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कोबाड गांधी पुस्तक अनुवाद: लेखक आनंद करंदीकर ने महाराष्ट्र सरकार का पुरस्कार लौटाने की घोषणा की

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मुंबई, 13 दिसंबर (भाषा) महाराष्ट्र सरकार द्वारा कथित माओवादी विचारक कोबाड गांधी के संस्मरण के मराठी अनुवाद को दिया गया पुरस्कार वापस लिए जाने के बाद मराठी लेखक आनंद करंदीकर ने मंगलवार को राज्य सरकार का पुरस्कार लौटाने की घोषणा की।

सरकार के मराठी भाषा विभाग ने कोबाड गांधी की “फ्रैक्चर्ड फ्रीडम: ए प्रीजन मेमॉयर” के अनुवाद के लिए अनघा लेले को यशवंतराव चव्हाण साहित्य पुरस्कार 2021 देने की छह दिसंबर को घोषणा की थी।

करंदीकर ने कहा कि कोबाड की किताब के मराठी अनुवाद के लिए लेले का पुरस्कार वापस लेने का सरकार का कदम ‘‘विचारों की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पूरी तरह पाबंदी’’ के समान है।

महाराष्ट्र सरकार का यह फैसला कोबाड के कथित माओवादी संबंध होने के कारण पुरस्कार देने के फैसले की सोशल मीडिया पर आलोचना के मद्देनजर आया है।

सरकार द्वारा सोमवार को जारी एक बयान के अनुसार, चयन समिति के निर्णय को “प्रशासनिक कारणों” से उलट दिया गया, और पुरस्कार (जिसमें एक लाख रुपये की नकद राशि शामिल थी) को वापस ले लिया गया है।

संबंधित आदेश में आगे कहा गया है कि समिति को भी भंग कर दिया गया है।

करंदीकर को उनकी किताब ‘‘वैचारिक घुसलन’’ के लिए ‘सामान्य साहित्य’ श्रेणी के तहत यशवंतराव चव्हाण साहित्य पुरस्कार, 2021 के लिए चुना गया है।

करंदीकर ने पीटीआई-भाषा से कहा कि वह कोबाड के विचारों से सहमत नहीं हैं, लेकिन लोकतंत्र में उन्हें (कोबाड को) अपने विचार प्रस्तुत करने का अधिकार है और लेले ने पुस्तक का सिर्फ अनुवाद किया है।

लेखक ने कहा, ‘‘मैंने महाराष्ट्र राज्य साहित्य एवं संस्कृति बोर्ड को पत्र लिखकर सूचित किया है कि मैं अपना पुरस्कार और प्रदान किये गये एक लाख रुपये वापस करना चाहता हूं।’’

भाषा

शफीक सुभाष

सुभाष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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