बेंगलुरु, सात अगस्त (भाषा) कर्नाटक मंत्रिमंडल ने बृहस्पतिवार को 17 विधेयकों को मंजूरी दे दी, जिसमें एक विधेयक का उद्देश्य उत्पीड़ित देवदासी महिलाओं को सभी प्रकार के शोषण से और उनके बच्चों को सामाजिक वर्जनाओं से मुक्ति दिलाना है।
इन सभी विधेयकों को 11 अगस्त से शुरू होने वाले आगामी सत्र के दौरान विधानमंडल में पेश किये जाने की संभावना है।
कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एच के पाटिल ने कहा, ‘‘कर्नाटक देवदासी (रोकथाम, निषेध, राहत और पुनर्वास) विधेयक, 2025 को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है और इसका उद्देश्य महिलाओं को देवदासी मानने की प्रथा के बारे में समाज को जागरूक करना, उत्पीड़ित देवदासी महिलाओं को सशक्त बनाकर सभी प्रकार के शोषण से मुक्ति दिलाना तथा उनके बच्चों को सामाजिक वर्जनाओं से मुक्ति दिलाना है।’’
मंत्रिमंडल के फैसलों के बारे में संवाददाताओं को जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य देवदासियों के बच्चों के लिए आवेदन पत्रों और आधिकारिक दस्तावेजों में पिता के नाम की आवश्यकता को समाप्त करना है।
मंत्री ने कहा, ‘‘अगर देवदासी का कोई बेटा है, तो वह पिता के नाम के बजाय अपना नाम और उपनाम या अपनी मां का नाम लिख सकता है।’’
पाटिल ने कहा, ‘‘ग्रेटर बेंगलुरु (संशोधन) विधेयक को भी मंजूरी दे दी गई, जो राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची तैयार करने से संबंधित है।’’
इसके अलावा, भूमि राजस्व अधिनियम और भूमि सुधार अधिनियम की कुछ धाराओं में संशोधन करने वाले एक विधेयक को भी मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी।
मंत्रिमंडल ने कर्नाटक नगर एवं ग्राम नियोजन और कुछ अन्य कानून (संशोधन) विधेयक, कर्नाटक भूजल (पेयजल स्रोतों के संरक्षण के लिए विनियमन) संशोधन विधेयक, गडग-बेतागेरी व्यापार, संस्कृति एवं प्रदर्शनी प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक और कर्नाटक सहकारी (ए) विधेयक समेत अन्य विधेयकों को भी मंजूरी दी।
हालांकि, राज्य मंत्रिमंडल ने कर्नाटक रोहित वेमुला (बहिष्कार या अन्याय निवारण) (शिक्षा और सम्मान का अधिकार) विधेयक पर फैसला टाल दिया।
मंत्री ने कहा कि इसे अगली बैठक तक के लिए टाल दिया गया है।
भाषा शफीक अविनाश
अविनाश
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