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Sunday, 8 December, 2024
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हरियाणा के गौरक्षक केवल वालंटियर नहीं, बल्कि मोनू मानेसर जैसे लोग ‘आधिकारिक’ जिम्मेदारी भी संभालते हैं

कथित तौर पर दो पशु तस्करों की मौत का आरोपी मानेसर हरियाणा सरकार के गुरुग्राम स्पेशल काउ प्रोटेक्शन टास्क फोर्स का हिस्सा है. गौ संरक्षण की इस पूरी व्यवस्था में हजारों ‘स्वयंसेवक’ भी शामिल हैं.

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चंडीगढ़: हरियाणा में गो-तस्करी के दो संदिग्धों की मौत में कथित संलिप्तता को लेकर बजरंग दल सदस्य मोनू मानेसर पर मामला दर्ज होने के तुरंत बाद, उसकी पुलिस और सरकारी अधिकारियों के साथ कई तस्वीरें सामने आने लगीं. लेकिन इन्हें देखकर हैरानी जताने की कोई जरूरत नहीं, खासकर यह देखते हुए कि मोनू मानेसर हरियाणा सरकार के गौ रक्षा तंत्र का एक प्रमुख सदस्य है.

जुलाई 2021 में हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने गायों की तस्करी और गो वध रोकने, और ऐसी गतिविधियों में लिप्त लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने और आवारा मवेशियों के पुनर्वास के उद्देश्य से कई वरिष्ठ अधिकारियों को शामिल करके एक राज्य-स्तरीय विशेष गौ संरक्षण कार्य बल समिति गठित करने की अधिसूचना जारी की थी. इसके तहत प्रत्येक जिले के लिए विशेष गाय संरक्षण कार्य बल (एससीपीटीएफ) बनाया गया, जिनमें कुछ नामित गौ सेवक/रक्षक शामिल होते हैं.

मोनू मानेसर—जिसका असली नाम मोहित यादव है—गुरुग्राम प्रशासन की तरफ से गठित एससीपीटीएफ का सदस्य है. मोनू ने अपने लाइवस्ट्रीम छापों, हाई-स्पीड कारों का पीछा करने और अपने प्रयासों के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की तरफ से सम्मानित किए जाने वाली कुछ पोस्ट के साथ सोशल मीडिया पर गायों की रक्षा के लिए सक्रिय सदस्य के तौर पर खासी प्रतिष्ठा हासिल कर ली थी.

हरियाणा में एक ‘अनऑफिशियल’ सिस्टम भी काम करता है, जो आधिकारिक तौर पर गाय संरक्षण की व्यवस्था के साथ परोक्ष रूप से जुड़ा होता है.

नाम न छापने की शर्त पर सिरसा और फतेहाबाद जिलों के चार गौ रक्षकों ने स्वतंत्र रूप से दावा किया कि राज्य में 15,000 से अधिक गोरक्षक सक्रिय हैं, जो विभिन्न समूहों से जुड़े हुए हैं, जिनमें से तीन मुख्य हैं गौ रक्षा दल, बजरंग दल और गौपुत्र सेना.

सिरसा के एक गौ रक्षक ने कहा, ‘हम पुलिस के लिए सब कुछ करते हैं, गायों की तस्करी की जांच के लिए बैरियर लगाने से लेकर, वाहनों या तस्करों का पीछा करने, उन्हें पकड़ने और पुलिस को सौंपने तक.’

इन गौ रक्षकों ने यह भी बताया कि उन्होंने मुखबिरों का नेटवर्क तैयार किया और उन्हें बाकायदा विशेष आई-कार्ड भी जारी किए गए, ताकि उन्हें गो-तस्करी के संदिग्धों का ‘पीछा’ करते समय पुलिस चौकियों और तमाम तरह के कानूनी झमेलों से बचने में मदद मिले.

एक पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) ने रविवार को दिप्रिंट को बताया कि जब गौरक्षक या पुलिस कर्मी मवेशियों को ले जाने वाले वाहन को पकड़ते हैं तो जिला स्तर के एससीपीटीएफ सदस्य आमतौर पर स्थिति का जायजा लेने के लिए मौके पर पहुंचते हैं. उन्होंने कहा, ‘एससीपीटीएफ बकायदा काम कर रही है.’

गौ रक्षकों को अक्सर राज्य पुलिस की तरफ से सम्मानित किया जाता है क्योंकि वे गायों की तस्करी और गो-वध रोकने में मदद करते हैं, जो कि 2015 में हरियाणा सरकार की तरफ से लागू गौवंश संरक्षण और गौसंवर्धन अधिनियम के तहत अपराध है.

गुरुग्राम के पुलिस आयुक्त आईपीएस अधिकारी कला रामचंद्रन मोनू मानेसर का अभिनंदन करते हुए। तब से फोटो को मानेसर के सोशल मीडिया से हटा दिया गया है फेसबुक/मोनू मानेसर

दिप्रिंट से बातचीत में हरियाणा गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष और राज्य एससीपीटीएफ समिति के वास्तविक प्रमुख श्रवण कुमार गर्ग ने कहा कि गौ रक्षक राज्य में एक सराहनीय काम कर रहे हैं, चाहे वे एससीपीटीएफ के प्रत्यक्ष सदस्य हों या नहीं.

उन्होंने कहा कि मोनू मानेसर जैसे गौ रक्षकों के खिलाफ आरोपों की अभी जांच चल रही है और अभी तक कुछ साबित नहीं हुआ है. उनका यह भी मानना है कि गौ रक्षकों को गलत तरीके से फंसाया जा रहा है क्योंकि वे गौ रक्षा कानूनों को ‘सख्ती’ लागू करने में राज्य सरकार की मदद कर रहे थे.

हालांकि, हरियाणा में इस तरह की कई घटनाओं के मद्देनजर राजनीतिक विरोधियों और मानवतावादी संगठनों की तरफ से इंसानों की जान की कीमत पर गो संरक्षणवाद की आलोचना की जा रही है, चाहे इससे जुड़े लोग राज्य सरकार की तरफ से नियुक्त किए गए हों या नहीं.

अभी फरार चल रहे मोनू मानेसर का नाम ऐसे कम से कम तीन मामलों में लिया गया है.

पिछले हफ्ते, जब राजस्थान के भरतपुर के दो मुस्लिमों जुनैद और नासिर के जले हुए शव हरियाणा के लोहारू में पाए गए, तो उनके रिश्तेदारों ने मानेसर पर उनके अपहरण का आरोप लगाया. पुलिस ने उसके खिलाफ मामला दर्ज किया लेकिन वह फरार है और उसने एक ट्विटर वीडियो में दावा किया है कि वह उस समय गुरुग्राम के एक होटल में था, उसका मौतों से कोई लेना-देना नहीं हैं. असली दोषियों को दंडित किया जाना चाहिए.

इस महीने हरियाणा के नूंह में दर्ज एक अन्य शिकायत में मानेसर का नाम 21 वर्षीय वारिस खान की मौत के संबंध में सामने आया है. पुलिस का दावा है कि खान की मौत एक हादसे में हुई, लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में कथित तौर पर गौ रक्षकों को इस घायल युवक से उसका नाम और पता-ठिकाना पूछते दिखाया गया है. मानेसर का दावा है कि उनकी टीम ने खान की कार से एक गाय को बचाया लेकिन किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया.

6 फरवरी की एक अन्य घटना में गुरुग्राम में गौ रक्षकों और पटौदी के निवासियों के बीच हाथापाई में मानेसर का नाम आया, जिसमें 20 वर्षीय मोहिन खान को गोली लगी थी.


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आधिकारिक गौ-संरक्षण व्यवस्था

कथित तौर पर बजरंग दल कार्यकर्ताओं की तरफ से जुनैद और नासिर का अपहरण किए जाने फिर उनकी मौत होने की घटना ने आक्रोश पैदा कर दिया है और राज्य सरकार पर भी उंगलियां उठाई जा रही हैं.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने शुक्रवार को एक ट्वीट में लिखा कि हरियाणा एक ‘हेट फैक्टरी’ बनता जा रहा है और आरोपी मोनू मानेसर, जिस पर पहले से ही कई आपराधिक मामले हैं, को स्पष्ट तौर पर ‘सरकारी संरक्षण’ हासिल है.

हालांकि, जनवरी में वारिस खान की कथित लिंचिंग के संदर्भ में एबीपी को दिए एक इंटरव्यू में मानेसर ने दावा किया था कि वह और अन्य गौरक्षक सरकारी सहायता के बिना काम करते हैं और इसके बजाय समुदाय के लाभार्थियों पर निर्भर हैं, वह राज्य के अधिकृत गाय सुरक्षा कार्य बल का भी हिस्सा है, जिसमें उच्च-स्तरीय अधिकारियों के अलावा सरकारी स्तर पर नियुक्तियों की पूरी व्यवस्था है.

हरियाणा सरकार की तरफ से 2021 में जब राज्य स्तरीय विशेष गाय संरक्षण कार्य बल समिति को अधिसूचित किया गया था, तो इसमें छह सदस्यों की व्यवस्था की गई थी जिसमें अध्यक्ष के अलावा राज्य गौ सेवा आयोग के सचिव, राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग के विशेष सचिव, पशुपालन और डेयरी विभाग के विशेष सचिव, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी), और कानूनी मामलों के विभाग के अतिरिक्त कानूनी सलाहकार (एएलआर) शामिल थे.

जिला स्तर पर हर विशेष गौ रक्षा टास्क फोर्स में 11 सदस्य होते हैं. इनमें से छह सरकारी अधिकारी होते हैं—उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक, नगर निगम आयुक्त, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला अटॉर्नी, और पशुपालन और डेयरी के उपनिदेशक.

शेष सदस्यों में राज्य गौ सेवा आयोग द्वारा नामित तीन लोग और उपायुक्त की तरफ से नामित दो गौ सेवक शामिल होते हैं.

गौ सेवा आयोग मवेशियों के हितों की देखभाल के लिए राज्य सरकार की तरफ से बनाया गया एक आयोग है. इसके पदेन सदस्यों में कई विभागों के प्रधान सचिवों—राजस्व एवं आपदा प्रबंधन, शहरी विकास, कृषि, वित्त, पशुपालन और विकास और पंचायत आदि—के अलावा पुलिस महानिदेशक और पशुपालन और डेयरी विभाग के महानिदेशक शामिल हैं.

गौ सेवा आयोग के सचिव हरियाणा सिविल सेवा के एक अधिकारी होते हैं, और इस पद पर अभी विजय कुमार यादव काबिज हैं.

गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति राज्य सरकार की तरफ से की जाती है और वह राज्य स्तरीय गौ संरक्षण समिति के प्रमुख भी होते हैं.

कार्ड रखने वाले ‘गौ सेवक’

पांच साल पहले अगस्त 2017 में हरियाणा ने घोषणा की थी कि राज्य के पास प्रमाणित गौ रक्षक होंगे.

हरियाणा गौ सेवा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष भानी राम मंगला ने कहा था कि संगठन पुलिस से गौ सेवकों का रिकॉर्ड सत्यापित करवाएगा और फिर उन्हें पहचानपत्र जारी करेगा.

हालांकि, हरियाणा गौ सेवा आयोग के वर्तमान अध्यक्ष और राज्य एससीपीटीएफ समिति के प्रमुख श्रवण कुमार गर्ग ने कहा कि पहचान पत्र उन संगठनों की तरफ से जारी किए जा रहे हैं जिनसे गौ सेवक संबंधित हैं, न कि आयोग की तरफ से.

गर्ग ने कहा, ‘ये संगठन सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत हैं. आयोग ने इन संगठनों को गायों के संरक्षण के लिए प्रदान की जाने वाली सेवाओं के लिए भी मान्यता दी है.’

सरकारी तंत्र में गौ सेवकों की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा कि, जिला स्तर पर, प्रत्येक एससीपीटीएफ में उपायुक्त की तरफ से नामित दो गौ सेवक होते हैं और तीन अन्य को गौ सेवा आयोग की तरफ से नामित किया जाता है.

इसलिए, राज्य के 22 जिलों में 110 गौ रक्षक हैं जो सरकारी एससीपीटीएफ के सदस्य हैं. इनके अलावा, कई अन्य लोग गाय संरक्षण के लिए स्वेच्छा से अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

जुनैद और नासिर की मौत के मामले में एफआईआर में नामजद मोनू मानेसर गुरुग्राम जिला एससीपीटीएफ सदस्य है और पिछले कम से एक दशक से बजरंग दल से जुड़ा है.

गर्ग ने कहा, ‘गोहत्या रोकने में पुलिस की मदद कर गौ रक्षक अच्छा काम कर रहे हैं. आपराधिक गतिविधियां रोकने के लिए वे अपनी जान तक जोखिम में डालते हैं.’

इस महीने हिंसा की घटनाओं के साथ-साथ 2016 के एक मामले—जिसमें गौ रक्षकों ने कथित तौर पर संदिग्ध गो तस्करों को गोबर खाने को बाध्य करने की बात कबूली थी—के बारे पूछे जाने पर गर्ग ने दावा किया कि पर्याप्त सबूत नहीं मिले थे. उन्होंने कहा कि लोहारू में जले हुए शव मिलने के पीछे कोई ‘हादसा’ भी हो सकता है.


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सिक्योरिटी गार्ड बने मुखबिर, टोल फ्री पास

दिप्रिंट ने हरियाणा के कई प्रमुख गौ रक्षकों से संपर्क साधने की कोशिश की, जिनमें मोनू मानेसर, श्रीकांत मारोरा और आचार्य योगेंद्र शामिल हैं.लेकिन उनके मोबाइल नंबर लंबे समय तक बंद मिले.

हालांकि, चार गौ रक्षक—इसमें दो सिरसा और दो फतेहाबाद के हैं, नाम न छापने की शर्त पर अपनी गतिविधियों के बारे में बताने को तैयार हुए. उन्होंने दावा किया कि बजरंग दल, गौ रक्षा दल और गौपुत्र सेना जैसे और अन्य संगठनों की मदद से चल रहे राज्य सरकार के गौरक्षा के प्रयास काफी हद तक सफल रहे हैं, और इन तमाम संगठनों से जुड़े वालंटियर बिना पारिश्रमिक लिए स्वेच्छा से काम करते हैं.

सिरसा के एक गौ रक्षक ने कहा, ‘हमारे पास सामाजिक स्तर पर सक्रिय कई मुखबिर हैं जो हमें गाय तस्करों की गतिविधियों के बारे में सूचित करते रहते हैं. हमारे सूत्र बड़े पैमाने पर ऐसे लोग हैं जो रात की पाली में काम करते हैं, जैसे सुरक्षा गार्ड और डेयरी आदि से जुड़े कर्मचारी.’

उन्होंने कहा कि जब संदिग्ध गतिविधियों के बारे में कोई सूचना मिलती है, तो स्थानीय गौ रक्षक तुरंत हरकत में आ जाते हैं.

गौ रक्षक ने कहा, ‘जब हमें गायों को ले जाने वाले किसी वाहन के बारे में कोई सूचना मिलती है या हमें खुद कोई संदिग्ध वाहन मिलता है, तो हम पुलिस को सूचित करते हैं और साथ ही हमारी टीमें उनका पीछा करती हैं. फिर हम उन्हें पकड़कर पुलिस को सौंप देते हैं.’

सिरसा के सूत्रों ने दावा किया कि हरियाणा में कार्ड रखने वाले गौ रक्षकों को आवाजाही में मिलने वाली छूट इनका ‘पीछा’ करने में मदद देती है.

फतेहाबाद के गौ रक्षक ने कहा, ‘हमारे आई-कार्ड पुलिस और टोल प्लाजा की तरफ से विधिवत मान्यता प्राप्त हैं. फतेहाबाद के एक गौ रक्षक ने कहा, ‘हमें राज्य में किसी भी टोल बैरियर पर टोल का भुगतान नहीं करना होता है.’

हालांकि, पिछले कुछ महीनों में हरियाणा के गाय संरक्षण कानूनों को बनाए रखने के कुछ गौ रक्षकों के प्रयासों की वैधता कई बार सवालों के घेरे में आई है.

‘उत्पीड़न और हत्या’ या फिर ‘बेवजह का हल्ला-हंगाम’?

कथित तौर पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के हाथों जुनैद और नासिर का अपहरण और उनकी मौत कोई अकेली घटना नहीं है.

28 जनवरी को हरियाणा के नूंह, जो मेवात क्षेत्र का हिस्सा है, में वारिस खान ने चोटों के कारण दम तोड़ दिया था, जिसके बारे में उनके परिवार का दावा है कि बजरंग दल के गौ रक्षकों ने उन्हें मारा था. उनकी तरफ से दर्ज कराई गई शिकायत में मानेसर का भी नाम था.

एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें एक वाहन में बैठे तीन घायलों को पीटा जा रहा है और उनसे उनके नाम लिखने को कहा जा रहा है. एक को यह कहते सुना गया कि उसका नाम वारिस है.

अगले दिन एमनेस्टी इंडिया ने ट्वीट किया, ‘हरियाणा के नूंह जिले में 21 वर्षीय मुस्लिम किसान वारिस की कथित हत्या से हम भयभीत हैं. हरियाणा सरकार को तुरंत, स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से जांच करनी चाहिए कि क्या उसकी हत्या भेदभाव और असहिष्णुता से प्रेरित थी और अपराधियों को दंडित करना चाहिए.’

हालांकि, पुलिस का कहना है कि वारिस की मौत सड़क दुर्घटना में लगी चोटों के कारण हुई. वारिस खान के परिवार की तरफ से दर्ज कराई गई शिकायत में मोनू मानेसर के नाम का जिक्र किया गया था लेकिन पुलिस ने शिकायत को एफआईआर में नहीं बदला.

हालांकि, पुलिस ने मोनू मानेसर की शिकायत के आधार पर दो प्राथमिकी दर्ज कीं कि उन्हें घटना के बाद जान से मारने की धमकी मिली थी. मानेसर और बजरंग दल ने इस घटना में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है.

खासकर, हरियाणा के मेव मुस्लिम बहुल मेवात क्षेत्र के लोग अक्सर गो रक्षकों द्वारा उत्पीड़ित किए जाने की शिकायतें करते हैं.

पिछले साल अगस्त में नूंह जिले के फिरोजपुर जिरका में ग्रामीणों ने एक महापंचायत की और आरोप लगाया कि गौरक्षकों की तरफ से उन्हें परेशान किया जा रहा है.

कई मामलों में लोगों ने गायों की रक्षा के नाम पर गौ रक्षकों की तरफ से जबरन वसूली की शिकायतें की हैं.

मई 2021 में, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार से नागरिकों के घरों पर छापा मारने के गौरक्षकों के निहित अधिकारों के बारे में स्पष्टीकरण मांगा था.

हाई कोर्ट मेवात निवासी मुबीन की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसके खिलाफ पुलिस ने गौरक्षा कानून के तहत मामला दर्ज किया था.

उसके खिलाफ प्राथमिकी में कहा गया था कि गौ रक्षा दल के सदस्यों ने उनके घर पर छापा मारा और वहां एक गाय, एक बैल और एक बछड़ा बंधा मिला.

इस बीच, राज्य एससीपीटीएफ समिति अध्यक्ष गर्ग ने जोर देकर कहा कि इस तरह के विवाद कुछ और नहीं, बल्कि बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई बातें हैं.

उन्होंने कहा, ‘लंबे समय से मेवात क्षेत्र गो हत्या के लिए जाना जाता है. और अब जब राज्य सरकार ने इस दिशा में कुछ सख्ती दिखाई है तो बेवजह हो-हल्ला किया जा रहा है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)

(अनुवाद: रावी द्विवेदी | संपादन: आशा शाह)


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