नई दिल्ली : वाम दलों ने रविवार को अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर सरकार पर निशाना साधा और इसके लिए केंद्र की विमुद्रीकरण नीति को जिम्मेदार करार दिया.
केंद्र सरकार ने आठ नवंबर 2016 को 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को चलन से बाहर करने की घोषणा की थी.
सरकार के इस कदम पर सवाल उठाते हुए, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने आरोप लगाया कि इसने ‘अनौपचारिक क्षेत्र को खत्म कर दिया.’
उन्होंने ट्वीट किया, ‘अर्थव्यवस्था पीछे की ओर चल रही है, इससे गरीबों को नुकसान हुआ है. अनौपचारिक क्षेत्र का क्षय हुआ है. कोई काला धन बरामद नहीं हुआ, लेकिन इससे अमीर और अमीर हो गए. अर्थव्यवस्था में नकदी अब तक में सबसे अधिक है. इस सरकार को केवल एक व्यक्ति की सनक के लिये भारत को नीचे की ओर धकेलने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए.
भाकपा सांसद बिनॉय विश्वम ने भी नोटबंदी को लेकर सरकार की आलोचना की.
विश्वम ने ट्वीट किया, ‘नवंबर 2016 में 17.97 लाख करोड़ रुपये की मुद्रा चलन में थी. अक्टूबर 2021 में यह आंकड़ा 28.30 लाख करोड़ था । पांच साल में करेंसी में 57% की वृद्धि. देश में काला धन 300 लाख करोड़। नोटबंदी एक आपदा थी । प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी को देश से माफी मांगनी चाहिए.’
येचुरी ने एक अन्य ट्वीट में पेट्रोलियम उत्पादों पर से उत्पाद शुल्क वापस लेने की भी मांग की.