नई दिल्ली: मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर अरूप पटनायक बीजू जनता दल (बीजेडी) के टिकट पर ओडिशा के पुरी से दूसरी बार लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आज़माने वाले हैं. पटनायक का मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के संबित पात्रा से है.
1979 बैच के रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी, बीजद उम्मीदवार ने पिछला लोकसभा चुनाव भुवनेश्वर से लड़ा था, जिसमें वे भाजपा की पूर्व आईएएस अधिकारी अपराजिता सारंगी से लगभग 21,000 वोटों के अंतर से हार गए थे.
1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट मामले में अभिनेता संजय दत्त की गिरफ्तारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पटनायक उन कई आईपीएस अधिकारियों में से एक हैं, जिन्होंने “खाकी से खादी” में छलांग लगाई और राजनीति में अपना हाथ आज़माया.
उन्होंने बीजद द्वारा मैदान में उतारे जाने के बाद समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, “यह मेरी तकदीर हैं. मेरा जन्म पुरी जिले में हुआ…एक तरह से यह घर लौटने जैसा है. मेरी ज्यादातर ज़िंदगी ओड़िशा के बाहर बीती है, यह संतोष की बात है कि इस उम्र में, भगवान जगन्नाथ ने मुझे कुछ करने के लिए वापस बुलाया है. मैं इस लोकसभा चुनाव के लिए मुझे चुने जाने के लिए मुख्यमंत्री का भी आभारी हूं.”
#WATCH | Lok Sabha elections 2024 | Odisha: On being fielded by the BJD from Puri seat, Arup Patnaik says, "This is my destiny. I was born in Puri district…In a sense, it is like coming back…Most of life was spent outside Odisha and it is a matter of satisfaction that at this… pic.twitter.com/EhejYHI1e1
— ANI (@ANI) March 27, 2024
हालांकि, जब पुलिस आयुक्तों की बात आती है, तो वे यह कदम उठाने वाले कुछ लोगों में से एक हैं. दिप्रिंट उन पुलिस आयुक्तों पर नज़र डाल रहा है जिन्होंने हाल के वर्षों में राजनीति में अपनी किस्मत आज़माई.
सत्यपाल सिंह: पटनायक की तरह, सत्यपाल सिंह, 1980 बैच के महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस अधिकारी, मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त हैं और 2014 से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत से संसद सदस्य हैं. मुंबई पुलिस आयुक्त रहते हुए, उन्हें कथित तौर पर 1990 के दशक में मुंबई के संगठित अपराध सिंडिकेट को नष्ट करने का श्रेय दिया जाता है.
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के तहत, उन्हें जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया था. 2016 में सिंह ने आरोप लगाया था कि यूपीए सरकार ने उनसे इशरत जहां मुठभेड़ मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फंसाने के लिए कहा था.
सिंह अब असमंजस में हैं, क्योंकि भाजपा ने बागपत सीट जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) को दे दी है.
निखिल कुमार: एजीएमयूटी कैडर के 1963 बैच के अधिकारी और दिल्ली पुलिस के पूर्व आयुक्त, कुमार एक दुर्लभ आईपीएस अधिकारी हैं जो सांसद से राज्यपाल बने. 2001 में सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद, उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड का सदस्य नियुक्त किया गया. 2004 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर बिहार के औरंगाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीता.
2009 और 2013 में उन्हें क्रमशः नागालैंड और केरल का राज्यपाल नियुक्त किया गया. ऐसा कहा जा रहा था कि वे इस बार औरंगाबाद से चुनाव लड़ने के इच्छुक थे, लेकिन कांग्रेस की सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने इस सीट पर अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया है, जिससे वे नाराज़ हैं.
भास्कर राव: कर्नाटक कैडर के 1990-बैच के अधिकारी, राव अगस्त 2019 और 2020 के बीच बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त रहे हैं. 2021 में उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) का विकल्प चुना और कथित तौर पर दोनों द्वारा प्रेमालाप किए जाने के बाद कांग्रेस और भाजपा के बाद वे आम आदमी पार्टी (आप) में शामिल हो गए, जिसके बारे में उनका दावा था कि उसकी ताकत सबसे कम है.
2023 तक वे भाजपा में चले गए और चामराजपेट से कर्नाटक चुनाव में असफल रहे. हालांकि, उन्हें इस बार मैसूरु लोकसभा क्षेत्र से टिकट की उम्मीद थी, लेकिन राव को पार्टी ने उम्मीदवार नहीं चुना. 2023 में राव ने कहा था कि भाजपा को मुसलमानों के प्रति अधिक समावेशी होना चाहिए, क्योंकि उनका डीएनए हिंदुओं के समान है.
हुमायूं कबीर: 2021 में सुवेंदु अधिकारी की रैली में कथित तौर पर ‘गोली मारो’ का नारा लगाने वाले भाजपा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने के लिए सुर्खियों में आने के महीनों बाद, कबीर को सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने पश्चिम बंगाल में निर्वाचन क्षेत्र डेबरा विधानसभा से टिकट देकर पुरस्कृत किया था. टीएमसी में शामिल होने के लिए वीआरएस लेने से पहले कबीर चंदननगर के पुलिस आयुक्त थे.
डेबरा में उन्हें एक अन्य पूर्व आईपीएस समकक्ष, भारती घोष के खिलाफ खड़ा किया गया, जो 2019 तक ममता बनर्जी की करीबी थीं, जब उनका बंगाल सीएम के साथ मतभेद हो गया और वे भाजपा में शामिल हो गईं. कबीर उस सीट से चुनाव जीत गए.
2023 में कबीर ने पंचायत चुनावों के दौरान राजनीतिक हिंसा पर नाखुशी जताई, जिसके कारण पार्टी को कारण बताओ नोटिस मिला.
असीम अरुण: 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी अरुण ने कानपुर के पुलिस आयुक्त रहते हुए 2022 में सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली. 2022 के उत्तर प्रदेश चुनाव में भाजपा द्वारा कन्नौज से मैदान में उतारे गए अरुण ने समाजवादी पार्टी के गढ़ से जीत हासिल की. इसके बाद उन्हें योगी सरकार के मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया.
के.आर. नागराजू: आंध्र प्रदेश/तेलंगाना कैडर के एक आईपीएस अधिकारी, नागराजू तेलंगाना में निज़ामाबाद के आयुक्त रहे हैं. अधिकारी रहते हुए अपने अधिकांश कार्यकाल के दौरान, उन्होंने नक्सल प्रभावित वारंगल जिले में काम किया.
वे 1989 में उप-निरीक्षक पद पर पुलिस बल में शामिल हुए और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में उनके काम के कारण मिली पदोन्नति के कारण उन्हें आईपीएस अधिकारी के पद पर पदोन्नत किया गया. पिछले साल, उन्होंने वर्धन्नापेट से कांग्रेस के टिकट पर तेलंगाना चुनाव लड़ा और 17,000 से अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल की.
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