कोच्चि, 29 सितंबर (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने सबरीमला मंदिर में कीमती सामान के रखरखाव में हुई चूक को “गंभीर” करार देते हुए एक सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश के नेतृत्व में स्ट्रांग रूम का व्यापक निरीक्षण कराने का सोमवार को सुझाव दिया।
न्यायमूर्ति राजा विजयराघवन वी और न्यायमूर्ति केवी जयकुमार की पीठ ने सबरीमला मंदिर के गर्भगृह के सामने द्वारपालकों (संरक्षक देवता) की मूर्तियों पर चढ़ी सोने की परत वाली तांबे की चादरों के वजन में कमी के सिलसिले में त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (टीडीबी) के सतर्कता अधिकारी की ओर से सोमवार को एक रिपोर्ट दायर किए जाने के बाद मामले की जांच के आदेश दिए।
गौरतलब है कि 2019 में जब मूर्तियों पर चढ़ी तांबे की चादरों को और सोना चढ़ाए जाने के लिए हटाया गया था, तब उनका वजन 42.8 किलोग्राम था। हालांकि, जब इन चादरों को सोने की परत चढ़ाने का काम करने वाली कंपनी के पास भेजा गया, तो इनका वजन 38.258 किलोग्राम दर्ज किया गया।
देवस्वोम से जुड़े मामलों की सुनवाई करने वाली पीठ ने पहले इस मामले की सतर्कता जांच के आदेश दिए थे।
अदालत ने पाया कि मंदिर के रिकॉर्ड ठीक से नहीं रखे जा रहे थे और निर्देश दिया कि अधिकारियों की ओर से हुई गंभीर चूक की जांच की जाए।
उच्च न्यायालय ने एक विस्तृत ऑडिट का सुझाव दिया और कहा कि एक सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश के नेतृत्व में स्ट्रांग रूम के व्यापक निरीक्षण के दौरान मंदिर में मौजूद तिरुवभरणम (पवित्र आभूषण) सहित सभी मूल्यवान वस्तुओं की सूची बनाई जानी चाहिए।
अदालत ने निर्देश दिया कि गर्भगृह के द्वारों की मरम्मत मंदिर के कार्यकारी अधिकारी की देखरेख में की जाए।
सतर्कता अधिकारी ने अदालत को बताया कि द्वारपालकों का सोने की परत वाला पीठम (चबूतरा), जिसके पहले गायब होने की सूचना दी गई थी, प्रायोजक उन्नीकृष्णन पोट्टी के रिश्तेदार के घर से बरामद किया गया है।
इस पर अदालत ने स्पष्ट किया कि जांच केवल पोट्टी तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसमें प्रबंधन और जवाबदेही में व्यापक चूक को भी शामिल किया जाना चाहिए।
उच्च न्यायालय ने टीडीबी को सोने की परत वाली चादरों को फिर से लगाने की भी अनुमति दे दी, जिन्हें मरम्मत कार्य के बाद चेन्नई से वापस सबरीमला लाया गया है।
मामले में अगली सुनवाई अक्टूबर के अंत में होगी।
भाषा पारुल जितेंद्र
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