कोच्चि: केरल हाई कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि यौन उत्पीड़न के शिकार हुए लोगों को और ज्यादा शोषण या उनका मजाक उड़ाए जाने से पूरी तरह बचाने की जरूरत है क्योंकि सामने आकर यह कहने के लिए बहुत साहस जुटाने की जरूरत होती है कि उनका यौन उत्पीड़न हुआ है.
इसके साथ ही अदालत ने यौन उत्पीड़न के शिकार लोगों को जांच प्रक्रिया के नाम पर और ज्यादा दिक्कत झेलने से बचाव के लिए सभी वकीलों से सुझाव मांगा. इस मामले में अब 12 जनवरी को आगे सुनवाई होगी.
जस्टिस देवन रामचंद्रन ने कहा कि यौन उत्पीड़न का शिकार हुए लोगों की सुरक्षा और सहायता के लिए नियम हैं लेकिन यह दुखद है कि कई बार उनका प्रभावी ढंग से लागू नहीं होते.
अदालत ने कहा, ‘यौन उत्पीड़न का शिकार हुए व्यक्ति को शिकायत करने के लिए बहुत साहस की जरूरत होती है और कुछ मामलों में जांच प्रक्रिया के नाम पर आरोप लगाते देखे गए हैं जिससे पीड़िता और अधिक आहत होती है और उसका उपहास किया जाता है.’
अदालत ने कहा, ‘ऐसा कभी नहीं होना चाहिए. इसे रोकना होगा. हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यौन उत्पीड़न के शिकार हुए सभी लोगों की सुरक्षा की जाए और उन्हें पूरी तरह से कानून का सहयोग मिले.’
अदालत ने कहा कि यह कोई छोटा मामला नहीं है, इसीलिए गोपनीयता के सारे सिद्धांत बनाए गए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पीड़ित को जनता की नजरों का सामना नहीं करना पड़े.
अदालत ने यह टिप्पणियां पुलिस संरक्षण के लिए याचिका पर सुनवाई के दौरान कीं. इस याचिका में पीड़िता का आरोप है कि उसे न सिर्फ आरोपी ही परेशान कर रहा है बल्कि कुछ पुलिस अधिकारी भी ऐसा कर रहे हैं और इसका नतीजा यह हुआ है कि वह अपने नजदीकी रिश्तेदारों के यहां पनाह लेने के लिए मजबूर है.
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