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Saturday, 20 April, 2024
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तीन दशकों में भारतीयों की लाइफ एक्सपेक्टेंसी 10 साल बढ़ी पर राज्यों के बीच काफी असमानता : लांसेट रिपोर्ट

लांसेट जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार वर्ष 1990 में भारत में जीवन प्रत्याशा 59.6 वर्ष थी जो 2019 में बढ़कर 70.8 वर्ष हो गई. केरल में यह 77.3 वर्ष हैं वहीं उत्तर प्रदेश में 66.9 वर्ष है.

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नई दिल्ली: एक नई रिपोर्ट में पता चला है कि भारत में 1990 से ले कर पिछले तीन दशक में जीवन प्रत्याशा 10 वर्ष से अधिक बढ़ी है, लेकिन इन मामलों में राज्यों के बीच काफी असमानता है.

इस अध्ययन में विश्व भर के 200 से ज्यादा देशों और क्षेत्रों में मृत्यु के 286 से अधिक कारणों और 369 बीमारियों की समीक्षा की की गई.

लांसेट जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 1990 में भारत में जीवन प्रत्याशा 59.6 वर्ष थी जो 2019 में बढ़कर 70.8 वर्ष हो गई. केरल में यह 77.3 वर्ष हैं वहीं उत्तर प्रदेश में 66.9 वर्ष है.

अध्ययन में शामिल गांधीनगर के ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ’ के श्रीनिवास गोली कहते हैं कि भारत में ‘स्वस्थ जीवन प्रत्याशा’ बढ़ना उतना आकस्मिक नहीं है जितना जीवन प्रत्याशा बढ़ना क्योंकि ‘लोग बीमारी और अक्षमताओं के साथ ज्यादा वर्ष गुजार रहे हैं.’

अमेरिका में वाशिंगटन विश्वविद्यालय में अध्ययन के सह-लेखक अली मोकदाद ने कहा, ‘भारत सहित लगभग हर देश में हम जो मुख्य सुधार देख रहे हैं वह सक्रामक रोगों में कमी और दीर्घकालिक (क्रॉनिक) बीमारियों में तेजी से बढोतरी है.’

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‘इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैलुएशन’ में वैश्विक स्वास्थ्य में प्रोफेसर मोकदाद ने कहा, ‘भारत में मातृ मृत्यु दर बहुत अधिक हुआ करती थी, लेकिन अब इसमें कमी आ रही है. हृदय संबंधी बीमारियां पहले पांचवें स्थान पर थीं और अब यह पहले स्थान पर हैं और कैंसर के मामले बढ़ रहे है.’

वैज्ञानिकों के अनुसार वायु प्रदूषण के बाद उच्च रक्तचाप तीसरा प्रमुख खतरनाक कारक है जो भारत के आठ राज्यों में 10-20 प्रतिशत तक स्वास्थ्य हानि के लिए जिम्मेदार है.

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