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Friday, 3 May, 2024
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केंद्रीय विद्यालय में प्रवेश से संबंधित 17 श्रेणियों के विवेकाधीन कोटे पर लगी अस्थायी रोक

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नयी दिल्ली, 15 अप्रैल (भाषा) केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) ने इसके तहत आने वाले स्कूलों में प्रवेश के संबंध में सांसदों सहित सभी 17 श्रेणियों के विवेकाधीन कोटे पर अस्थायी रोक लगा दी है।

संगठन के एक अधिकारी ने ‘भाषा’ को बताया कि अगले सप्ताह कोटे से जुड़े विषय की समीक्षा होने वाली है, ऐसे में कुछ समय के लिये इस बारे में अस्थायी रोक लगाने को कहा गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘ यह अस्थायी निर्देश है और केंद्रीय विद्यालयों में प्रवेश से संबंधित सभी 17 श्रेणियों के विवेकाधीन कोटे के संबंध में है । विद्यालयों में प्रवेश की प्रक्रिया चल रही है, ऐसे में अगले आदेश तक इस पर (कोटे) रोक लगाने को कहा गया है। ’’

उन्होंने बताया कि समीक्षा के बाद ही कोई आदेश जारी किया जायेगा ।

समझा जाता है कि समीक्षा के बाद इस विषय को केंद्रीय विद्यालय संगठन से जुड़े संचालक बोर्ड के समक्ष रखा जायेगा । इसमें किस कोटे को जारी रखना और किस को खत्म करना है, इस पर अंतिम निर्णय हो सकता है।

सूत्रों के अनुसार जिन विषयों की समीक्षा की जानी है, उनमें जिलाधिकारी, केंद्रीय विद्यालय कर्मियों, पहले बच्चे के बालिका होने, सांसदों आदि का विवेकाधीन कोटा शामिल है।

इससे पहले शिक्षा मंत्री ने भी पिछले साल केंद्रीय विद्यालयों में प्रवेश के अपने कोटे पर खत्म कर दिया था।

प्रत्येक सांसद को उसके निर्वाचन क्षेत्र में स्थित केंद्रीय विद्यालय में प्रवेश के लिए 10 सीटों का कोटा मिलता है जिसमें उसकी सिफारिश पर क्षेत्र के किसी विद्यार्थी का इन विद्यालय में दाखिल हो सकता है।

गौरतलब है कि हाल में संपन्न संसद के बजट सत्र में 21 मार्च को कई सांसदों ने केंद्रीय विद्यालयों में प्रवेश के संबंध में प्रत्येक सांसद को दिये गए 10 सीटों के कोटे का विषय लोकसभा में उठाया था । कांग्रेस के मनीष तिवारी सहित कुछ सांसदों ने मांग की थी कि कोटे की संख्या को बढ़ाया जाए अन्यथा इसे पूरी तरह समाप्त कर दिया जाए।

इस पर लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने कहा था कि इस विषय पर सभी दलों के नेताओं से मंत्री बात करेंगे और फिर कोई अंतिम निर्णय किया जायेगा ।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सुशील कुमार मोदी ने केंद्रीय विद्यालय में दाखिले के संबंध में सांसदों को मिले विवेकाधीन कोटे को समाप्त करने की मांग राज्यसभा में उठाई थी।

राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने 29 मार्च को उच्च सदन में कहा था कि केंद्रीय विद्यालयों (केवी) में दाखिले के लिए सांसदों को मिले विवेकाधीन कोटे को समाप्त करने को लेकर सदन के सदस्यों की राय बंटी हुई है, लिहाजा इस पर चर्चा होनी चाहिए।

बजट सत्र के दौरान शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने लोकसभा में कहा था कि केंद्रीय विद्यालय में दाखिले के कोटे को लेकर जनप्रतिनिधियों पर दबाव है लेकिन यह समझना होगा कि जन प्रतिनिधि के रूप में सांसद चुनिंदा लोगों के लिये काम नहीं कर सकते।

प्रधान ने कहा था, ‘‘इस बड़ी पंचायत में बैठकर हमें तय करना है कि क्या हम अपने अधिकार का प्रयोग कुछ चंद लोगों के लिये करेंगे अथवा सभी के लिये करेंगे। इस बारे में अध्यक्ष जी का मार्गदर्शन चाहिए। ’’

तीस मार्च को शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने एक पूरक प्रश्न के उत्तर में राज्यसभा में कहा था कि चाहे कोटा खत्म करना हो या उसे बढ़ाना हो, सरकार गंभीरता से विचार कर रही है कि कोटा व्यवस्था के बारे में क्या फैसला किया जाए। उन्होंने कहा था कि संबंधित विभाग सभी सदस्यों के साथ चर्चा के बाद कोई निर्णय लेगा।

भाषा दीपक दीपक माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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