नई दिल्ली: 2007 बैच के आईएएस अधिकारी सुहास एल यतिराज सरकारी सेवा से ब्रेक पर थे. जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें तलब करके 30 मार्च को नए डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (डीएम) के तौर पर, नोएडा का ज़िम्मा दे दिया, जो कोविड का हॉटस्पॉट था.
शहर में एक घबराहट थी और पूर्व डीएम की तथाकथित बदइंतजामी को लेकर मुख्यमंत्री बहुत नाराज़ थे. यतिराज जानते थे कि वो बिल्कुल समय नहीं गंवा सकते थे.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पैरा-शटलर 36 वर्षीय आईएस अधिकारी आदित्यनाथ का आदेश मिलने के कुछ घंटों के भीतर ही नोएड़ा पहुंच गए. डीएम के तौर पर अपने पहले ही दिन, उन्होंने उस कम्पनी को सील करने का आदेश दे दिया, जिसमें 16 कर्मचारी कोविड-19 पॉज़िटिव पाए गए थे. अपने स्टाफ की ट्रैवल हिस्ट्री छिपाने के आरोप में कम्पनी के प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कर ली गई.
कुछ दिनों के भीतर सुहास ने नोएडा में 300 निगरानी टीमें गठित कर दीं जिनमें 900 अधिकारी थे, सभी कंटेनमेंट इलाक़ों को सील कर दिया आवश्यक वस्तुओं का लाना ले जाना भी रोक दिया और दिल्ली-नोएडा सीमा को पूरी तरह बंद कर दिया.
नोएडा प्रशासन के लिए संदेश बहुत स्पष्ट था- अब सामान्य की तरह नहीं चलेगा.
दिप्रिंट ने कॉल्स और व्हाटसएप संदेशों द्वारा यतिराज से सम्पर्क करना चाहा, परंतु उन्होंने जवाब नहीं दिया. लेकिन उनके क़रीबी लोग उन्हें एक ऐसा अधिकारी बताते हैं, जिसे बकवास बिलकुल पसंद नहीं है और जिसकी निष्ठा ने उसे सभी दलों की सरकारों का विश्वासपात्र बना दिया था.
कड़ाई- शुरू से ही पेशेवर स्वभाव
विशाल संकट को देखते हुए यतिराज की कड़ाई और मुखर हो गई है. लेकिन सिविल सर्वेंट के अपने करियर के शुरूआती दिनों से ही, वो इस स्वभाव के लिए जाने जाते रहे हैं.
यतिराज के एक सबसे क़रीबी मित्र गंगाधर पाटिल ने बताया ‘शुरू से ही उनके बारे में माना जाता था कि उन्हें सिर्फ अपने काम से मतलब है और वो समय बिल्कुल नहीं गंवाना चाहते.’
यह भी पढ़ें : कोविड-19 से निपटने में सफल माने जा रहे भीलवाड़ा मॉडल के पीछे हैं 56 वर्षीय पदोन्नत आईएएस अधिकारी
पाटिल ने, जो उस समय यतिराज के साथ थे, याद किया ‘मुझे याद है जब एक बार आगरा में उनकी पहली तैनाती के दौरान, कुछ लोग एक धार्मिक जुलूस निकालने की अनुमति लेने उनके दफ्तर आए. लेकिन यतिराज ने बड़ी शांति के साथ उनसे कुछ मंज़ूरियां लेने को कहा.’
‘लेकिन उन लोगों ने चिल्लाना शुरू कर दिया…इसलिए सुहास भी पलटकर चिल्लाते हुए बोले ‘मैं भी चिल्ला सकता हूं लेकिन उससे कुछ होगा नहीं और वो फिर शांति से बात करने लगे.’
पाटिल ने कहा कि यतिराज के बदलते बर्ताव ने उन्हें चौंका दिया. उन्होंने ये भी कहा ‘आश्चर्य था कि रजनीकांत का एक मृदु-भाषी फैन, किस तरह इतनी तेज़ी से एक सख़्त अधिकारी में तब्दील हो गया.’ लेकिन, पाटिल ने ये भी कहा कि यतिराज को अकसर ग़लती से कठोर समझ लिया जाता था.
‘कर्नाटक से ताल्लुक़ रखने के कारण उनका एक ख़ास व्यक्तित्व है. लोगों को तुरंत ये लगा कि वो भ्रष्ट नहीं होंगे और चूंकि वो यूपी के अंदाज़ में हिंदी बोलना सीख रहे थे. इसलिए लोगों को हमेशा यही लगा कि वो सख़्त हैं जोकि सच नहीं था.’
एक जन सेवक के बेटे, यतिराज की परवरिश कर्नाटक के शिमोगा ज़िले में हुई. स्कूल के बाद उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कर्नाटक से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, फिर उन्हें बेंगलूरू की एक निजी कम्पनी में नौकरी मिल गई, जिसमें उन्होंने आईएएस की तैयारी के साथ-साथ, एक साल तक काम किया.
सेवा में आने के तीन साल बाद यतिराज ने यूपी प्रदेश सेवा की एक अधिकारी रितु सुहास के साथ शादी की.
अखिलेष और योगी सरकार की नज़र में ‘काम के आदमी’
अपने 13 साल के करियर में यतिराज ने आज़मगढ़, सोनभद्र, जौनपुर, इलाहबाद और अब गौतमबुद्ध नगर (जिस ज़िले में नोएडा आता है) में महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है.
यतिराज को अच्छे से जानने वाले एक आईएएस अधिकारी ने बताया ‘करियर की शुरूआत में उन्हें कुछ दिक़्क़तें आईं- उनके कुछ ज़्यादा ही तबादले हुए. लेकिन उसके बाद से आने वाली सरकारों में उनकी पहचान एक काम करने वाले अधिकारी के रूप में बनी है.’
2016 में, जब वो आज़मगढ़ के डीएम थे, तब उस समय की अखिलेश यादव सरकार ने यतिराज को प्रदेश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘यश भारती पुरस्कार’ से नवाज़ा था.
ठीक उसी समय आज़मगढ़ ज़िला, जो उस समय समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव का चुनाव क्षेत्र था, प्रधानमंत्री जन धन योजना लागू करने में, सबसे अच्छे कार्य के लिए मोदी सरकार द्वारा पुरस्कृत किया गया. ये पीएम नरेंद्र मोदी की एक प्रिय योजना थी, जिसका लक्ष्य आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को बैंकिंग के नक़्शे पर लाना था. यतिराज को इस योजना के तहत 8 लाख बैंक खाते खुलवाने का श्रेय दिया गया.
2017 में, राज्य में सरकार के बदल जाने पर भी, यतिराज को अच्छी नियुक्तियां मिलती रहीं. ऊपर हवाला दिए गए आईएएस अधिकारी के मुताबिक़, ‘बहुत जल्द ही, वो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की आंखों का तारा बन गए.’
2019 में, जब योगी सरकार ने कुंभ मेले की तैयारियां कीं, जिसमें करोड़ों लोग इलाहबाद में एकत्र हुए तब शहर के डीएम योगीराज ही थे.
योगीराज ने पहली बार कुंभ मेले में संगम के किनारे उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक आयोजित कराई. जिसके बाद कैबिनेट के सभी मंत्रियों ने, संगम के पवित्र पानी में डुबकी लगाई.
यह भी पढ़ें : सिंगापुर से वापस लौटे केरल के आईएएस अधिकारी को पत्नी संग रहना था क्वारनटीन में, बिना बताये हुए गायब
उक्त आईएएस अधिकारी के अनुसार ‘ये कोई संयोग नहीं है कि ऐसे संवेदनशील समय में मुख्यमंत्री उन्हें नोएडा लाए…कुंभ के दौरान भी वो एक ऐसे कार्यक्रम के समय वहां मौजूद थे, जो सरकार को बहुत प्रिय था. इससे भी उनकी अहमियत बहुत बढ़ी.’
एक दुर्लभ खिलाड़ी एवं नौकरशाह
राजनीतिक हल्क़ों में यतिराज को एक प्रभावी प्रशासक माना जाता है. लेकिन साथ ही उनके व्यक्तित्व का एक पहलू और भी है, जो उन्हें अपने आईएएस समकक्षों से अलग करता है- वो एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ी हैं.
2018 में सुहास ने, जिनकी दाहिनी टांग पोलियो से ग्रस्त है. इंडोनेशिया के जकार्ता में हुए एशियन पैरा गेम्स में, कांस्य पदक जीता. उन्होंने 2017 में टर्की में हुई बीडब्लूएफ टर्किश ओपन पैरा-बैंडमिंटन चैम्पियनशिप में सिगल्स और डबल्स में स्वर्ण पदक जीता था और 2016 में चीन के बीजिंग में आयोजित एशिया चैम्पियनशिप में भी एक और गोल्ड जीता था- और उन्होंने ये सब यूपी के कई प्रमुख ज़िलों में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के तौर पर काम करते हुए किया.
पाटिल के अनुसार ‘सुहास एक चीज़ अच्छे से जानते हैं और वो है चीज़ों को कारगर ढंग से संतुलित करना. सिविल सर्विस की तैयारी करते हुए उन्होंने अपनी नौकरी नहीं छोड़ी और पहले प्रयास में ही उसे क्लियर कर लिया. खेल और अपनी प्रशासनिक ज़िम्मेदारियों को वो ऐसे ही संतुलित करते हैं.’
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)