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Wednesday, 24 April, 2024
होमदेशअफगान IS के हमलों में भारतीय हमलावरों का नेतृत्व करने वाले कश्मीर जिहाद कमांडर के मारे जाने का अनुमान

अफगान IS के हमलों में भारतीय हमलावरों का नेतृत्व करने वाले कश्मीर जिहाद कमांडर के मारे जाने का अनुमान

किसी समय में श्रीनगर के लोहा गलाने वाले कारखाने में प्रशिक्षु रहे जिहाद कमांडर एजाज अहमद अहंगेर को इसी साल जनवरी में गृह मंत्रालय द्वारा आतंकवादी घोषित किया गया था.

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नई दिल्ली: कश्मीर में जन्मे जिहाद कमांडर एजाज़ अहमद अहंगेर – जिसे कथित तौर पर काबुल और जलालाबाद में भारतीय नागरिकों द्वारा अंजाम दिए गए सिलसिलेवार आत्मघाती हमलों हेतु जिम्मेदार, एक इस्लामिक स्टेट सेल का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है – के बारे में माना जाता है कि वह दक्षिणी अफगानिस्तान में मारा गया है. खुफिया अधिकारीयों के साथ ही साथ उसके परिवार के सदस्यों ने भी दिप्रिंट के साथ बातचीत में कुछ ऐसा ही बताया है.

किसी समय में श्रीनगर के लोहा गलाने वाले कारखाने में प्रशिक्षु रहे इस शख्स को इसी साल जनवरी में गृह मंत्रालय द्वारा आतंकवादी घोषित किया गया था.

जैसा कि अहंगेर की बहन फ़हमीदा शफ़ी ने दिप्रिंट को बताया कि अधिकारियों ने उनके परिवार को सूचित किया है कि यह आतंकवादी सरगना हमेशा के लिए सो गया है. उसने कहा, ‘पुलिस ने मेरे बड़े भाई को कुछ दिन पहले यह खबर देने के लिए बुलाया. मुझे नहीं पता कि यह सच है या नहीं, लेकिन मैं तब से रो ही रही हूं.’

उधर जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक विजय कुमार ने इस बारे में कोई भी टिप्पणी करने से इनकार किया.

खुफिया सूत्रों ने बताया कि अहंगर की हत्या दक्षिणी अफगानिस्तान के कुनार क्षेत्र में सक्रिय इस्लामिक स्टेट इकाइयों के खिलाफ तालिबान द्वारा की जा रही कार्रवाई से जुड़ी हुई प्रतीत होती है.

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माना जाता है कि भारतीय खुफिया अधिकारियों ने पिछले साल के अंत में तालिबान के साथ हुई बैठकों में अहंगर के मामले को उठाया था.

बता दें कि जिहादियों के बीच सत्ता संघर्ष में आई तेजी के दरम्यान इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों ने हाल के महीनों में तालिबान के दर्जनों सदस्यों को मार डाला है.

अफगान जांचकर्ताओं ने कासरगोड में जन्मे मुहम्मद मुहसिन द्वारा मार्च 2020 के किये गए आत्मघाती बम विस्फोट के मुख्य साजिशकर्ता के रूप में अहंगेर, जिसने काबुल स्थित गुरुद्वारा कार्त-ए परवन में एक सुरक्षा गार्ड और 24 सिख श्रद्धालुओं की हत्या कर दी थी, का ही जिक्र किया था.

माना जाता है कि केरल के कासरगोड में कभी एक दंत चिकित्सक के रूप में कार्यरत इजास कल्लूकेट्टिया पुरयिल द्वारा जलालाबाद में किये गए आत्मघाती हमले के लिए भी अहंगेर ही जिम्मेदार था.

ऐसा माना जाता है कि यह आतंकी कमांडर अपने पीछे अपनी पहली पत्नी रुखसाना अहंगर के साथ-साथ दो बेटियों, 1997 में जन्मी सबीरा अहंगर और 2001 में जन्मी टोबा अहंगर, को छोड़ गया है.

पारिवारिक सूत्रों ने कहा कि उन्होंने पिछले साल अहंगेर से बात की थी, लेकिन उन्हें उनकी पत्नी और बच्चों के ठिकाने के बारे में कुछ भी पता नहीं था.

अहंगेर को अपने परिवार के साथ अफगानिस्तान में ही कैद कर लिया गया था, लेकिन साल 2021 में इस देश के तालिबान के कब्जे में आने के बाद वह जेल से भाग गया. इस्लामाबाद स्थित दो मीडिया सूत्रों ने बताया कि उसके परिवार के कब्जे वाले घर में फिलहाल ताला लगा हुआ है.


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जिहाद में बीती जिंदगी

संभवतः 1973 के आसपास पैदा हुए, अहंगेर ने अपनी किशोरावस्था में ही औपचारिक शिक्षा छोड़ दी थी, और फिर हरकत-उल-मुजाहिदीन द्वारा चलाए जा रहे जिहाद शिविर में प्रशिक्षण लेने के लिए नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार चला गया था.

साल 1992 में हुई उसकी गिरफ्तारी के बाद, अहंगेर ने जम्मू-कश्मीर पुलिस के पूछताछकर्ताओं को बताया था कि उसे 40 रंगरूटों के एक समूह के रूप में पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा स्थित मीरनशाह के एक केंद्र में भेजा गया था, जहां उसने स्वचालित हथियारों और विस्फोटक के इस्तेमाल में छह सप्ताह का प्रशिक्षण प्राप्त किया था.

साल 1984 में जिहादी आंदोलन के वैचारिक शक्ति केंद्र माने जाने वाले कराची स्थित जामिया उलूम-उल-इस्लामिया मदरसा के एक छात्र रहे फ़ज़ल-उल-रहमान खलील द्वारा स्थापित हरकत-उल-मुजाहिदीन के अफगान जिहाद के संरक्षक जलालुद्दीन हक्कानी के साथ-साथ पूर्व अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन से भी घनिष्ठ संबंध थे.

हालांकि, जिहादी आंदोलन में अहंगेर का उदय साल 1992 में हुई उसकी गिरफ्तारी के बाद ही हुआ था . पुलिस सूत्रों का कहना है कि जेल के अंदर रहते हुए ही उसे एक मौलवी अब्दुल गनी डार, जिसने तहरीक-उल-मुजाहिदीन की स्थापना की थी, की रहनुमाई हसिल हुई. तहरीक-उल-मुजाहिदीन एक अपेक्षाकृत छोटा आतंकी समूह था, लेकिन पाकिस्तान और अफगानिस्तान में फैले व्यापक जिहादी आंदोलन के साथ इसके नजदीकी रिश्ते थे .

साल 1995 में जेल से रिहा होने के बाद अहंगेर की शादी डार की बेटी रुखसाना से हुई थी. पुलिस सूत्रों का कहना है कि यह शादी बडगाम के पास रुसु में स्थित डार के परिवार के घर में ही हुई थी. कुछ समय के लिए, अहंगेर ने अपने पिता की फाउंड्री (लोहे गलाने के कारखाने) में लोहार के रूप में काम करना शुरू किया, लेकिन फिर साल 1996 में वह अपनी पत्नी के साथ नियंत्रण रेखा के पार भाग गया.

एक खुफिया सूत्र ने बताया कि अहंगर इस्लामाबाद स्थित हरकत-उल-मुजाहिदीन के कार्यालय में काम करता था और उसकी पत्रिका ‘शहादत’ का संपादन करता था. सूत्र ने कहा कि वह अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए रावलपिंडी में स्टेशनरी की एक छोटी सी दुकान भी चलाता था.

साल 2009 की शुरुआत में, रुखसाना काठमांडू के रास्ते से यात्रा करते हुए कश्मीर में अपने माता-पिता से पास मुलाकात के लिए आई थी. हालांकि, स्थानीय अधिकारियों को उसकी मौजूदगी का पता लग गया और अगले पांच वर्षों के लिए उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया गया. इस बीच, अहंगेर ने अल-कायदा के मारे गए जिहादी की पत्नी सायरा यूसुफ से दोबारा शादी कर ली. इस दंपति के दो बेटे, अब्दुल्ला इब्न-एजाज और अब्दुल रहमान थे.

वैश्विक आतंक की ओर झुकाव

साल 2010 के अंत में, जिहादी सरगना मुहम्मद इलियास कश्मीरी के नेटवर्क में शामिल होने के लिए अहंगेर मीरनशाह चला गया था.

इलियास – जो कश्मीर में जिहाद का एक दिग्गज माना जाता है, उस वक्त अल-क़ायदा में शामिल हो गया था – भारतीय जिहादियों, जिसमें भारतीय मुजाहिदीन के कमांडर रियाज शाहबंद्री और 26/11 के प्रमुख अपराधी डेविड हेडली शामिल थे, के लिए एक चुंबक बन गया था.

साल 2014 में पाकिस्तानी सेना द्वारा इलियास पर शिकंजा कसे जाने के बाद, अहंगेर और उसका परिवार सीमा पार करके अफगानिस्तान के पक्तिया प्रांत में भाग गया.

वहां, वह एक पाकिस्तानी जिहादी हाफिज सईद खान के इर्द-गिर्द बने जिहादियों के एक समूह में शामिल हो गया, जिसने आगे चलकर ‘इस्लामिक स्टेट इन अफगानिस्तान’ की स्थापना की. इस नए संगठन ने बड़ी संख्या में बांग्लादेशियों, पाकिस्तानियों और मालदीवियों सहित पूरे क्षेत्र आने वाले आतंकी रंगरूटों को आकर्षित किया.

फिर साल 2016 में, कम से कम 28 केरल निवासी – बच्चों और गर्भवती महिलाओं सहित – एक नए मिनी-स्टेट में शामिल होने के लिए कुनार पहुंचे.

अपने अस्तित्व के शुरूआती दिनों में इस्लामिक स्टेट बार-बार राजस्व और इलाकाई कब्जे को लेकर तालिबान के साथ टकराता रहता था. माना जाता है कि सायरा युसूफ और अहंगेर के छोटे बेटे को ऐसी ही एक झड़प के दौरान अगवा कर लिया गया था. यह भी माना जाता है कि बाद में अहंगेर की दोनों बेटियां और रुखसाना जल्द ही फिर से उसके पास आ गईं .

तालिबान प्रमुख हिबतुल्ला अखुंदजादा ने साल 2017 में हाफिज सईद खान के उत्तराधिकारी असलम फारूकी के साथ मिलकर इस्लामिक स्टेट के साथ एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया. इस समझौते की मध्यस्थता जलालुद्दीन हक्कानी के बेटे, सिराजुद्दीन हक्कानी ने की थी, जो एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नामित आतंकवादी है, और फिलहाल अफगानिस्तान का आंतरिक मंत्री भी है.

उस समझौते के बाद, अहंगेर को भारत से जुड़े निशानों के खिलाफ हमले करने के लिए गठित इस्लामिक स्टेट की एक नई इकाई का प्रभार दिया गया था. पाकिस्तानी जिहादी आमिर सुल्तान हुजैफा – जिसकी शादी अहंगेर की बेटी सबीरा से हुई है – को इस्लामिक स्टेट की पत्रिका, सावत अल-हिंद, के प्रकाशन का प्रभार दे दिया गया था.

खुफिया अधिकारियों का कहना है कि अहंगेर ने तीसरी बार निकाह करते हुए रूसी नागरिक लीना आइशा से भी शादी की थी, जिसका ताजिक मूल का पति लड़ाई के दौरान मारा गया था.

अप्रैल 2020 में, अहंगर ने फिर से अपना ठिकाना बदला और इस बार कंधार स्थिर एक सुरक्षित ठिकाने पर चला गया. उसे वहां से अफगान खुफिया अधिकारियों द्वारा खोज निकाला गया था, और असलम फारूकी तथा सेल के कई अन्य सदस्यों के साथ रखा गया था. अफगान सुरक्षा बलों ने 10 उन भारतीय महिलाओं को भी हिरासत में लिया था, जो इस्लामिक स्टेट के लड़कों की पत्नियां थीं.

असलम फ़ारूक़ी के पिछले साल ऐसी परिस्थितियों में मारे जाने की सूचना मिली थी,जो अभी भी अस्पष्ट हैं.

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(अनुवाद: रामलाल खन्ना | संपादन: अलमिना खातून)


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