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Tuesday, 15 July, 2025
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लक्ष्मी पुरी मानहानि मामला: दिल्ली उच्च न्यायालय ने साकेत गोखले की माफी स्वीकार करने से इनकार किया

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नयी दिल्ली, आठ जुलाई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने पूर्व राजनयिक लक्ष्मी मुर्देश्वर पुरी के खिलाफ कथित मानहानिकारक बयानबाजी के मामले में तृणमूल कांग्रेस के सांसद साकेत गोखले की लिखित माफी स्वीकार करने से मंगलवार को इनकार कर दिया।

न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति रेणु भटनागर की पीठ एकल न्यायाधीश के एक जुलाई, 2024 के उस फैसले के खिलाफ गोखले की अपील पर विचार कर रही थी, जिसमें तृणमूल कांग्रेस नेता को पुरी के खिलाफ सोशल मीडिया या किसी भी ऑनलाइन मंच पर आगे कुछ भी कहने से रोक दिया गया था।

एकल न्यायाधीश ने गोखले को यह भी निर्देश दिया था कि वह पुरी से माफी मांगें तथा 50 लाख रुपये का हर्जाना भी प्रदान करें।

खंडपीठ ने कहा कि उनके हलफनामे की विषय-वस्तु को रिकॉर्ड में नहीं लिया जा सकता। इसने गोखले के वकील से कहा कि वह माफीनामा वापस लें और नए सिरे से दायर करें।

पीठ ने वकील से कहा, ‘‘… आप पहले इस हलफनामे को वापस लें, फिर हम आपकी बात सुनेंगे।’’

मामले में अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी।

गोखले का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अमित सिब्बल ने कहा कि उनके मुवक्किल ने पूर्व निर्देशों के अनुपालन में अपने ‘एक्स’ हैंडल पर सार्वजनिक माफी प्रकाशित करने के अलावा बिना शर्त माफी मांगने के लिए एक हलफनामा दायर किया है।

पुरी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने दलील का विरोध किया और अवमानना ​​कार्यवाही में एकल न्यायाधीश के समक्ष गोखले के आचरण पर सवाल उठाए।

गोखले ने पहले माफीनामा प्रकाशित करने का आश्वासन दिया था, क्योंकि अदालत ने उन्हें सशर्त माफीनामा प्रकाशित करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।

उन्होंने पुरी की अवमानना ​​याचिका पर एकल न्यायाधीश के नौ मई के आदेश को भी चुनौती दी है, जिसमें उन्हें दो सप्ताह के भीतर एक प्रमुख समाचार दैनिक के अलावा अपने ‘एक्स हैंडल’ पर माफीनामा प्रकाशित करने का निर्देश दिया गया था, जहां उन्होंने पोस्ट किए थे।

दो सप्ताह की अवधि 23 मई को समाप्त हो गई।

गोखले का प्रतिनिधित्व कानूनी फर्म करंजावाला एंड कंपनी के माध्यम से किया गया।

पुरी ने 2021 में उच्च न्यायालय का रुख किया और आरोप लगाया कि गोखले ने जिनेवा में उनके स्वामित्व वाले एक अपार्टमेंट के संदर्भ में उनके वित्तीय मामलों के बारे में लापरवाह और झूठे आरोप लगाकर उनकी छवि को धूमिल किया है।

उच्च न्यायालय ने एक जुलाई, 2024 के अपने फैसले में गोखले को पुरी के खिलाफ किसी भी सोशल मीडिया या इलेक्ट्रॉनिक मंच पर कोई भी सामग्री प्रकाशित करने से रोक दिया।

इसके बाद गोखले ने फैसले को वापस लेने का आग्रह करते हुए अदालत का रुख किया, जिसे उच्च न्यायालय की ‘को-ऑर्डिनेट’ पीठ ने दो मई को अस्वीकार कर दिया।

‘को-ऑर्डिनेट’ पीठ का मतलब होता है – उसी अदालत के दो या अधिक न्यायाधीशों की समान स्तर की पीठ, जिनके पास एक समान अधिकार और दर्जा होता है।

भाषा नेत्रपाल दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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