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Friday, 19 April, 2024
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अंको के आधार पर एडमिशन देने के तरीके पर फिर से विचार करेगा IIMC

IIMC एक स्वायत्त संस्थान है. किसी भी स्ट्रीम में ग्रैजुएशन के बाद छात्र यहां से हिंदी, अंग्रेज़ी, रेडियो-टीवी जर्नलिज़्म और एडवर्टाइजमेंट-पब्लिक रिलेशन जैसे विकल्पों को चुन कर नौ महीने का डिप्लोमा कर सकते हैं.

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नई दिल्ली: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (आईएंडबी) के तहत आने वाले भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) ने 2020-21 के सत्र में एडमिशन से जुड़े नियमों में जो बदलाव किए हैं, उन नियमों के एक बार फ़िर से बदले जाने की संभावना है.

बीते 28 जुलाई को जारी किए गए एक नोटिस में आईआईएमसी ने मैट्रिक से ग्रेजुएशन तक के नंबरों के आधार पर एडमिशन देने का फ़ैसला किया था.

आईएंडबी सचिव अमित खरे ने दिप्रिंट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा शुक्रवार को यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) की गाइडलाइन का पलान करने से जुड़े आदेश के बाद आईआईएमसी को उन नियमों पर फ़िर से ग़ौर करने को कहा गया है जो संस्थान ने 28 जुलाई को जारी किए थे. खरे ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट द्वारा (यूजीसी गाइडलाइन को लेकर) दिए गए फ़ैसले के बाद उन्हें (आईआईएमसी को) नियमों पर फ़िर से विचार करने को कहा गया है.’

आईआईएमसी में आम तौर पर एंट्रेस एग्ज़ाम और इंटरव्यू के जरिए एडमिशन होता है. हालांकि, इस साल कोविड- 19 से बिगड़े हालात और इसकी वजह से चिंतित परिजनों और छात्रों का हवाला देते हुए संस्थान ने छात्रों द्वारा मैट्रिक से ग्रैजुएशन तक प्राप्त किए गए नंबर और इंटरव्यू के आधार पर एडमिशन देने का फै़सला किया था.


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आईएंडबी के अलावा अमित खरे शिक्षा मंत्रालय के भी सचिव हैं. छात्रों और विपक्षी पार्टियों के भारी विरोध के बावजूद शिक्षा मंत्रालय का मत यही रहा है कि यूजीसी की गाइडलाइन के तहत विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षा  से लेकर ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन (जेईई) और नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) जैसी प्रवेश परीक्षाएं तय समय पर होनी चाहिए.

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दिप्रिंट ने शिक्षा मंत्रालय के इसी मत का हवाला देते हुए खरे से पूछा कि दोनों मंत्रालयों में उन्हीं के सचिव होने के बावजूद अंतिम वर्ष की परीक्षाओं से लेकर नीट-जेईई की परीक्षाओं और आईआईएमसी के एंट्रेस की परीक्षा की नीति में अंतर क्यों है? इसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘अभी तक आईआईएमसी में कोई दाख़िला नहीं हुआ है. आईआईएमसी में अभी एप्लिकेशन आ रहे हैं. इसके बाद ये तय किया जाएगा कि परीक्षा किस तरह से लेनी है.’

28 जुलाई वाले नोटिस की याद दिलाते हुए दिप्रिंट ने जब उनसे पूछा कि इस नोटिस में आईआईएमसी ने मैट्रिक से ग्रैजुएशन तक के नंबरों के आधार पर एडमिशन की बात की है तो इसके जवाब में उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद आईआईएमसी को फ़िर से विचार करने को कहा गया है. आपको बता दें कि आईएंडबी के सचिव ही आईआईएमसी के चेयरमैन भी होते हैं.

आईआईएमसी एक स्वायत्त संस्थान है. किसी भी स्ट्रीम में ग्रैजुएशन के बाद छात्र यहां से हिंदी जर्नलिज़्म, अंग्रेज़ी जर्नलिज़्म, रेडियो-टीवी जर्नलिज़्म और एडवर्टाइजमेंट-पब्लिक रिलेशन जैसे विकल्पों में से किसी में भी नौ महीने का डिप्लोमा कर सकते हैं. यहां से ओडिया, मराठी, मलयालम और उर्दू में भी जर्नलिज़्म का डिप्लोमा होता है.

दिल्ली के अलावा अमरावती (महाराष्ट्र), ढेंकनाल (ओडिशा), कोट्टायम (केरल) और जम्मू में भी आईआईएमसी के केंद्र हैं. हालांकि, दिल्ली के अलावा अन्य केंद्रों में हिंदी जर्नलिज़्म, रेडियो-टीवी जर्नलिज़्म और एडवर्टाइजमेंट-पब्लिक रिलेशन के कोर्स नहींं कराए जाते. सभी कोर्स और सभी केंद्रों को मिलाकर हर साल यहां 473 से कम बच्चों का ही दाख़िला होता है. जबकि हजारों की संख्या में आवेदन आते हैं.


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