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Monday, 4 November, 2024
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केंद्र से कांजुरमार्ग मेट्रो कार शेड भूमि विवाद पर ठाकरे ने कहा- बातचीत के जरिए हो सकता है मुद्दे का हल

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ ने उक्त जमीन पर किसी भी तरह के निर्माण कार्य पर भी रोक लगा दी थी.

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मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने रविवार को कहा कि वह बातचीत के माध्यम से कांजुरमार्ग मेट्रो कार शेड भूमि मुद्दे का समाधान करने के लिए तैयार हैं.

राज्य के लोगों को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए ठाकरे ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर राज्य के खिलाफ अदालत का रुख किया.

उन्होंने कहा, ‘हमारे पास यह साबित करने के लिए सभी दस्तावेज हैं कि जमीन राज्य सरकार की है. यदि भूमि के स्वामित्व पर कोई विवाद है, तो बातचीत के माध्यम से मुद्दे का हल किया जा सकता है.’

उन्होंने लोगों से पूछा, ‘क्या स्वामित्व के मुद्दों के कारण भूमि पर अधिकार छोड़ देना चाहिए और क्या इसे बिल्डरों को दे दिया जाना चाहिए?’

बम्बई उच्च न्यायालय ने मेट्रो कार शेड के निर्माण के लिए मुंबई के कांजुरमार्ग इलाके में 102 एकड़ भूमि आवंटित करने के मुंबई उपनगर के जिलाधिकारी द्वारा जारी आदेश पर बुधवार को रोक लगा दी थी.

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ ने उक्त जमीन पर किसी भी तरह के निर्माण कार्य पर भी रोक लगा दी थी.

मेट्रो कार शेड के निर्माण के लिए राज्य द्वारा चिह्नित जमीन के मालिकाना हक को लेकर केंद्र और शिवसेना नीत महाराष्ट्र सरकार के बीच तकरार चल रही है.

केंद्र सरकार ने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर कार शेड के लिए जमीन आवंटित करने के जिलाधिकारी के एक अक्टूबर के आदेश को चुनौती दी थी और कहा कि यह जमीन उसके (केंद्र के) नमक विभाग की है.

ठाकरे ने कहा कि 30 हेक्टेयर में फैली आरे कार शेड सिर्फ मेट्रो लाइन तीन के लिए थी, जबकि 40 हेक्टेयर कांजुरमार्ग भूमि का उपयोग मेट्रो लाइन- तीन, चार और छह के लिए कार शेड के वास्ते किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि विरोध के बावजूद यहां बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) में ‘सबसे महंगी’ जमीन केंद्र सरकार की बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए दी गई थी.

उन्होंने कहा, ‘हमने अवरोध पैदा नहीं किया. यदि आप कांजुरमार्ग में समस्याएं पैदा करते हैं और हम बीकेसी में करते हैं, तो एक दूसरे की परियोजनाओं में समस्याएं पैदा करने से कुछ भी हासिल नहीं होगा.’


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