नयी दिल्ली, 12 फरवरी (भाषा) महामारी रोग अधिनियम में ‘महत्वपूर्ण खामियों’ को चिह्नित करते हुए विधि आयोग ने सरकार से सिफारिश की है कि या तो मौजूदा कमियों को दूर करने के लिए कानून में उचित संशोधन किया जाए या भविष्य की महामारियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए एक व्यापक कानून लाया जाए।
न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षता वाले आयोग ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें कानून में व्यापक बदलाव की सिफारिश की गई है।
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को लिखे अपने ‘कवर नोट’ में न्यायमूर्ति अवस्थी ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने भारत के स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे के लिए एक अभूतपूर्व चुनौती पैदा की है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस संकट से निपटने के दौरान, स्वास्थ्य संबंधी कानूनी ढांचे में कुछ सीमाएं महसूस की गईं। हालांकि, सरकार उभरती स्थिति पर तुरंत प्रतिक्रिया दे रही थी, लेकिन यह महसूस किया गया कि एक अधिक व्यापक कानून से संकट पर बेहतर प्रतिक्रिया दी जा सकती थी।’’
न्यायमूर्ति अवस्थी ने याद दिलाया कि कोविड-19 के संबंध में लॉकडाउन लगाने जैसी तात्कालिक प्रतिक्रिया आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत लागू की गई थी।
तात्कालिक चुनौतियों, विशेषकर स्वास्थ्यकर्मियों के सामने आने वाली चुनौतियों के मद्देनजर, संसद ने 2020 में महामारी रोग अधिनियम 1897 में संशोधन किया था।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, ये संशोधन कम पड़ गए, क्योंकि अधिनियम में महत्वपूर्ण खामियां और चूक बनी रहीं।’
आयोग ने स्वत: संज्ञान के आधार पर ‘महामारी रोग अधिनियम, 1897 की व्यापक समीक्षा’ की।
भाषा नेत्रपाल दिलीप
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