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Tuesday, 19 November, 2024
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कालकाजी मंदिर योजना: न्यायालय ने अधिकारियों से पुजारियों को संपत्ति से बेदखल नहीं करने को कहा

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नयी दिल्ली, 13 जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को अधिकारियों से ऐतिहासिक कालकाजी मंदिर के पुनर्विकास की योजना को क्रियान्वित करने के दौरान यहां मंदिर परिसर के आसपास रहने वाले पुजारियों को उनकी संपत्तियों से बेदखल नहीं करने को कहा।

न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की अवकाशकालीन पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेशों को चुनौती देने संबंधी मंदिर के पुजारियों की याचिका पर केंद्र और अन्य पक्षों को नोटिस जारी किया और मामले को लंबित याचिका के साथ ‘‘टैग’’ किया।

पीठ ने कहा, ‘‘इस बीच, दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा निर्देशित आदेशों के अनुसार पुनर्विकास करने में कोई बाधा नहीं होगी, लेकिन इस तरह का पुनर्विकास याचिकाकर्ताओं को उस परिसर से बेदखल किए बिना होगा, जहां वर्तमान में उन्हें रहने के लिए कहा गया है।’’

सुनवाई के दौरान मंदिर के पुजारियों की ओर से पेश वकील ने कहा कि उनके पास सभी राजस्व रिकॉर्ड हैं जो दिखाते हैं कि वर्षों से उनके पास ऐसी संपत्ति का कब्जा है।

वकील ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि मंदिर के पुजारी आमतौर पर मंदिर के आसपास ही रहते थे और इस मामले में भी ऐसा ही रहा है।

उन्होंने कहा कि वे मंदिर की पुनर्विकास योजना के खिलाफ नहीं हैं लेकिन पुनर्विकास योजना के नाम पर उनकी धर्मशालाएं और मकान नहीं तोड़े जाने चाहिए।

पीठ ने वकील से पूछा कि जिस परिसर के होने का वे दावा कर रहे हैं, वह उनके नाम पर है, इस पर वकील ने कहा कि संपत्तियां उनके नाम पर हैं और इसे एसडीएम द्वारा अदालत में दायर की गई रिपोर्ट में देखा जा सकता है।

पीठ ने अधिकारियों को उस परिसर से पुजारियों को बेदखल करने से रोक दिया, जहां वे रह रहे हैं।

उच्चतम न्यायालय ने 27 अप्रैल को दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर यथास्थिति का आदेश देने से इनकार कर दिया था।

उच्च न्यायालय ने यहां दक्षिण दिल्ली में कालकाजी मंदिर के प्रशासन और रखरखाव से संबंधित कई निर्देश पारित किए हैं।

शीर्ष अदालत ने न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जे. आर. मिधा की मंदिर के प्रशासक के रूप में नियुक्ति के निर्देश पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया था, जो मंदिर के दिन-प्रतिदिन के प्रशासन और सुरक्षा के मुद्दे देखेंगे।

उच्चतम न्यायालय ने 25 मार्च को दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था जिसमें कालकाजी मंदिर से अतिक्रमण, अनधिकृत निवासियों और उन दुकानदारों को हटाने का आदेश दिया था जिनके पास दुकानों पर कब्जा का वैध अधिकार नहीं है।

न्यायालय ने कहा था, ‘‘हम इस अर्जी पर सुनवाई के इच्छुक नहीं हैं। हम याचिकाकर्ताओं को आजादी देते हैं कि वे अपनी शिकायतों को उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासक के समक्ष ले जाएं और प्रशासक अनुकूल निर्देश के लिए उच्च न्यायालय को रिपोर्ट देंगे।’’

उच्चतम न्यायालय ने कहा था, ‘‘कुछ मामलों में उच्च न्यायालयों के प्रति विश्वास रखने की जरूरत है। हम सभी उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश रहे हैं। हम यहां सभी मामलों के अपीलीय मंच नहीं है। आराध्य की गरिमा की रक्षा की जानी चाहिए।’’

पिछले साल 27 सितंबर को उच्च न्यायालय ने कालकाजी मंदिर से अतिक्रमण और अनधिकृत तरीके से रह रहे लोगों एवं दुकानदारों जिनके पास दुकान पर कब्जे का वैध अधिकार नहीं है, उन्हें हटाने का निर्देश दिया था। अदालत ने नवरात्रि के मद्देनजर पांच दिन में कार्रवाई करने का आदेश दिया था।

भाषा

देवेंद्र अविनाश

अविनाश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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