नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संवैधानिक पीठ का अयोध्या पर फैसले ने पूजा स्थल एक्ट 1991 को दोबारा चर्चा में ला दिया है. इस फैसले को 1991 एक्ट के तहत चुनौती दी जा सकती है.
इस एक्ट के जरिए पीआईएल दायर करने की चर्चा लगातार होती रही है. संभव है कि कोई याचिका जल्दी ही सुप्रीम कोर्ट में देखने को मिले. लिहाजा 18 सितम्बर 1991 को बने प्लेसेज ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रोविजन) एक्ट 1991 क्या कहता है यह जानना जरूरी है.
क्या है प्लेसेज़ ऑफ़ वर्शिप (स्पेशल प्रोविज़न) एक्ट, 1991
इस एक्ट अनुसार 15 अगस्त 1947 तक अस्तित्व में आए हुए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को एक आस्था से दूसरे धर्म में परिवर्तित करने और किसी स्मारक के धार्मिक आधार पर रखरखाव पर रोक लगाता है.
यह मान्यता प्राप्त प्राचीन स्मारकों पर धाराएं लागू नहीं होंगी. यह अधिनियम उत्तर प्रदेश के अयोध्या में स्थित राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद और उक्त स्थान या पूजा स्थल से संबंधित किसी भी वाद, अपील या अन्य कार्यवाही के लिए लागू नहीं होता है.
इस अधिनियम ने स्पष्ट रूप से अयोध्या विवाद से संबंधित घटनाओं को वापस करने की अक्षमता को स्वीकार किया.
बता दें कि बाबरी संरचना को ध्वस्त करने से पहले 1991 में पी.वी नरसिम्हा राव द्वारा एक कानून लाया गया था.
यह अधिनियम जम्मू और कश्मीर राज्य को छोड़कर पूरे भारत में फैला हुआ है. राज्य के लिए लागू होने वाले किसी भी कानून को वहां की विधानसभा द्वारा अनुमोदित किया करना होता है.
उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1991 ने कहा कि सभी प्रावधान 11 जुलाई, 1991 को लागू होंगे.
धारा 3, 6 और 8 तुरंत लागू होंगे. धारा 3 में पूजा स्थलों का रूपांतरण भी होता है. 1991 के इस अधिनियम के तहत अपराध एक जेल की अवधि के साथ दंडनीय हैं जो तीन साल तक की सजा के साथ-साथ जुर्माना भी हो सकता है.
अपराध को जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 8 (खंड ‘ज’ के रूप में) में शामिल किया जाएगा, चुनाव में उम्मीदवारों को अयोग्य ठहराने के उद्देश्य से उन्हें अधिनियम के तहत दो साल या उससे अधिक की सजा सुनाई जानी चाहिए.
एक्ट अयोध्या विवाद पर लागू नहीं होता
राम जन्मभूमि विवाद दो समुदायों के एक स्थल को लेकर जुड़ा है- हिंदुओं का मानना है कि विवादित अयोध्या की भूमि भगवान राम का जन्मस्थान है, जबकि मुस्लिमों का दावा 16वीं शताब्दी के मस्जिद के लिए है जो यहां 1992 तक मौजूद थी.
भूमि पर मस्जिद स्वतंत्र तौर मौजूद थी लेकिन 1992 में ढांचे को ध्वस्त कर दिया गया था.
फिलहाल प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट राम जन्मभूमि विवाद और ‘इससे संबंधित किसी भी वाद, अपील या कार्यवाही’ पर लागू नहीं होता है.