नयी दिल्ली, 31 जुलाई (भाषा) केंद्र सरकार द्वारा ‘अश्लीलता फैलाने’ के आरोप में 25 डिजिटल मंचों को प्रतिबंधित करने के बाद एक गैर लाभकारी संगठन ने बृहस्पतिवार को कहा कि इन पर सिर्फ रोक ही काफी नहीं है, बल्कि इन मंचों के संचालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
‘सेव कल्चर सेव भारत फाउंडेशन’ ने एक बयान में कहा कि इन मंचों पर परोसे जाने वाली सामग्री सभ्यता और सांस्कृतिक अस्तित्व पर हमला है।
बयान के मुताबिक, संगठन के संस्थापक एवं पूर्व सूचना आयुक्त उदय माहूरकर ने सरकार द्वारा इन 25 मंचों पर प्रतिबंध लगाने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इन मंचों पर प्रसारित सामग्री केवल नैतिकता का नहीं, बल्कि एक सभ्यता का भी संकट है और जब तक इस डिजिटल अश्लीलता को गढ़ने, प्रचारित करने और उससे मुनाफा कमाने वालों को जवाबदेह नहीं ठहराया जाएगा, तब तक यह “सड़ांध और गहराती जाएगी।”
उन्होंने कहा कि इसलिए प्रासंगिक कानूनों के तहत इनके संचालकों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
वहीं, भारतीय अश्लीलता विरोधी कानूनों का उल्लंघन कर ‘मनोरंजन’ के नाम पर ‘सॉफ्ट पॉर्न’ को सामान्य बनाने का आरोप लगाते हुए शीर्ष अदालत में याचिका दायर करने वाले संजीव नेवर ने कहा कि यह लड़ाई केवल कानूनी नहीं बल्कि सांस्कृतिक अस्तित्व की है। उन्होंने कहा कि ओटीटी (डिजिटल माध्यम से) मनोरंजन के नाम पर “भारतीय युवाओं का कामुककरण करना इस देश की आत्मा पर सीधा हमला है।”
भाषा नोमान
जितेंद्र पवनेश
पवनेश
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