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Tuesday, 23 September, 2025
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कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण पर रोक लगाने संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई की

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बेंगलुरु, 23 सितंबर (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य के पिछड़ा वर्ग आयोग को सामाजिक-आर्थिक व शैक्षिक सर्वेक्षण की अनुमति देने से संबंधित सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर बृहस्पतिवार को सुनवाई की।

यह सर्वेक्षण 22 सितंबर को शुरू हुआ था और सात अक्टूबर तक जारी रहने की उम्मीद है।

मुख्य न्यायाधीश विभु बाखरु और न्यायमूर्ति सी.एम. जोशी की एक पीठ ने याचिकाओं पर सरकार से जवाब मांगा है।

पीठ ने मौखिक रूप से कहा, “यदि प्रत्येक निवासी की पहचान कर ली जाए और उसकी जाति निर्धारित कर ली जाए, तो क्या फर्क पड़ेगा?”

राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने इस कवायद को गलत तरीके से ‘जाति सर्वेक्षण’ के रूप में पेश किया है।

उन्होंने कहा कि यह एक सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक अध्ययन है, जिसका उद्देश्य कल्याणकारी योजनाएं बनाने के लिए सांख्यिकीय डेटा एकत्र करना है।

सिंघवी ने कहा कि विश्वसनीय आंकड़ों के बिना नीति-निर्माण तर्कसंगत नहीं हो सकता।

उन्होंने कहा, ‘आंकड़ों के बिना कोई तर्कसंगत सलाह कैसे दे सकता है या तर्कसंगत नीति कैसे बना सकता है?’

सिंघवी ने कहा कि सर्वेक्षण के लिए जानकारी देना स्वैच्छिक होगा, जबकि जनगणना अधिनियम के प्रावधान अनिवार्य हैं।

सिंघवी ने कहा कि डेटा एकत्र करने से निजता का उल्लंघन नहीं होगा और इसकी तब तक न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती, जब तक कि संबंधित कानून को ही रद्द न कर दिया जाए।

एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता प्रभुलिंग के. नवदगी ने कहा कि राज्य सरकार ने एक पुस्तिका जारी की है, जिसमें सर्वेक्षण में भागीदारी के लिए आधार और मोबाइल नंबर को अनिवार्य बताया गया है।

उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत प्रतिबंधों का हवाला देते हुए दावा किया कि राज्य के पास ऐसा करने का संवैधानिक अधिकार नहीं है।

नवदगी ने अनुच्छेद 342ए का भी हवाला दिया, जिसके तहत राज्यों को केवल कानून के जरिये पिछड़ी जातियों की सूची तैयार करने का अधिकार दिया गया है।

वरिष्ठ अधिवक्ता जयकुमार पाटिल ने कहा कि कर्नाटक पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम में राज्यव्यापी सर्वेक्षण के लिए कोई तंत्र प्रदान नहीं किया गया है और यह कदम ‘समानांतर जनगणना’ से कम नहीं है, जो केंद्र सरकार के विशेष अधिकार क्षेत्र में आती है।

इस मामले पर सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी।

भाषा

जोहेब दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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