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Wednesday, 20 November, 2024
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भारत के CJI बनने की कतार में शामिल जस्टिस ललित कई ऐतिहासिक फैसलों का रहे हैं हिस्सा

न्यायमूर्ति ललित को 13 अगस्त 2014 को उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. तब वह मशहूर वकील थे.

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नई दिल्ली: भारत के अगले प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बनने की कतार में शामिल उच्चतम न्यायालय के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति यू. यू. ललित मुसलमानों में ‘तीन तलाक’ की प्रथा को अवैध ठहराने समेत कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं.

यदि वह अगले प्रधान न्यायाधीश नियुक्त होते हैं तो वह ऐसे दूसरे प्रधान न्यायाधीश होंगे, जिन्हें बार से सीधे शीर्ष अदालत की पीठ में पदोन्नत किया गया.

उनसे पहले न्यायमूर्ति एस. एम. सीकरी मार्च 1964 में शीर्ष अदालत की पीठ में सीधे पदोन्नत होने वाले पहले वकील थे. वह जनवरी 1971 में 13वें सीजेआई बने थे.

न्यायमूर्ति ललित मौजूदा प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमन्ना के सेवानिवृत्त होने के एक दिन बाद 27 अगस्त को भारत के 49वें सीजेआई बनने के लिए कतार में हैं.

न्यायमूर्ति ललित को 13 अगस्त 2014 को उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. तब वह मशहूर वकील थे.

न्यायमूर्ति ललित तब से शीर्ष अदालत के कई ऐतिहासिक निर्णयों का हिस्सा रहे हैं. पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अगस्त 2017 में 3-2 के बहुमत से ‘तीन तलाक’ को असंवैधानिक घोषित कर दिया था. उन तीन न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति ललित भी थे.

न्यायमूर्ति यू. यू. ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत एक मामले में बंबई उच्च न्यायालय के ‘त्वचा से त्वचा के संपर्क’ संबंधी विवादित फैसले को खारिज कर दिया था. शीर्ष अदालत ने कहा था कि यौन हमले का सबसे महत्वपूर्ण घटक यौन मंशा है, बच्चों की त्वचा से त्वचा का संपर्क नहीं.

नौ नवंबर, 1957 को जन्मे न्यायमूर्ति ललित ने जून 1983 में एक वकील के रूप में नामांकन किया था और दिसंबर 1985 तक बॉम्बे उच्च न्यायालय में वकालत की थी.

वह जनवरी 1986 में दिल्ली आकर वकालत करने लगे और अप्रैल 2004 में उन्हें शीर्ष अदालत द्वारा एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया.

2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में सुनवाई के लिए उन्हें केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया गया था.

न्यायमूर्ति ललित आठ नवंबर, 2022 को सेवानिवृत्त होंगे।

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.


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