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रविवार, 11 मई, 2025
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केरल के मुख्यमंत्री ने श्री नारायण गुरु की 170वीं जयंती पर उनकी शिक्षाओं को याद किया

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तिरुवनंतपुरम, 20 अगस्त (भाषा) केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने मंगलवार को श्री नारायण गुरु की 170 वीं जयंती के मौके पर जाति- प्रथा और सामाजिक बुराइयों पर सवाल उठाने वाली उनकी शिक्षाओं को याद किया।

विजयन ने कहा कि श्री नारायण गुरु ने जाति-आधारित उत्पीड़न और आर्थिक शोषण के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया था।

उन्होंने कहा कि यह वर्ष 1924 में अलुवा अद्वैत आश्रम में श्री नारायण गुरु के नेतृत्व में हुए अंतर-धार्मिक सम्मेलन का शताब्दी वर्ष भी है।

विजयन ने फेसबुक पर लिखा, “अंतर-धार्मिक सम्मेलन ने धार्मिक और जातीय शत्रुता से दूषित समाज में भाईचारे और मानवीय एकता का संदेश दिया। पिछले सौ वर्षों में इस विचार की प्रासंगिकता लगातार बढ़ी है।”

मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि केरल समाज में नवजागरण की अलख जगाने वाले संत सुधारक श्री नारायण गुरु का प्रयास एवं उनके संघर्ष का इतिहास हमेशा एक मार्गदर्शक के रूप में काम करेगा। उन्होंने सभी को ‘श्री नारायण गुरु जयंती की’ बधाई दी।

इससे पहले, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने श्री नारायण गुरु की 170 वीं जयंती की पूर्व संध्या पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की थी।

खान ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा था, “श्रीनारायण गुरु की 170 वीं जयंती पर उन्हें मेरा विनम्र प्रणाम। आइए, इन महान गुरु द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों को अपनाते हुए हम अपने विचारों, शब्दों और कार्यों में पवित्रता लाएं।”

श्री नारायण गुरु ने “मानव जाति के लिए एक जाति, एक धर्म और एक भगवान” का संदेश दिया था।

उन्नीसवीं सदी के अध्यात्मिक गुरु और समाज सुधारक श्री नारायण गुरु का जन्म एझावा समुदाय के एक पिछड़े परिवार में उस युग में हुआ था, जब ऐसे समुदायों के लोगों को केरल में जातपात वाले समाज में सामाजिक अन्याय का सामना करना पड़ता था।

भाषा पारुल राजकुमार

राजकुमार

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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