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Thursday, 28 August, 2025
होमदेशसंभल हिंसा पर न्यायिक समिति रिपोर्ट: पहले से रची गई साजिश और आबादी में बदलाव की पुष्टि

संभल हिंसा पर न्यायिक समिति रिपोर्ट: पहले से रची गई साजिश और आबादी में बदलाव की पुष्टि

450 पन्नों की रिपोर्ट में न केवल पिछले वर्ष की झड़पों की जांच की गई, बल्कि 1947 से अब तक जिले में हुई 15 सांप्रदायिक झड़पों के इतिहास का भी पता लगाया गया.

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लखनऊ: संभल नगर पालिका क्षेत्र की आबादी में बड़े बदलाव की ओर इशारा करते हुए एक न्यायिक जांच में पाया गया कि यहां हिंदू आबादी स्वतंत्रता के समय करीब 45 प्रतिशत थी, जो अब घटकर सिर्फ 15–20 प्रतिशत रह गई है, जबकि मुस्लिम आबादी बढ़कर लगभग 80 प्रतिशत हो गई है.

तीन सदस्यीय पैनल की रिपोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि पिछले साल की हिंसा अचानक नहीं भड़की, बल्कि यह “पहले से रची गई साजिश” का नतीजा थी. रिपोर्ट में समाजवादी पार्टी के स्थानीय सांसद ज़िया उर रहमान बर्क को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा गया कि 24 नवंबर की हिंसा, जिसमें कम से कम चार लोगों की जान गई, उनकी शाही जामा मस्जिद के बाहर की गई भाषण से शुरू हुई.

450 पन्नों की रिपोर्ट ने न सिर्फ पिछले साल की हिंसा की जांच की, बल्कि 1947 से अब तक जिले में हुई 15 साम्प्रदायिक हिंसाओं का भी जिक्र किया. इनमें 1948, 1953, 1958, 1962, 1976, 1978, 1980, 1990, 1992, 1995, 2001 और 2019 की घटनाएं शामिल हैं.

24 नवंबर को संभल में स्थानीय लोग प्रशासन से भिड़ गए. यह झगड़ा कोट गर्वी क्षेत्र की शाही जामा मस्जिद, जिसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने संरक्षित किया है, के कोर्ट-आदेशित सर्वे को लेकर हुआ. हिंसा में चार मौतों के अलावा 29 पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी घायल हुए.

रिपोर्ट तीन सदस्यीय पैनल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गुरुवार को सौंपी. पैनल की अध्यक्षता इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस देवेंद्र कुमार अरोड़ा ने की. अन्य सदस्य रिटायर्ड आईपीएस अफसर ए.के. जैन और अमित प्रसाद हैं.

बरक ने हिंसा से दो दिन पहले भाषण दिया था. रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा था, “हम इस देश के मालिक हैं, नौकर या गुलाम नहीं. मस्जिद थी, है और क़यामत तक रहेगी. अयोध्या में हमारी मस्जिद ले ली गई, यहाँ ऐसा नहीं होने देंगे.”

रिपोर्ट में कहा गया कि इस बयान ने धर्मांतरित हिंदू पठानों और तुर्क समुदाय के बीच तनाव पैदा किया, जो दो दिन बाद हिंसा में बदल गया. पैनल ने बरक, एसपी विधायक इकबाल महमूद के बेटे नवाब सुहैल इकबाल और जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के सदस्यों को हिंसा की साजिश का जिम्मेदार ठहराया.

रिपोर्ट में कहा गया कि दंगे के दौरान धार्मिक स्थलों को जानबूझकर निशाना बनाया गया और बाहर से लोगों को हिंसा फैलाने के लिए बुलाया गया। यह हिंसा योजनाबद्ध और संगठित तरीके से कराई गई थी.

हिंदू क्षेत्रों पर हमला करने की योजना थी, लेकिन भारी पुलिस तैनाती के कारण वह नाकाम हो गई. रिपोर्ट के अनुसार, चार लोगों की मौत पठानों और तुर्कों के बीच क्रॉस-फायरिंग में हुई. जबकि हिंदू इलाकों में बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाने की साजिश विफल हो गई. रिपोर्ट में अवैध हथियारों और नशे के नेटवर्क की मौजूदगी का भी जिक्र है. हालांकि हाल की कार्रवाई से हालात पर काबू पाया गया है.

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक साल लंबी अतिक्रमण विरोधी मुहिम में संभल में 1,000 से ज्यादा अवैध कब्जे हटाए और 68 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन खाली कराई. इस जमीन में बंजर प्लॉट, तालाब और सड़कें शामिल थीं. कार्रवाई के तहत 35 से ज्यादा अवैध धार्मिक ढाँचे भी तोड़े गए और 2 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन वापस ली गई.

“संभल नगर पालिका क्षेत्र में हिंदुओं की आबादी 1947 में 45 प्रतिशत थी, जो अब घटकर सिर्फ 15 प्रतिशत रह गई है। जनसंख्या ही लोकतंत्र की किस्मत तय करती है,” भाजपा प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया.

भाजपा सांसद दिनेश शर्मा ने कहा कि संभल ने कई दंगे देखे हैं, जिनसे तेज़ पलायन हुआ. यूपी के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने आईएएनएस से कहा, “सरकार की प्राथमिकता है कि हिंदू और मुस्लिम मिलकर शांतिपूर्वक रहें. लेकिन लोग पलायन के लिए क्यों मजबूर हुए. धार्मिक स्थान क्यों तोड़े गए. लोग क्यों मारे गए और औरतों पर अत्याचार क्यों हुआ.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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