नई दिल्ली : अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार राज्य के सरकारी स्कूलों में ‘देशभक्ति पाठ्यक्रम’ शुरू करने जा रही है. मनीष सिसौदिया ने बताया, ‘इस पाठ्यक्रम में कारगिल युद्ध में शहीद हुए कैप्टन सौरभ कालिया और कैप्टन विजयंत थापर के शौर्य का पाठ शामिल किया जाएगा.’
मनीष सिसौदिया ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘बच्चों को कैप्टन सौरभ कालिया और कैप्टन विजयंत थापर के बारे में पता होना चाहिए जिन्होंने कारगिल युद्ध में देश के लिए अपनी जान गवाई. हम शहीदों के बारे में केवल अखबारों में पढ़ते हैं, हमारे बच्चों को उनके साहस और वीरता के बारे में पता होना चाहिए’
कैप्टन कालिया और कैप्टन विजयंत थापर दोनों ही 22 साल की उम्र में 1999 में हुए कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे.
कैप्टन कालिया और उनके साथ 5 जवानों की टीम को एलओसी (लाइन ऑफ कन्ट्रोल) पर घुसपैठियों का मुकाबला करते हुए पाकिस्तानी सेना द्वारा पकड़ा लिया गया था. पाकिस्तानी सेना ने इन 6 जवानों को निर्दयता से यातनाएं दी थीं. उनकी आंखें फोड़ दी गई थीं. उनके कान, नाक और लिंग काट दिए गए थे.
कैप्टन थापर को दुश्मन के बंकर पर कब्जा करने के दौरान सिर में गोली मार दी गई थी. जिस पर आखिरकार भारत ने ही कब्जा किया.
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देशभक्ति पाठ्यक्रम अगले शैक्षिक सत्र (2020-21) से शुरू होने जा रहा है जिसका उद्देश्य स्कूली बच्चों में देशभक्ति की भावना पैदा करना है. इसकी घोषणा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्वतंत्रता दिवस के दिन अपने एक ट्वीट के जरिए की थी.
देशभक्ति पाठ्यक्रम बनाने वाली कमेटी ने कुछ बच्चों से पूछा कि उनके लिए देशभक्ति का मतलब क्या है?
बच्चों के तरफ से आए सुझाव पढ़ कर मुझे विश्वास हुआ इस देश का भविष्य सुनहरा है। pic.twitter.com/qKftYAgAvy
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) September 26, 2019
यह केजरीवाल सरकार की शिक्षा से जुड़ी तीन महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है. जिसमें ‘हैपीनेस करिकुलम’ और एंटरप्रेन्योर माइंडसेट करिकुलम’ भी शामिल है.
सिसौदिया ने कहा, ‘देशभक्ति पाठ्यक्रम में शहीदों के बारे में जानकारी होगी और यह भाजपा के देशभक्ति की धारणा से अलग होगा.’
उन्होंने कहा, ‘यदि कोई मुझे इजाज़त दे तो मैं छात्रों को वाघा बॉर्डर, हल्दी घाटी, भगत सिंह के गांव, और उन जगहों पर जहां गाधी जी रहे, ले जाना चाहूंगा. ‘फ़ील्ड ट्रिप’ और ‘फ़ील ट्रिप’ इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य होगा.
हंलाकि सिसौदिया ने आने वाले चुनाव से इसके संबंध को खारिज करते हुए कहा, ‘राष्ट्रवाद भाजपा के चुनाव का प्रमुख हिस्सा है’.
उन्होंने कहा, ‘जिन बच्चों के स्कूलों में शौचालय नहीं है उनके साथ देशभक्ति की बात करना उचित नहीं होगा.’
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‘हमने पहले साल ही इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम करना शुरू कर दिया था, दूसरे साल हमने अध्यापकों की ट्रेनिंग पर काम किया, उसके बाद ‘हैपीनेस करिकुलम’ ले कर आए. इस साल ‘एंटरप्रेन्योर माइंडसेट करिकुलम’ लेकर आए हैं. उसके बाद ही हम ‘देशभक्ति पाठ्यक्रम’ की बात कर रहे हैं.’
हमारी पहल का उद्देश्य बीजेपी के राष्ट्रवाद के नैरेटिव (धारणा) का जवाब देना भी नहीं है.
‘मैं कोई प्रतिद्वंदी नैरेटिव नहीं दे रहा हूं. यह इससे कहीं ज्यादा है. मैं चाहता हूं कि बच्चे देशभक्ति को सिर्फ देश की सीमा से प्रेम करने तक न समझें बल्कि देशभक्ति अपने लोगों, पर्यावरण, कानून और देश की सभी चीजों से प्रेम करना है.’
नए शिक्षा बोर्ड से परीक्षा प्रणाली में होगा सुधार
दिल्ली के शिक्षा मंत्री सिसौदिया ने कहा, ‘राज्य सरकार ‘नेक्स्ट जेनेरेशन बोर्ड’ लाने के लिए भी काम कर रही है. यह छात्रों की जेईई और नीट जैसी प्रवेश परिक्षा की तैयारियों में सहायक होगा. इससे पारंपरिक पैटर्न में होने वाली परीक्षाओं में बदलाव होगा जिससे खेल में रुचि रखने वाले छात्रों को फायदा मिलेगा.’
उन्होंने कहा, ‘परीक्षा प्रणाली में सुधार की जरूरत है जिससे छात्रों को आईआईटी की प्रवेश परीक्षा के लिए अलग से कोचिंग न लेनी पड़े.’
‘12वीं में पढ़ने का क्या मतलब रह जाता है यदि छात्रों को आधा समय स्कूल से बाहर रहना पड़े और कोचिंग पर अलग से खर्च करना पड़े…हमारे स्कूलों में परीक्षा की तैयारी इस हिसाब से कराई जाती है कि बोर्ड में क्या आने वाला है जो कि ठीक नहीं है.’
यदि कोई खेल-कूद के क्षेत्र में जाना चाहता है तो उसके पास अपने शौक को मुख्य विषयों पर प्राथमिकता देने का विकल्प भी होना चाहिए. नए बोर्ड में हम यह विकल्प देना चाहते हैं.
निजी स्कूलों में कैमरा लगाने पर किसी ने शिकायत नहीं की
दिल्ली की छवि अपराध के केंद्र के रूप में होती जा रही है, महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा के कारण, आप सरकार दिल्ली में हजारों सीसीटीवी कैमरे लगाने की मुहिम चला रही है.
हांलाकि सरकारी स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के प्रस्ताव पर काफी बहस हो रही है. सिसौदिया ने इस प्रस्ताव पर कोई टिप्पणी नहीं की.
उन्होंने कहा, ‘जब निजी स्कूलों में कैमरा लगता है तब कोई सवाल नहीं करता…लोग भारी फीस देते हैं और उसकी तारीफ करते हैं. सभी रेस्टोरेंट और मॉल में कैमरे लगे हैं लेकिन उससे किसी को परेशानी नहीं होती.’
‘यदि एक शिक्षक की स्कूल में हत्या हो जाती है, बच्चे गुंडागर्दी करते हैं तो मुझे इस बात से दिक्कत है….मैं इन समस्याओं का समाधान चाहता हूं.’
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‘मैं उन अभिभावकों के प्रति चिंतित हूं जो यह सोचते हैं कि उनके बच्चे स्कूल में हैं लेकिन वे होते कहीं और हैं.’
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में राष्ट्रीयता से परे बच्चों को दाखिला दिया जाएगा
सिसौदिया ने कहा, ‘मैं उस मामले की निगरानी कर रहा हूं जिसमें दो पाकिस्तानी हिंदू बच्चों की उम्र अधिक होने के चलते दिल्ली के सरकारी स्कूल में दाखिला नहीं मिल पाया. यह केस दिप्रिंट के द्वारा उनके संज्ञान में लाया गया था.’
सिसौदिया ने दिप्रिंट को बताया कि मैंने अपने डायरेक्टर से जानकारी मांगी है. मैं आश्वस्त करता हूं कि कोई भी बच्चा जो दिल्ली में पला बढ़ा है उसे दाखिले के लिए दिक्कत का सामना नहीं करना पड़े, भले ही वह किसी दूसरी जगह से आता हो.
धर्म को लोगों को विभाजित करने का माध्यम न बनाएं
राष्ट्रवाद से इतर ‘आप’ ने नया अप्रोच अपनाया है, विभिन्न धार्मिक आस्थाओं के मानने वालों को धार्मिक यात्रा पर जाने के लिए ‘आप’ पूरा खर्चा उठाएगी. हांलाकि सिसौदिया ने अपने काम में किसी धार्मिक रुख की बात को सिरे से नकारा है.
उन्होंने कहा, ‘तीर्थ यात्राएं पिछले दो साल से हो रही हैं. यह नई बात नहीं है. हम चुनाव धार्मिक आधार पर लड़ने को कभी बढ़ावा नहीं देंगे.’
प्रधानमंत्री के प्रति आप का बदलता सुर
दिप्रिंट की पिछले महीने की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने धुर विरोधी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए नरम रुख अपनाया है. हाल ही में अरविंद केजरीवाल ने जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 को हटाने और दो केन्द्र शासित प्रदेश घोषित करने के लिए प्रधानमंत्री की तारीफ की थी.
वे दिन दूर गए जब केजरीवाल आए दिन प्रधानमंत्री का मजाक उड़ाते और तीखी अलोचना करते थे.
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‘जहां भी सहयोग की जरूरत थी हमने साथ दिया जैसे देश को साफ करने का मुद्दा. हमने हीं झाड़ू उठाई. जब आप प्लास्टिक बैन करने की बात करते हैं, तो कौन यह नहीं चाहता ? हम सहयोग देने से पीछे नहीं हटेंगे.’
उन्होंने कहा, ‘हमारी पार्टी धर्म और जाति की राजनीति के खिलाफ हैं.’
सिसौदिया ने कहा, ‘हमने कभी कौशल विकास पर सवाल नहीं किया, हम दिल्ली में भी कौशल विकास चाहते हैं. हमने यहां भी स्किल सेंटर खोला है. इसलिए हम बिना वजह मुद्दा नहीं खड़ा करना चाहते. हम अपनी राजनीति कर रहे हैं आप जिस तरह से राजनीति करना चाहते हैं करें.’
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