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Saturday, 4 May, 2024
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हिजाब और भगवा स्कार्फ को लेकर कर्नाटक का माहौल गर्म, सबको हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार

उडुपी वूमेन्स पीयू कॉलेज मैनेजमेंट और कुछ छात्राओं के बीच जो वाद-विवाद शुरू हुआ, उसने देखते-देखते राज्य भर में विरोध और राष्ट्रव्यापी बहस का रूप ले लिया है. मंगलवार को कर्नाटक हाईकोर्ट मामले की सुनवाई करेगी.

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उडुपीः कर्नाटक के उडुपी के वुमेन्स प्री-यूनिवर्सिटी (पीयू) कॉलेज की पांच छात्राओं ने वही किया जो एक हफ्ते से करती आ रही थीं. वे सोमवार की सुबह कॉलेज के गेट पर हिजाब से अपने सिर को ढंककर गेट पर खड़ी हो गईं. पिछले साल के दिसंबर महीने से ही कॉलेज ने हिजाब पहनकर छात्राओं के कॉलेज में प्रवेश करने पर रोक लगा दी थी. हालांकि, कॉलेज के इस फैसले के बाद से, दो नाबालिक छात्राओं सहित, तीन अन्य छात्रा एएच अल्मास, एच शिफ़ा, आलिया अस्सादी गेट पर खड़ी होकर विरोध कर रही हैं.

कर्नाटक में पीयू या जूनियर कॉलेज, कक्षा 11 और 12 को कहते हैं. पहले पीयू क्लास को 11वीं और दूसरी पीयू क्लास को 12वीं कहते हैं.

इन सभी पांच छात्राओं ने अपने परिवारजनों के साथ मिलकर कर्नाटक हाईकोर्ट में एक याचिका दायर करते हुए मांग की है, कि वह उन्हें कक्षा के भीतर हिजाब पहनकर आने की अनुमति दे. इस पूरे मामले की सुनवाई मंगलवार को होनी है. शनिवार को कर्नाटक सरकार ने ऐसे कपड़े पहनकर स्कूलों और कॉलेजों में दाखिल होने पर बैन लगा दिया था, जिससे समानता, सम्मान, और सार्वजनिक व्यवस्था को धक्का पहुंचता हो.

दिप्रिंट से बातचीत करते हुए दूसरी पीयू क्लास की छात्रा एएच अल्मास ने कहा कि ‘मुझे उम्मीद है कि जज इस मामले हमें सकारात्मक जवाब देंगे. मुझे उम्मीद है कि कोर्ट संवैधानिक मूल्यों को बरकरार रखेगी और हमारे हिजाब पहनने के गारंटी वाले अधिकार को महत्व देगी. संविधान ने हमेशा ही हमें समानता और शिक्षा की गारंटी दी है. मेरी समझ में नहीं आता कि कर्नाटक सरकार ऐसा क्यों नहीं कर रही है.’

उडुपी पीयू कॉलेज के मैनेजमेंट और कुछ मुस्लिम लड़कियों के बीच हिजाब पहनने को लेकर जो मामूली तकरार हुई थी, उसने अब राजनीतिक और धार्मिक रंग ले लिया है. पूरे कर्नाटक में प्रदर्शन हो रहे हैं. मुस्लिम विद्यार्थियों के हिजाब पहनने का विरोध करने के लिए कुछ विद्यार्थियों ने भगवा स्कार्फ पहनना शुरू कर दिया है.

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उडुपी वुमेन्स पीयू कॉलेज की प्रिंसिपल रूद्रे गौड़ा ने दिप्रिंट से बातचीत करते हुए बताया कि ‘हमारे कालेज में 1,000 विद्यार्थी हैं, जिसमें 100 मुस्लिम हैं. अनुशासनहीन और अनियमित छात्राओं के इस समूह को छोड़कर किसी के लिए भी यह कोई मुद्दा नहीं है.’

सुश्री गौड़ा जो हाई कोर्ट की इस याचिका में एक प्रतिवादी भी हैं, ने आगे कहा कि ‘ये छात्राएं पढ़ने में कमजोर हैं और उनकी हाजिरी और रिपोर्ट कार्ड को अल्पसंख्यक कल्याण बोर्ड को भी भेजा गया है. उनकी कोई मदद असंभव है और वे हमें ब्लैकमेल करने पर तुली हैं. हमने उनके अभिभावकों और सामुदायिक नेताओं से कई बार बातचीत की है. यह बात सबकी समझ में आ गई है कि वे किसी और के बहकावे में आकर यह काम कर रही हैं.’

छात्राओं का मानना है कि यहां 90 से ज्यादा ऐसी मुस्लिम लड़कियां हैं जो बिना हिजाब के क्लास में आती हैं. इनका यह भी कहना कि वे पहली ऐसी छात्रा नहीं हैं जो क्लास में हिजाब पहनकर आती हों, और न ही ऐसा पहली बार हुआ है कि वे पहली बार इसे पहनकर आई हों.

दिप्रिंट से बातचीत के दौरान दूसरी पीयूसी छात्रा ने आरोप लगाते हुए कहा, ‘यह सरासर झूठ है कि हमने अभी-अभी हिजाब पहनना शुरू किया है. हमारी कुछ सीनियर पहले भी हिजाब पहनती थीं. कभी-कभी टीचर उसे उतरवाने की कोशिश करती थीं और जो पिन हिजाब में लगता है, वह खींचे जाने पर खून बहने लगता था. हमारे ऊपर अन्याय किया जा रहा है और सालों से हिजाब पहनने पर हमें प्रताड़ित किया जा रहा है.’

कॉलेज कमेटी के उपाध्यक्ष ने हिंदू राष्ट्र होने की बात कही

इसी बीच उडुपी गवर्नमेंट वूमेन्स पीयू कॉलेज के डेवलेपमेंट कमेटी के उपाध्यक्ष और भाजपा नेता यशपाल सुवर्णा ने दिप्रिंट से अपनी बातचीत में कहा कि ‘हमारे कॉलेज में हिजाब पहनने की बात ड्रेस कोड में नहीं कही गई है. जब यह शब्द ही नहीं है, तो इसका मतलब इसे पहनने की अनुमति भी नहीं है.’

जब उनसे पूछा गया कि क्या हिंदू संगठन हिंदू छात्रों से मुस्लिम के हिजाब पहनने के विरोध में भगवा स्कार्फ पहनने के लिए कह रहे हैं तो उन्होंने कहा कि ‘यह हिंदू राष्ट्र है. अगर वे हमारे संस्कृति का विरोध करते हैं, तो हमें एक होना पड़ेगा, वरना कोई नतीजा नहीं निकलेगा.’

उन्होंने सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर आरोप लगाया कि वे कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) के माध्यम से इन पांच छात्राओं को भड़काने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि इन्होंने इस दावे का खंडन कर दिया.

उडुपी डिस्ट्रिक्ट सीएफआई के कमेटी मेंबर मसूद मन्ना ने दिप्रिंट से बातचीत के दौरान कहा कि ‘हम सिर्फ इन मुस्लिम छात्राओं की मदद कर रहे हैं, क्योंकि कॉलेज के अधिकारियों ने इन्हें कैंपस में घुसने के लिए मना कर दिया. उसके बाद इन लोगों ने हमसे मदद मांगी जो हम कर रहे हैं. हम मदद के रूप में जिला के शिक्षा अधिकारियों को पत्र दे रहे हैं, दूसरे छात्रों से सहयोग मांग रहे हैं, छात्राओं के समुदाय के लीडरों से मिल रहे हैं और प्रेस कांफ्रेंस आदि का आयोजन कर रहे हैं.’

मन्ना ने दावा किया कि ‘हमारा संगठन छात्रों के कल्याण के लिए काम करता है और हम इसमें राजनीति नहीं करते. सच्चाई तो यह है कि भाजपा नेताओं ने हिंदू छात्रों को भड़काया कि वे भगवा स्कार्फ पहने और पूरे मामले को राजनैतिक रंग दे दिया.’

हिजाब पहने का संघर्ष अब राज्य और दूसरे जिलों के शिक्षण संस्थानों में पहुंच गया है.

उडुपी जिले के कुंडापुर शहर के पीयू कॉलेज के प्रिंसिपल आरएन शेट्टी ने जब देखा कि शुक्रवार को लगभग 200 छात्र भगवा स्कार्फ पहनकर कॉलेज प्रांगण में घूम रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि उन्हें भी इसको पहनने की छूट दी जाए, क्योंकि मुस्लिम लोग हिजाब पहन रहे हैं. इसके बाद प्रिंसिपल आरएन शेट्टी ने बुधवार तक कॉलेज बंद करने की घोषणा कर दी. कॉलेज के अधिकारियों ने उसके बाद दोनों धर्मों के छात्रों को कॉलेज में प्रवेश करने पर पाबंदी लगा दी. अब कॉलेज मंगलवार के हाईकोर्ट के निर्णय का इंतजार कर रहा है ताकि मामला पूरी तरह से शांत हो जाए.

दिप्रिंट से अपनी बातचीत में कॉलेज के प्रिंसिपल नवीन शेट्टी ने कहा कि ‘मैंने सोमवार को पैरेंट-टीचर मीटिंग बुलाई थी, लेकिन कैंसिल कर दी. हम जानना चाहते हैं कि हाईकोर्ट इस बावत क्या फैसला देता है.’

कुंडापुर के ही दूसरे कॉलेज, भंडारकर कॉलेज के प्रिंसिपल नारायणा शेट्टी ने कहा कि ‘हम किसी भी छात्र/छात्रा को भगवा स्कार्फ या हिजाब में आने की अनुमति नहीं दे रहे हैं. मेरा कॉलेज राजनीति का अड्डा नहीं है. कोई भी बात जो सौहार्द को प्रभावित करती है उसकी अनुमति नहीं दी जाएगी.’

कॉलेज के स्टाफ ने बताया कि जो मुस्लिम लड़कियां कॉलेज में हिजाब पहनकर आने की जिद कर रही थीं वे सोमवार को कॉलेज नहीं आईं.

स्थानीय पुलिस भी अपनी नज़र हाईकोर्ट के निर्णय पर रखे हुए है. कुंडापुर के पुलिस थाने के सूत्रों ने बताया कि शहर के सभी कॉलेजों में 150 पुलिस कर्मियों के ग्रुप को निगरानी के लिए तैनात किया गया है.


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