिल सिंह डोंक ने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत फर्जी खबरों पर रोक लगाने संबंधी जारी आदेश अगले दो महीने तक प्रभावी रहेगा।
उन्होंने कहा कि क्षेत्र में शांति एवं सौहार्द्र बनाए रखने के लिए इस धारा के तहत कार्यवाही करने के लिए पर्याप्त आधार मौजूद हैं।
डोंक ने आदेश में कहा, ‘‘यह देखा गया है कि कुछ व्यक्ति/समूह सोशल मीडिया मंचों के माध्यम से अफवाहें और गलत सूचना फैला रहे हैं, जिससे कानून और व्यवस्था बिगड़ने की आशंका है।’’
आदेश में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति फर्जी समाचार, संदेश, अफवाह या गलत सूचना के निर्माण, साझा या अग्रेषित करने में लिप्त पाया गया तो उसके खिलाफ कानून के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत ‘‘कड़ी कानूनी कार्रवाई’’ की जाएगी।
जिलाधिकारी ने सभी सोशल मीडिया ‘ग्रुप एडमिनिस्ट्रेटर्स’ को निर्देश दिया है कि वे अपने समूह में साझा की जा रही सामग्री पर नजर रखें और फर्जी, भ्रामक या अफवाह फैलाने वाली सामग्री को तुरंत हटा दें।
डोंक ने कहा, ‘‘उन्हें व्हाट्सएप समूहों पर ‘केवल एडमिन’ नियंत्रण विकल्प लागू करना होगा। यह आदेश जन सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के हित में जारी किया गया है।’’
भाषा धीरज पवनेश
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