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Wednesday, 20 November, 2024
होमदेश‘बस घर जाना चाहता हूं, धोखे से किया रूस की सेना में शामिल’, करनाल के युवक की भारत से मदद की गुहार

‘बस घर जाना चाहता हूं, धोखे से किया रूस की सेना में शामिल’, करनाल के युवक की भारत से मदद की गुहार

19-वर्षीय हर्ष कुमार पिछले दिसंबर में टूरिस्ट वीज़ा पर रूस गए थे, उन्होंने कहा कि बेलारूस में उनके साथियों के साथ पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया और रूस की सेना को सौंप दिया.

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गुरुग्राम: ऑस्ट्रेलिया के वीज़ा के लिए ट्रेवल हिस्ट्री बनाने के मकसद से टूरिस्ट वीज़ा पर रूस घूमने गए हरियाणा के करनाल जिले के 19-वर्षीय युवक को पुलिस ने रूसी सेना को सौंप दिया.

युवक, हर्ष कुमार, पंजाब और हरियाणा के उन सात लोगों में से एक हैं, जिनकी उम्र 20 से 24 साल के बीच है, जिन्होंने सोशल मीडिया पर याचिका पोस्ट कर दावा किया है कि एक एजेंट ने धोखे से उन्हें रूसी सेना में शामिल करवा दिया और भारतीय अधिकारियों से हस्तक्षेप की मांग की.

सोमवार को वीडियो सामने आने के बाद से करनाल के सांभली गांव में हर्ष का परिवार, जिसमें उनकी दादी कमला देवी, पिता सुरेश कुमार, मां सुमन देवी और भाई साहिल सरोहा शामिल हैं, उनके लिए परेशान हैं.

युवक के पिता, भाई और कुछ अन्य रिश्तेदारों ने करनाल के सांसद संजय भाटिया से मुलाकात की और हर्ष को रूस से वापस लाने में मदद मांगी, जो लंबे समय से यूक्रेन के साथ युद्ध कर रहा है.

जब दिप्रिंट ने शुक्रवार को साहिल को कॉल किया, तो कॉल का जवाब एक व्यक्ति ने दिया, जिन्होंने अपना परिचय साहिल और हर्ष के मामा सुनील कुमार के रूप में दिया.

कुमार ने कहा, “सुबह से हम मीडियाकर्मियों के फोन कॉल का जवाब दे रहे हैं. कुछ अन्य लोग गांव पहुंचे हैं. साहिल सिर्फ 21 साल का है और घटनाओं को बार-बार दोहरा कर थक गया है. दोपहर के एक बज चुके हैं और हमारे परिवार में अभी तक किसी ने नाश्ता नहीं किया है. एक तरफ, हम हर्ष की भलाई के बारे में चिंतित हैं और दूसरी तरफ, हमें सब कुछ बार-बार दोहराना पड़ रहा है.”

उन्होंने कहा कि हर्ष के परिवार के सभी सदस्य व्यथित हैं और उनकी सुरक्षित वापसी की उम्मीद लगा रहे हैं.

हर्ष के परिवार वाले | फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट
हर्ष के परिवार वाले | फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट

कुमार के मुताबिक, हर्ष पिछले साल 25 दिसंबर को टूरिस्ट वीज़ा पर रूस में नया साल मनाने के लिए रवाना हुआ था.

कुमार ने कहा, “वे रूसी सेना में कैसे पहुंचे, यह हमें सोशल मीडिया पर वीडियो के बाद ही पता चला.” उन्होंने कहा, “हर्ष अब टेलीफोन के जरिए से परिवार के संपर्क में है.”

कुमार ने यह भी कहा कि हर्ष ने अपने परिवार को बताया था कि उसे और अन्य लोगों को पुलिस ने 12 जनवरी को गिरफ्तार कर लिया था.

दिप्रिंट ने हर्ष को उसके एक दोस्त द्वारा दिए गए नंबर पर व्हाट्सएप पर कॉल किया, लेकिन कॉल कनेक्ट नहीं हुई. शुक्रवार को दिप्रिंट द्वारा उन्हें भेजे गए एक मैसेज का जवाब देते हुए, हर्ष ने कहा कि ग्रुप से अब तक भारतीय दूतावास से किसी ने संपर्क नहीं किया है और वे मुश्किल स्थिति में हैं.

उन्होंने लिखा, “हम सभी बस यहां से सुरक्षित निकलना चाहते हैं ताकि हम अपने घर पहुंच सकें.”

यह पूछे जाने पर कि क्या वे युद्ध के मोर्चे पर थे या सुरक्षित स्थान पर, हर्ष ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि उन्हें कहां रखा गया है, लेकिन वे कार्रवाई के बीच में नहीं थे.

नाम न छापने की शर्त पर उनके एक दोस्त ने कहा कि हर्ष ऑस्ट्रेलिया में सेटल होना चाहते थे और अपने पासपोर्ट पर ट्रेवल हिस्ट्री बनाने के लिए रूस गए थे ताकि उन्हें देश के लिए आसानी से वीज़ा मिल सके.

करनाल के सांसद संजय भाटिया ने कहा कि वे इस मामले को विदेश मंत्रालय के समक्ष उठाएंगे और युवक की सुरक्षित वापसी के लिए हर संभव प्रयास करेंगे.


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‘धोखे का एहसास बाद में हुआ’

वरिष्ठ पत्रकार उमा सुधीर सहित कई लोगों द्वारा सोशल मीडिया पर साझा किए गए वीडियो में हर्ष और उनके पीछे खड़े छह अन्य लोग बता रहे हैं कि कैसे ग्रुप को रूसी सेना में “मददगार” होने का झांसा दिया गया, हथियारों की ट्रेनिंग दी गई और बताया गया उन्हें यूक्रेन में रूस के चल रहे युद्ध की अग्रिम पंक्ति में भेजा जाएगा.

दिप्रिंट ने स्वतंत्र रूप से वीडियो की पुष्टि नहीं की है.

“हम सभी टूरिस्ट बन कर रूस आए थे. यहां हमारी मुलाकात एक एजेंट से हुई जो हमें घुमाने के लिए बेलारूस ले गया और वहां जाकर उसने पैसे मांगने शुरू कर दिए. जब हमने कहा कि हमारे पास पैसे नहीं हैं तो उसने हमें हाईवे पर छोड़ दिया. हमें नहीं पता था कि बेलारूस जाने के लिए हमें वीज़ा की ज़रूरत है. हमें पुलिस ने पकड़ लिया और रूसी सेना को सौंप दिया.” हर्ष ने वीडियो में कहा, “सेना ने हमें तीन-चार दिनों तक अज्ञात स्थान पर हिरासत में रखा.”

उन्होंने आगे बताया, “बाद में हमें एक ऐसे व्यक्ति से बात करने के लिए कहा गया जो हमारी भाषा जानता था. उन्होंने हमसे कहा कि हमें 10 साल की जेल होगी या हम सेना में सहायक बनने, खाना पकाने या ड्राइविंग जैसे काम करने के लिए कॉन्ट्रैक्ट साइन कर सकते हैं. कॉन्ट्रैक्ट उनकी भाषा में था और हम इसे समझ नहीं सके, लेकिन हमने इस पर साइन किए. हमें बाद में एहसास हुआ कि हमारे साथ धोखा हुआ है. उन्होंने हमें रूसी सेना में भर्ती कर लिया था.”

हर्ष के मुताबिक, ग्रुप को ट्रेनिंग दी गई और फिर यूक्रेन भेज दिया गया. उन्होंने कहा, “हमारे कुछ साथियों को पहले ही युद्ध के मोर्चे पर भेज दिया गया है और हम सात लोगों को बताया गया है कि हमें भी युद्ध के मोर्चे पर भेजा जाएगा, जहां हमें लड़ना होगा. हम लड़ने के लिए बिल्कुल भी तैयार या इच्छुक नहीं हैं और हममें से अधिकांश लोग ठीक से बंदूक भी नहीं पकड़ सकते. हम भारत सरकार से हमें बचाने की अपील करते हैं.”

26 फरवरी को विदेश मंत्रालय ने रूसी सेना से रिहाई की गुहार लगाने वाले भारतीय नागरिकों के बारे में मीडिया रिपोर्टों पर एक बयान जारी किया.

मंत्रालय ने कहा, “हमने रूसी सेना से रिहाई के लिए मदद मांगने वाले भारतीयों के संबंध में मीडिया में कुछ गलत रिपोर्टें देखी हैं. मॉस्को में भारतीय दूतावास के ध्यान में लाए गए ऐसे प्रत्येक मामले को रूसी अधिकारियों के साथ दृढ़ता से उठाया गया है और मंत्रालय के ध्यान में लाए गए मामलों को नई दिल्ली में रूसी दूतावास के साथ उठाया गया है.”

बयान में आगे कहा गया, “परिणामस्वरूप कई भारतीयों को पहले ही रिहाई दे दी गई है. हम सर्वोच्च प्राथमिकता के तौर पर रूसी सेना से भारतीय नागरिकों की शीघ्र रिहाई के लिए रूसी अधिकारियों के साथ सभी प्रासंगिक मामलों को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.”

29 फरवरी को मीडिया ब्रीफिंग में मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा, “हम जानते हैं कि लगभग 20 लोग फंसे हुए हैं. हम जल्द से जल्द उनके डिस्चार्ज की कोशिश में जुटे हैं…हमने लोगों से यह भी कहा है कि वे युद्ध क्षेत्र में न जाएं या ऐसी परिस्थितियों में न फंसें जो मुश्किल हों. हम यहां नई दिल्ली और मॉस्को दोनों जगहों पर रूसी अधिकारियों के साथ नियमित संपर्क में हैं.”

(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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