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Sunday, 16 March, 2025
होमदेशभाषा विवाद आंध्र प्रदेश तक पहुंचा, BJP के सहयोगी कल्याण और DMK की कनिमोझी के बीच हुई तीखी नोकझोंक

भाषा विवाद आंध्र प्रदेश तक पहुंचा, BJP के सहयोगी कल्याण और DMK की कनिमोझी के बीच हुई तीखी नोकझोंक

आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री कल्याण पिथापुरम में रैली को संबोधित कर रहे थे. डीएमके सांसद कनिमोझी ने सुझाव दिया कि जनसेना पार्टी प्रमुख ने भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल होने के बाद ‘हिंदी थोपने’ पर अपना रुख बदल दिया है.

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हैदराबाद: आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और जन सेना पार्टी (जेएसपी) के प्रमुख पवन कल्याण केंद्र और तमिलनाडु सरकार के बीच चल रहे भाषा विवाद में कूद पड़े हैं. उन्होंने हिंदी पर द्रविड़ पार्टियों के रुख की निंदा की है.

शुक्रवार को कल्याण ने एक बयान में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और नरेंद्र मोदी सरकार के रुख का समर्थन करते हुए सवाल उठाया कि तमिलनाडु में भाषा थोपे जाने के विरोध के बावजूद तमिल फिल्मों को हिंदी में क्यों डब किया जा रहा है. जेएसपी और भाजपा आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में भागीदार हैं.

अभिनेता से नेता बने पवन कल्याण ने कहा, “अगर हिंदी का स्वागत नहीं किया जाता है तो आपको तमिल फिल्मों को हिंदी में डब नहीं करना चाहिए और उन्हें उत्तर भारत में रिलीज़ भी नहीं करना चाहिए. वह संस्कृत का दुरुपयोग करते हैं, हिंदी थोपने का आरोप लगाते हैं. ये भी हमारे देश की भाषाएं हैं, है न?”

उन्होंने कहा, “आप हिंदी पट्टी से पैसा चाहते हैं — यूपी, बिहार, छत्तीसगढ़ से, लेकिन उनकी हिंदी स्वीकार नहीं करते. यह कैसे ठीक है? आप बिहार से आए प्रवासी मज़दूरों का स्वागत करते हैं, लेकिन हिंदी से नफरत करते हैं. ऐसी सोच, रवैया बदलना चाहिए.”

कल्याण जेएसपी के 12वें स्थापना दिवस के अवसर पर अपने विधानसभा क्षेत्र पीथापुरम में एक रैली को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा, “हमें (कुछ) भाषाओं से नफरत नहीं करनी चाहिए.”

उपमुख्यमंत्री की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब तमिलनाडु में एम.के. स्टालिन के नेतृत्व वाली द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK) सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत “तीन-भाषा सूत्र” के माध्यम से हिंदी थोपने को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ व्यापक युद्ध की घोषणा की है.

स्टालिन ने फरवरी में पार्टी सदस्यों को लिखे एक पत्र में कहा कि तमिलों पर भाषा थोपना उनके स्वाभिमान के साथ खिलवाड़ करने के जैसा है. पिछले कुछ हफ्तों में, DMK कार्यकर्ताओं ने तमिलनाडु भर में कई जगहों पर रेलवे स्टेशनों पर हिंदी में सूचना देने वाले साइनेज और केंद्र सरकार की संपत्तियों जैसे नाम बोर्डों को खराब कर दिया है.

स्टालिन ने कहा, “अगर आप हिंदी थोपेंगे नहीं तो हम विरोध नहीं करेंगे; तमिलनाडु में हिंदी शब्दों पर कालिख नहीं पोतेंगे. स्वाभिमान तमिलों की अनूठी विशेषता है और हम किसी को भी, चाहे वह कोई भी हो, इसके साथ खिलवाड़ नहीं करने देंगे.”

डीएमके का कल्याण पर निशाना

डीएमके प्रवक्ता डॉ. सैयद हफीजुल्लाह ने कहा कि कल्याण का बयान पूरे मामले के बारे में उनकी खोखली समझ को दर्शाता है. हफीजुल्लाह ने एक समाचार चैनल से बात करते हुए कहा, “कल्याण को यह समझना चाहिए कि तमिलनाडु के लोग अपनी पसंद की कोई भी भाषा सीखने के लिए स्वतंत्र हैं.”

शनिवार को डीएमके की सांसद के. कनिमोझी ने कल्याण पर निशाना साधते हुए एक्स पर लिखा, “तकनीक हमें भाषाई बाधाओं से परे फिल्में देखने की अनुमति देती है.”

इस मुद्दे पर उनके रुख में बदलाव का संकेत देते हुए उन्होंने कल्याण के दो अलग-अलग बयान शामिल किए, जिनमें से एक अप्रैल 2017 का था, जब उन्होंने “हिंदी वापस जाओ” शीर्षक से एक लेख साझा किया था और उत्तर भारत के राजनीतिक नेतृत्व से देश की सांस्कृतिक विविधता का सम्मान करने का आह्वान किया था.

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कल्याण ने एक्स पर कहा कि उन्होंने कभी भी हिंदी भाषा का विरोध नहीं किया. “मैंने केवल इसे अनिवार्य बनाने का विरोध किया. जब एनईपी 2020 खुद हिंदी को लागू नहीं करता है, तो इसके लागू होने के बारे में गलत बयानबाजी करना जनता को गुमराह करने की कोशिश के अलावा और कुछ नहीं है.”

उन्होंने कहा, “बहु-भाषा नीति छात्रों को विकल्प देने, राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने और भारत की समृद्ध भाषाई विविधता को संरक्षित करने के लिए बनाई गई है. राजनीतिक एजेंडे के लिए इस नीति की गलत व्याख्या करना और यह दावा करना कि पवन कल्याण ने अपना रुख बदल दिया है, केवल समझ की कमी को दर्शाता है.”

अभिनेता प्रकाश राज, जो पहले भी कल्याण की आलोचना करते रहे हैं, ने कहा कि “हिंदी थोपे जाने का विरोध स्वाभिमान है, न कि हिंदी भाषा के प्रति घृणा”.

प्रकाश राज ने एक्स पर कहा, “किसी को कल्याण को यह बताना चाहिए.”

यह पहली बार नहीं था जब कल्याण ने डीएमके नेतृत्व पर हमला बोला हो. अक्टूबर में, जब उन्होंने खुद को सनातन धर्म का बचाव करने वाला एक निडर हिंदू घोषित किया, तो कल्याण ने कहा था, “जो लोग सनातन धर्म को मिटाना चाहते हैं, वे खुद ही मिट जाएंगे”.

यह डीएमके के वंशज और तमिलनाडु के वर्तमान उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन द्वारा सनातन धर्म पर की गई टिप्पणी पर प्रतिक्रिया थी.

कल्याण ने कहा, “मैं अपने धर्म को बचाने, संरक्षित करने के लिए अपना जीवन, अपना सब कुछ बलिदान कर सकता हूं” और कहा कि यह “छद्म धर्मनिरपेक्षतावादियों/बुद्धिजीवियों” के लिए एक चेतावनी थी.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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