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Friday, 22 November, 2024
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सांसदों और अन्य लोगों के कोटा को होल्ड पर रखने के फैसले की समीक्षा कर रही है KV गवर्निंग बॉडी

यह महसूस किया जा रहा था कि विशेष प्रावधानों के माध्यम से छात्रों को प्रवेश दिए जाने की वजह से केन्द्रीय विद्यालयों में भीड़भाड़ बढ़ रही है, और इसलिए इस महीने की शुरुआत में इन्हें स्थगित कर दिया गया था.

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नई दिल्ली: दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस), वह स्वायत्त निकाय जो पूरे भारत में केंद्रीय विद्यालयों का प्रबंधन संभालता है, संसद सदस्यों और अन्य लोगों के विवेकाधीन कोटा पर प्रवेश दिए जाने को ‘होल्ड’ पर (स्थगित) रखने के अपने निर्णय की समीक्षा कर रहा है, और इस बारे जल्द ही एक अंतिम आदेश जारी किया जाएगा.

केवीएस के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि अंतिम आदेश जल्द ही जारी किया जाएगा.

केन्द्रीय विद्यालय केवीएस द्वारा प्रबंधित केंद्र सरकार के स्कूल हैं, और वह ही इसकी प्रवेश सम्बन्धी नीतियों और अन्य प्रशासनिक मुद्दों पर निर्णय लेता है.

12 अप्रैल 2022 को जारी किये गए एक सर्कुलर (परिपत्र) में केवीएस ने कहा था कि ‘अगले आदेश तक विशेष प्रावधानों (भाग 1 पीएफ भाग बी के तहत) के तहत कोई प्रवेश नहीं दिया जाना चाहिए’.

विवेकाधीन कोटा या ‘विशेष प्रावधान’ के तहत, शिक्षा मंत्री, सांसदों, केवीएस के अधिकारी, दिल्ली विकास प्राधिकरण के अधिकारी और अन्य सरकारी अधिकारी बच्चों के प्रवेश (नामांकन) के लिए सिफारिश कर सकते हैं.

नियमों के अनुसार, प्रत्येक अधिकारी एक निश्चित संख्या में ही नामांकन की सिफारिश कर सकता है. उदाहरण के लिए, प्रत्येक सांसद को प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष में 10 छात्रों के नामों की सिफारिश करने की अनुमति है.


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बढ़ती भीड़भाड़

हालांकि, यह महसूस किया गया था कि ‘विशेष प्रावधान’ के माध्यम से छात्रों के प्रवेश की वजह से इन स्कूलों में भीड़भाड़ बढ़ती जा रही थी, और इसलिए इन्हें स्थगित किये जाने की आवश्यकता है.

इस बीच शिक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि विवेकाधीन कोटा के तहत सालाना औसतन 35,000 से 40,000 छात्रों के नामांकन हो रहे थे.

केवीएस के एक अधिकारी ने कहा, ‘नामांकन के लिए विशेष प्रावधानों में 17 श्रेणियां हैं, और हम वर्तमान में इस बात की समीक्षा कर रहे हैं कि किसे रखा जा सकता है और किन- किन को हटाया जाना चाहिए. छात्रों के अतिरिक्त नामांकन के कारण स्कूलों में बहुत अधिक भीड़भाड़ हो रही है और आवश्यक छात्र-शिक्षक अनुपात का प्रबंध करना मुश्किल हो रहा था. इसलिए, हमें इसे स्थगित करना पड़ा.’

एक अन्य सूत्र ने कहा कि जिस उद्देश्य के लिए केवी की स्थापना की गई थी, वह है उन सरकारी कर्मचारियों के बच्चों को जगह देना जो नियमित रूप से अपने काम की वजह स्थानांतरित हो जाते हैं, या फिर सेना के ऐसे जवानों के बच्चों के शामिल करना जो दुरूह इलाकों में तैनात होते हैं. मगर धीरे-धीरे अन्य परिवारों के बच्चों की संख्या बढ़ने लगी है.

2019 में दिप्रिंट द्वारा केवीएस से प्राप्त किये गए आंकड़ों के अनुसार, केंद्रीय विद्यालयों में सरकारी कर्मचारियों के परिवारों से आने वाले बच्चों का अनुपात 2017-18 में घटकर 47 प्रतिशत हो गया था, जो पहले 2011-12 में 60 प्रतिशत था.

ऊपर जिस स्रोत का जिक्र किया गया है उन्होंने बताया कि फ़िलहाल यह अनुपात 30 प्रतिशत से भी नीचे गिर गया है. इस सूत्र ने कहा, ‘ऐसा महसूस किया जा रहा है कि जिस उद्देश्य के लिए केंद्रीय विद्यालयों का निर्माण किया गया था, वह पूरा नहीं हो रहा है.’

दिप्रिंट द्वारा शिक्षा मंत्रालय के प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो (पीआईबी विभाग) को इस सम्बन्ध में टिप्पणी के लिए भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला. इसके प्राप्त होने के बाद इस खबर को अपडेट कर दिया जायेगा.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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