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Monday, 6 May, 2024
होमदेशमुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में कोरोना मामलों को बढ़ता देख पीएम बोले- राज्य अपने यहां स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करें

मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में कोरोना मामलों को बढ़ता देख पीएम बोले- राज्य अपने यहां स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करें

कोरोना मरीजों की लगातार बढ़ती संख्या को देख पीएम ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कहा कि स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे का विस्तार करना हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए.

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नई दिल्ली: देश में लगातार बढ़ रहे कोरोना प्रकोप के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के साथ एक बार फिर वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक की. इस दौरान पीएम ने राज्यों में कोरोना की स्थिति की समीक्षा भी की.

कोरोना मरीजों की लगातार बढ़ती संख्या को देख पीएम ने कहा कि स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे का विस्तार करना हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए. यह होगा तो हर एक कोरोना मरीज को ठीक से इलाज मिल सकेगा. इसलिए हमें टेस्ट पर जोर देना होगा ताकि हम संक्रमित व्यक्ति की समय रहते जांच कर सकें और उसे आइसोलेट कर सके.

भारत के पास भी पीपीई किट कम थे.किट को लेकर हम पूरी तरह से आयात पर निर्भर थे.लेकिन आज स्थितियां कुछ और हैं एक करोड़ से अधिक की पीपीई किट और उतने ही एन 95 मास्क राज्यों को दिए जा चुके है.

क्यों हुई कोविड के खिलाफ लड़ाई चुनौतीपूर्ण

पीएम मोदी ने कहा कि लोगों की भीड़, सामाजिक दूरी के नियम का पालन नहीं करना, बड़ी संख्या में लोगों की रोजाना आवाजाही तथा कुछ शहरों में छोटे मकानों ने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई को ‘अधिक चुनौतीपूर्ण’ बना दिया है.

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पीएम ने कहा, ‘भारत में आज भी कुछ ही मरीजों के लिए आईसीयू और वेंटिलेटर की जरुरत पड़ रही है.’

‘सरकार ने समय पर जरुरी कदम उठाए है. इसलिए आज हम कोरोना के खिलाफ लड़ने और इसके संक्रमण के विस्तार को नियंत्रण करने में सक्षम हो सके है.’

पीएम ने कहा, ‘पूरे देश में कोरोना की 900 से ज्यादा टेस्टिंग लैब है. लाखों बेड हैं. हजारों की संख्या में क्वारेटाइन सेंटर और आइसोलेशन सेंटर्स हैं. इनमें सबसे बड़ी बात यह है कि आज देश का हर नागरिक इस वायरस के प्रति पहले से ज्यादा जागरु​क और सचेत हुआ है. ये सब केवल राज्य सरकारों और स्थानीय प्रशासन के दिन और रात करने की वजह से ही संभव हो सका है.’

पीएम मोदी ने बैठक में कहा कि देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान लोगों के अनुशासन ने वायरस के अतिशय प्रसार पर रोक लगाई. बीते दो से तीन माह में बड़ी संख्या में क्वारंटीन और आइसोलेशन सेंटर्स का निर्माण हुआ है. हमें भविष्य में ओर तेजी से काम करना होगा ताकि मरीजों को बेड की परेशानी नहीं हो. इस दौरान टेलीमेडिसिन का महत्व बहुत ही बढ़ गया है. सभी को टेलीमेडिसन का लाभ मिले इसके लिए हमें अपने प्रयास को बढ़ाने होंगे.

उन्होंने आगे कहा, जिन राज्यों में आरोग्य सेतुए एप को लोगों ने ज्यादा डाउनलोड हुआ है. वहां बहुत ही सकारात्मक परिणाम देखने को मिले है. सरकारों की कोशिश होनी चाहिए कि आरोग्य सेतु एप ज्यादा ज्यादा लोग डाउनलोड करें.

समय पर सूचना प्रदान करने के महत्व पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि हेल्पलाइन लोगों के लिए मददगार हों. उन्होंने फोन से रोगियों को निर्देश देने के लिए वरिष्ठ डॉक्टरों तथा युवा स्वयंसेवियों के दल बनाने को भी कहा.

मोदी ने इस बीमारी से जुड़े ‘कलंक’ से भी लड़ने का आह्वान करते हुए कहा कि लोगों को विश्वास दिलाया जाना चाहिए कि अगर कोई संक्रमित हो गया है तो घबराहट की जरूरत नहीं है क्योंकि बड़ी संख्या में लोग सही हो रहे हैं.

उन्होंने लोगों को वायरस से मुकाबले के लिए साफ-सफाई, मास्क पहनने और एक-दूसरे से दूरी बनाकर रखने के फायदे याद दिलाते रहने की जरूरत बताई.

बैठक में हिस्सा लेते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हम अब तक पीएम मोदी के नेतृत्व में कोरोनावायरस के खिलाफ अपनी लड़ाई में काफी सफल रहे हैं लेकिन लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है. उन्होंने रेखांकित किया कि जैसे ही हम अनलॉक करना शुरू करते हैं हमें और सतर्क रहना चाहिए.

कोरोनावायरस पर राज्यों की बैठक के पहले पीएम ने लद्दाख की गलवान घाटी में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि भी दी.

बैठक में राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने पीएम मोदी को उनके नेतृत्व के लिए धन्यवाद दिया. सभी ने अपने राज्यों के जमीनी हालात और वायरस के प्रभाव से निपटने की उनकी तैयारियों के बारे में बताया. उन्होंने चुनौती को पूरा करने के लिए उपलब्ध स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर और उसे मजबूत करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बात की.

मोदी ने बुधवार को महाराष्ट्र,दिल्ली, कर्नाटक, गुजरात, उत्तर प्रदेश और बिहार समेत अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात की.इस वार्ता का महत्व इसलिए भी है, क्योंकि देश में कोरोना वायरस के अधिकतर मामले इन्हीं में से कुछ राज्यों से सामने आए हैं.

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