नई दिल्ली: रिसर्च स्कॉलरों की कैंपस वापसी के मामले में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्र संघ (जेएनयूएसयू) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखा है. चिट्ठी में चिंता जताते हुए कहा गया है कि लंबे समय से कैंपस में मौजूद लाइब्रेरी, इंटरनेट और लैबोरेट्री जैसी सुविधाओं के नहीं मिलने से छात्रों का रिसर्च प्रभावित हो रहा है.
स्वास्थ्य मंत्रालय को शनिवार को लिखी चिट्ठी में छात्रों ने कहा, ‘कोविड महामारी की वजह से मार्च के मध्य में जेएनयू छात्रों को घर भेज दिया गया. अब साढ़े पांच महीने हो गए हैं और कैंपस से दूरी की वजह से छात्र लाइब्रेरी, इंटरनेट और लैबोरेट्री जैसी सुविधाओं का लाभ नहीं उठा पा रहे जिससे उनके रिसर्च का काम प्रभावित हो रहा है.’
शिक्षा मंत्रालय और जेएनयू प्रशासन को भी सीसी किए गए इस पत्र में तर्क दिया गया है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ़ हैदराबाद और आईआईटी दिल्ली जैसे संस्थान जिस तरह से अपने रिसर्च स्कॉलर्स को वापस बुला रहे हैं. इन्हीं की तर्ज पर कोविड-19 से जुड़े प्रोटोकॉल फ़ॉलो करते हुए छात्रों की कैंपस वापसी सुनिश्चित कराई जाए. इसके पहले 30 अगस्त को इसी तरह की एक चिट्ठी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी भेजी जा चुकी है.
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जेएनयू छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) ने इन चिट्ठियों में इस बात का भी ज़िक्र किया है कि लॉकडाउन के बाद से ही कई छात्र दिल्ली में फंसे हुए हैं जो कैंपस वापस लौटना चाहते हैं. ख़ास तौर पर वो छात्र जिन्होंने यूजीसी नेट की परीक्षाओं के लिए दिल्ली को सेंटर के तौर पर चुना है. ये परीक्षाएं 16-25 सिंतबर के बीच होने वाली हैं. सीएम को लिखी चिट्ठी में कहा गया है कि छात्र मेडिकल स्क्रीनिंग और 14 दिन के क्वारेंटाइन के लिए तैयार हैं.
ये भी कहा गया है कि दिल्ली में फंसे छात्रों की वापसी के लिए मेडिकल स्क्रीनिंग और 14 दिन के क्वारेंटाइन का रास्ता मई महीने में मेहरौली के एसडीएम द्वारा जेएनयू प्रशासन को सुझाया गया था लेकिन प्रशासन इसके लिए तैयार नहीं हुआ. इस विषय में दिप्रिंट ने जेएनयू प्रशासन का पक्ष जानने के लिए 30 अगस्त से 5 सिंतबर के बीच यहां के वीसी एम जगदीश कुमार और यहां की पीआरओ पूनम कसौदिया से कई बार संपर्क किया लेकिन स्टोरी पब्लिश होने तक उनका कोई जवाब नहीं आया.
हालांकि, 31 अगस्त को जारी किए गए नोटिफ़िकेशन में जेएनयू प्रशासन ने छात्रों ने उनके घर पर रहने का आग्रह किया है. जेएनयूएसयू के उपाध्यक्ष साकेत मून की मानें तो कैंपस वापसी की राह देख रहे 500 से अधिक ऐसे छात्र हैं जो या तो रिसर्च स्कॉलर हैं या उन्हें यूजीसी-नेट की परीक्षा देनी है या वो दिल्ली में फंसे हैं. मून ने दिप्रिंट से कहा, ‘नीट-जेईई और अंतिम वर्ष की परीक्षा के लिए लाखों छात्र घर से निकल सकते हैं लेकिन जेएनयू के छात्रों को घर में रहने को कहा जा रहा है.’
उन्होंने कहा कि जेएनयू वीसी को नीट-जेईई के छात्रों की परीक्षा की चिंता तो है लेकिन उन्हें अपने ही रिसर्च स्कॉलरों की चिंता नहीं है.