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Friday, 31 May, 2024
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जेएनयू में हुई हिंसा के पीछे क्या चुन-चुनकर छात्रों को निशाना बनाया गया

रविवार को हुई हिंसा के बाद जेएनयू कैंपस में भय का माहौल है. छात्रों का कहना है कि जिन हॉस्टलों में सबसे ज़्यादा हिंसा हुई उनमें साबरमती है जहां छात्रों को चिन्हत कर मारा गया.

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नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में शनिवार से शुरू हुई हिंसा ने रविवार को भीषण रूप ले लिया. दो दर्जन छात्रों के गंभीर रूप से घायल होने से कैंपस में बच्चों के बीच भय का माहौल बना हुआ है.

सोमवार को भी भय का माहौल देखने को मिला. छात्रों का कहना है कि जिन हॉस्टलों में सबसे ज़्यादा हिंसा हुई उनमें साबरमती है. यहां के छात्रों का आरोप है कि साबरमती समेत अन्य हॉस्टलों में छात्रों को चिन्हत कर हिंसा की गई.

जेएनयू से एमए में डेवलपमेंट स्टडी की पढ़ाई कर रहे मनीष नाम के एक छात्र ने बताया कि संस्कृत विभाग की पढ़ाई कर रहे उनके दोस्तों को पहले ही व्हाट्सएप पर मैसेज करके हिंसा के बारे में सतर्क किया गया था. मनीष ने कहा, ‘ऐसे कई छात्रों को रविवार को पहले ही संदेश आया था कि या तो वो कैंपस छोड़ दें या अपने हॉस्टल से बाहर न निकलें क्योंकि कुछ भी हो सकता है.’

साबरमती के कई छात्रों ने एक धर्म विशेष के अलावा कश्मीरी और लेफ्ट यूनिटी के छात्रों को चिन्हित करके उनके ख़िलाफ़ हिंसा के आरोप लगाए. सबरमती में रहने वाले शौकत नाम की ऐसे ही एक कश्मीरी छात्र ने आरोप लगाते हुए कहा, ‘एक धर्म विशेष के छात्रों और कश्मीरी छात्रों के एक-एक कमरे को निशाना बनाया गया. एक धर्म विशेष के छात्रों और कश्मीरी छात्रों के कमरों के बीच में एक विचाराधारा विशेष के छात्रों का भी कमरा था लेकिन उन कमरों पर ख़रोंच तक नहीं आई.’

साबरमती में हुई हिंसा की गंभीर स्थिति वहां पहुंचने पर साफ़ दिखाई देती है. हॉस्टल के मेन गेट का कांच टूटा हुआ है और कई ऐसे कमरे हैं जिनके शीशे चकनाचूर हो गए हैं. हॉस्टल के दिव्यांग छात्रों तक को नहीं बख्शा गया. हॉस्टल के ग्राउंड फ्लोर पर रहने वाले एक दिव्यांग छात्र ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, ‘चार-पांच लोगों ने मेरे कमरे के गेट के ऊपर लगे कांच को तोड़कर ऊपर से हाथ डालकर गेट खोल लिया.’

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दिव्यांग छात्र ने बांह और पीठ की चोटें दिखाते हुए कहा कि उन्होंने कई बार मिन्नतें कीं और बताया कि वो देखने में असक्षम हैं फिर भी उनके ऊपर हमले किए गए. छात्र का आरोप है कि पिटाई कर रहे लोगों के मुंह से शराब की बदबू आ रही थी और हमलावरों में से एक ने कहा, ‘ये दिव्यांग है, इसे मारने से कुछ नहीं होगा. हम ख़ास लोगों को सबक सिखाने आए हैं. इसे छोड़ दो.’ इसके बावजूद पिटाई कर रहे लोग नहीं माने.

कावेरी हॉस्टल में रहने वाले हसन नाम के छात्र ने कहा कि हिंसा पूरी तरह से टारगेटेड थी. हॉस्टल से लेकर छात्रों की पहचान और रूम नंबर तक पहले से चिन्हित थे. हसन ने कहा, ‘मेरी स्कूटी पर एनआरसी विरोधी पोस्टर लगा देखकर दिल्ली पुलिस ने मेरे साथ काफ़ी अभद्र व्यवहार किया और भद्दी भद्दी गालिया दीं. कावरे हॉस्टल में एक धर्म विशेष के और कश्मीर के छात्र रहते हैं इसकी वजह से साबरमती के अलावा इस हॉस्टल पर भी टॉरगेटेड हमला हुआ.’

A masked mob entered the JNU campus on Sunday, 5 January and beat up students and teachers and vandalised the campus
भीड़ ने रविवार को जेएनयू कैंपस में घुस कर हिंसा की | फोटो: मनीषा मोंडल

हिंसा की शुरुआत से ही एबीवीपी इसे लेफ्ट यूनिटी के छात्रों द्वारा पहले से प्लान करके किया गया हमला बता रहा है.

संस्कृति अध्ययन संस्थान के प्रोफेसर हरिराम मिश्रा ने कहा, ‘लेफ्ट यूनिटी का जो छात्र संघ अभी नोटिफ़ाई भी नहीं हुआ है लेकिन फिर भी ये छात्र संघ के नाम पर हिंसा की. 28 अक्टूबर को हुई फ़ी हाइक के बाद से इन्होंने कैंपस में आतंक मचा रखा है. जो शांतिप्रिय छात्र हैं वो रजिट्रेशन करवा के पढ़ना चाहते हैं, लेकिन ना तो ये उन्हें रजिस्ट्रेशन करने दे रहे हैं और ना ही पढ़ने दे रहे हैं, उल्टे उनके साथ हिंसा कर रहे हैं.’

सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने ट्वीट कर आरोप लगाए हैं कि रविवार रात जेएनयू में उनके ऊपर तीन बार हमला हुआ. आरोपों से भरे तीन ट्वीट्स में उन्होंने संस्कृति अध्ययन संस्थान के प्रोफेसर हरिराम मिश्रा के बारे में लिखा है, ‘उन्होंने मेरे गले में लगे मफलर से मुझे खींचा जिसके बाद मैं गिर गया और फिर मेरे ऊपर हमले हुए.’ यादव ने एम्स पहुंचने पर दिल्ली पुलिस के दो अधिकारियों द्वारा भी उनके ऊपर हमले का आरोप लगाया.

एबीवीपी से संबंध रखने वाले जीतेंद्र 2018 में जेएनयू से लॉ पासआउट हैं. उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘मैं शनिवार को दो बजे दोपहर को कैंपस आया था. लेफ्ट यूनिटी वालों ने रजिस्ट्रेशन रोक रखा था. मेरा भी रजिस्ट्रेशन होना था. यहां एबीवीपी के छात्र मुश्किल से 100-200 की संख्या में हैं जबकि 8000 से अधिक छात्रों वाले जेएनयू में ज़्यादातर छात्र लेफ्ट यूनिटी के हैं.’

उन्होंने कहा कि रजिस्ट्रेशन करा रहे बच्चे जब लेफ्ट की बात नहीं मानें तो वो जबरदस्ती उन्हें वहां से खींचकर ले जाने लगे और यहीं से हिंसा शुरू हुई.


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लेफ्ट यूनिटी और अन्य छात्रों की तरह कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई से जेएनयूएसयू चुनाव में अध्यक्ष पद लड़ चुके सनी धीमान ने हिंसा के लिए सीधे तौर पर आरएसएस से संबंध एबीवीपी को ज़िम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा, ‘आइशी घोष लेफ्ट यूनिटी की नहीं बल्कि जेएनयू की अध्यक्ष हैं. ये हमला उनके ऊपर नहीं हुआ बल्कि जेएनयू की अस्मिता और एक-एक छात्र पर हुआ है. मैं लंबे समय तक इस कैंपस का छात्र रहा हूं, लेकिन कभी ऐसी हिंसा नहीं देखी.’

उन्होंने कहा कि हिंसा टारगेटेड थी और धार्मिक पहचान से लेकर विचारधारा विशेष के लोगों के कमरों का हमलावरों को पहले से पता था. उन्होंने चुन-चुन कर लोगों को निशाना बनाया. जिन्हें निशाना बनाया गया उनमें कई कश्मीरी छात्र शामिल हैं.

उर्दू में एमए की पढ़ाई कर रहे मसूद नाम के ऐसे ही एक कश्मीरी छात्र ने दिप्रिंट से कहा, ‘मोदी जी ने कहा था कि वो प्रदर्शनकारियों को कपड़ों से पहचानते हैं. जामिया से लेकर अलीगढ़ के बाद जेएनयू में भी लोगों को कपड़ों और कमरों से पहचान कर उनके साथ हिंसा की गई.’

मसूद ने कहा कि कश्मीरियों पर हमला करना आसान है क्योंकि उन पर हमले के बाद किसी की जवाबदेही नहीं रह जाती. उन्होंने ये भी कहा कि वो जो कह रहे हैं वो आरोप नहीं बल्कि सच्चाई है.

आपको बता दें कि 28 अक्टूबर को जेएनयू प्रशासन ने छात्रों से संपर्क किए बिना हॉस्टल और मेस की फ़ीस बढ़ा दी थी जिसके बाद से छात्रों ने क्लास जाने से लेकर पढ़ाई तक बंद कर रखी है. जेएनयू प्रशासन के तमाम दबाव के बाद ज़्यादातर छात्रों ने सेमेस्टर एक्ज़ाम नहीं दिए और उन्होंने नए सत्र के लिए रजिस्ट्रेश को भी बायकॉट किया.

जेएनयू प्रशासन द्वारा जारी किए गए बयान में बताया गया है कि लेफ्ट के छात्र अन्य छात्रों को रजिस्ट्रेशन नहीं करवाने दे रहे थे जिसके लिए उन्होंने सर्वर रूम को घेरने से लेकर सर्वर बंद करने तक का काम किया. प्रशासन का कहना है, ‘एक जनवरी से विंटर सेशन का रजिस्ट्रेशन ठीक से हो रहा था लेकिन तीन तारीख़ को रजिस्ट्रेशन का विरोध कर रहे छात्र कम्युनिकेशन और इंफॉर्मेशन सर्विस (सीआईएस) रूम में घुसे और सर्वर बंद कर दिया.’


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बयान में लिखा है कि चार को सर्वर ठीक कर दिया गया और रजिस्ट्रेशन फिर शुरू हुआ और हज़ारों छात्र नई हॉस्टल और मेस फ़ीस के साथ रजिस्ट्रेशन करवाने लगे लेकिन छात्रों के एक समूह ने फिर से रजिस्ट्रेशन रोक दिया. दोनों ही बार मामले में रजिस्ट्रेशन रोक रहे छात्रों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराई गई.

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