नई दिल्ली: राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने शुक्रवार को जानकारी दी कि राजस्थान के भीलवाड़ा में लड़कियों को बेचने की घटना पर संज्ञान लेते हुए आयोग की एक टीम को भीलवाड़ा का दौरा करेगी.
शर्मा ने कहा, ‘आयोग की एक टीम को भीलवाड़ा भेजा जा रहा है. वो एक नवंबर को मैं राजस्थान के मुख्यमंत्री और एसपी भीलवाड़ा से मिलूंगी. पिछले कुछ वर्षों से राज्य से ऐसी ही घटनाएं सामने आई हैं लेकिन अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.’
वहीं, राजस्थान के मंत्री प्रताप खाचरियावास ने घटना से इनकार करते हुए कहा है कि यह जांच का विषय है. उन्होंने कहा, ‘क्या मामला है, सच्चाई क्या है, सामने आने दीजिए. जांच के बाद सरकार अपना बयान देगी. एनएचआरसी को इस बारे में पहले राजस्थान पुलिस से बात करनी चाहिए थी. ये कोई राजनीति मुद्दा नहीं है. राज्य में बच्चियों को बेकने की घटनाएं नहीं होती हैं.’
बता दें कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने राजस्थान सरकार को नोटिस दिया है. नोटिस राजस्थान के कई जिलों में 8-18 वर्ष की आयु की लड़कियों को स्टांप पेपर पर कथित रूप से बेचने और उसके इनकार के परिणामस्वरूप राज्य में जाति पंचायतों के फरमान पर विवादों को निपटाने के लिए उनकी माताओं के साथ दुष्कर्म को लेकर दिया गया है.
वहीं, राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने गुरुवार को भीलवाड़ा की घटना की निंदा करते हुए कहा कि मामले में तत्काल संज्ञान लिया गया है.
बेनीवाल ने कहा, ‘हम भीलवाड़ा की घटना की निंदा करते हैं और हमने तुरंत स्वत: संज्ञान लिया. भीलवाड़ा के डीएम और एसपी को तीन दिनों में विस्तृत रिपोर्ट देने के लिए नोटिस जारी किया गया था.’
इससे पहले, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने राजस्थान सरकार को स्टंप पेपर पर लड़कियों की कथित नीलामी और राज्य में जाति पंचायतों के फरमान पर विवादों को निपटाने के लिए उनकी माताओं के बलात्कार के कारण मना करने पर नोटिस जारी किया था।
एनएचआरसी ने एक मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया है.
प्रेस रिलीज में कहा गया है कि कथित तौर पर, जब भी दोनों पक्षों के बीच विशेष रूप से वित्तीय लेनदेन और कर्ज आदि को लेकर कोई विवाद होता है, तो पैसे की वसूली के लिए 8-18 वर्ष की उम्र की लड़कियों की नीलामी की जाती है.
इन लड़कियों को यूपी, एमपी, मुंबई, दिल्ली और यहां तक कि विदेशों में भेजा जा रहा है और गुलामी में शारीरिक शोषण, प्रताड़ना और यौन उत्पीड़न का शिकार बनाया जा रहा है. बयान के अनुसार, मीडिया रिपोर्टों ने इस तरह के जघन्य अपराधों की कई पीड़ितों के बयानों का दस्तावेजीकरण किया है.
आयोग का कहना है कि मीडिया रिपोर्ट अगर सही हैं, तो इस तरह की घिनौनी प्रथा के पीड़ितों के मानवाधिकारों का उल्लंघन है. इसने राजस्थान के मुख्य सचिव को एक नोटिस जारी कर मामले पर एक विस्तृत रिपोर्ट के साथ-साथ की गई कार्रवाई रिपोर्ट, पहले से किए गए उपायों और यदि नहीं, तो ऐसी भयानक घटनाओं को रोकने के लिए किए जाने का प्रस्ताव देने को कहा है.
रिपोर्ट में यह भी शामिल करने को कहा गया है कि राज्य सरकार कैसे संवैधानिक प्रावधानों या पंचायती राज कानून के अनुसार ग्राम पंचायत के कार्यों को सुनिश्चित कर रही है ताकि राज्य में लड़कियों और महिलाओं के मानवाधिकारों प्रभावित करने वाली जाति व्यवस्था को खत्म किया जा सके.
राजस्थान के पुलिस महानिदेशक को इस तरह के अपराध के अपराधियों और उनके उकसाने वालों/सहानुभूतियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का जिक्र करते हुए एक विस्तृत रिपोर्ट देने के लिए भी नोटिस जारी किया गया है.
अधिकारियों द्वारा मामले में कार्रवाई और लापरवाही का उल्लेख करने का भी आदेश दिया गया है. इस पर मुख्य सचिव और डीजीपी दोनों की चगप हफ्तों के भीतर अपनी प्रतिक्रिया देने को कहा गया है.
इस बीच, आयोग ने अपने विशेष प्रतिवेदक, उमेश कुमार शर्मा को राजस्थान राज्य के भीतर प्रभावित क्षेत्रों निरीक्षण करने और एक व्यापक रिपोर्ट दाखिल करने के लिए भी कहा है.
क्या है मामला
26 अक्टूबर 2022 को की गई मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सीरिया और इराक में लड़कियों को गुलाम बनाने जेसी प्रथा के मामले को उजागर करते हुए बताया गया था कि राजस्थान में जाति पंचायतें इस तरह के अपराध को अंजाम दे रही हैं. कथित तौर पर, भीलवाड़ा में, जब भी दोनों पक्षों के बीच कोई विवाद होता है, तो वे पुलिस के पास जाने के बजाय, इसके निपटारे के लिए जाति पंचायतों से संपर्क करते हैं. बच्चियों को गुलाम बनाने की शुरुआत होती है, अगर उन्हें बेचा नहीं जाता है तो उनकी माताओं को बलात्कार का आदेश दिया जाता है.
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि 15 लाख रुपए का भुगतान करने के लिए जाति पंचायत ने एक आदमी को पहले अपनी बहन को बेचने के लिए मजबूर किया और इसके बाद भी जब कर्ज नहीं चुकाया गया, तो उसे अपनी 12 वर्षीय बेटी को बेचने के लिए मजबूर किया गया. खरीदार ने लड़की को 8 लाख रुपये में खरीदा था.
उसके बाद, सभी पांच बहनें गुलाम बन गईं लेकिन फिर भी उनके पिता उसका कर्ज नहीं चुका सके. एक अन्य घटना में एक व्यक्ति को अपना घर बेचने और कर्ज लेने के लिए मजबूर किया गया. पत्नी के इलाज के लिए 6 लाख, जिसकी बाद में मौत हो गई, उसने रुपये ले लिए. मां के इलाज के लिए छह लाख रुपये और ले लिए. कर्ज चुकाने के लिए उसने अपनी छोटी बेटी को 6 लाख में बेच दिया, खरीदार उसे आगरा ले गए. उसे तीन बार बेचा गया और चार बार गर्भवती हुई.
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