तिरुवनंतपुरम, 26 मार्च (भाषा) केरल की मुख्य सचिव शारदा मुरलीधरन ने रंग एवं लैंगिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई और कहा कि यह आज भी समाज में मौजूद है।
शारदा ने रंग व लैंगिक भेदभाव का सामना किया, जिसके बाद उन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाई।
इस मुद्दे को लेकर अब सोशल मीडिया पर चर्चा शुरू हो गई है और विभिन्न क्षेत्रों से उन्हें समर्थन मिल रहा है।
शारदा मुरलीधरन ने ‘फेसबुक’ एक पोस्ट में बताया कि कैसे बचपन से ही उन्हें सांवले रंग के कारण कमतर महसूस होता था लेकिन उनके बच्चों ने उन्हें यह समझने में मदद की कि काला रंग भी ‘सुंदर’ होता है।
केरल के मुख्य सचिव पद पर अपने पति डॉ. वी. वेणु की जगह लेने वाली शारदा मुरलीधरन ने कहा कि हाल ही में मुख्य सचिव के रूप में उनके कार्यकाल की तुलना किसी ने उनके पति के कार्यकाल से की, जिसने टिप्पणी की थी कि ‘‘यह उतना ही काला है, जितना उनके पति के समय सफेद था’’।
शारदा मुरलीधरन ने इस टिप्पणी से आहत होकर इस बारे में फेसबुक पर एक पोस्ट किया लेकिन बाद में इसे हटा दिया क्योंकि वह ‘प्रतिक्रियाओं की झड़ी से घबरा गई थीं’।
उन्होंने अपने पोस्ट में कहा, “मैं इसे फिर से पोस्ट कर रही हूं, क्योंकि कुछ शुभचिंतकों ने कहा कि ऐसी चीजें हैं, जिन पर चर्चा की जानी चाहिए। मैं सहमत हूं। तो, एक बार फिर यहां पर चर्चा हो रही है।”
इस पोस्ट पर 1,000 से अधिक ‘रिएक्शन’ आए और कई लोगों ने टिप्पणियां कीं तथा सैकड़ों लोगों ने इसे साझा किया।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वीडी सतीशन ने शारदा मुरलीधरन के पोस्ट को इस टिप्पणी के साथ साझा किया, “प्रिय शारदा मुरलीधरन को सलाम। आपने जो भी लिखा है, वह दिल को छू लेने वाला है। इस पर चर्चा होनी चाहिए। मेरी मां भी काली थीं।”
मुरलीधरन ने उनके रंग पर टिप्पणी करने वाले का नाम लिए बिना कहा कि वह इस घटना को उजागर करना चाहती थीं, क्योंकि इससे उन्हें ठेस पहुंची है।
भाषा जितेंद्र नेत्रपाल
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