नई दिल्ली: देश की राजधानी में स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) बिना इंटरनेट कनेक्शन वाले छात्रों की अलग से परीक्षा लेगा. जेएनयू के वीसी एम जगदीश कुमार ने कहा कि फिलहाल जारी ऑनलाइन परीक्षाओं में जिन छात्रों के पास इंटरनेट नहीं है वे हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं, जब वो कैंपस लौटेंगे तब उनके लिए परीक्षा का आयोजन किया जाएगा. वीसी ने बताया कि बाकी के छात्र अभी जारी ऑनलाइन परीक्षाओं में हिस्सा ले रहे हैं.
जेएनयू के कई सेंटरों में ऑनलाइन परीक्षाएं चल रही हैं.
दिप्रिंट के साथ एक ख़ास इंटरव्यू में जेएनयू के वीसी ने कहा कि ऑनलाइन पढ़ाई से यूनिवर्सिटी के छात्रों को काफ़ी फ़ायदा हुआ है. उन्होंने कहा, ‘ऐसी भयानक महामारी में हमारे पास दो विकल्प थे. या तो छात्र घर बैठे रहते और कुछ नहीं करते या ऑनलाइन पढ़ाई जारी रखते. ऑनलाइन कोर्स से बहुत से छात्रों को काफी फायदा हुआ है.’
उन्होंने ये बात ऐसे समय में कही है जब देश के कई विश्वविद्यालयों के छात्र इंटरनेट के जरिए शिक्षा और परीक्षा को लेकर आपत्ति जता रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘महामारी के दौरान जेएनयू के स्कूल और सेंटर व्हाट्सएप, ईमेल, वीडियो कॉल के जरिए शिक्षा दे रहे हैं.’
वीसी के मुताबिक ज़्यादातर छात्रों के पास इंटरनेट कनेक्शन है. डीन्स और चेयरपर्सन ने तय किया है कि जिनके पास इंटरनेट नहीं है. उनके वापस आने पर उनके लिए स्पेशल लेक्चर की व्यवस्था की जाएगी. परीक्षा के मामले में भी यही होगा.
उन्होंने कहा, ‘कई छात्र ऑनलाइन परीक्षा भी दे रहे हैं. जिनके पास इंटरनेट नहीं है उनकी परीक्षा उनके वापस आने के बाद ली जाएगी.’ ऑनलाइन और ऑफलाइन परीक्षा के पेपरों को किस तरह से सेट किया जाएगा. इसका फैसला जेएनयू के स्कूल और सेंटर करेंगे.
सोमवार को जारी किए गए एक ताज़ा सर्कुलर के मुताबिक कोविड-19 के बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए जेएनयू कैंपस के 15 अगस्त से पहले खुलने के आसार नहीं हैं.
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छात्रों की मांग पर वीसी का जवाब
रिसर्च से जुड़े जेएनयू के कई छात्रों को शिकायत है कि उनके डेज़र्टेशन तैयार हैं. लेकिन इसे जमा करने का कोई माध्यम नहीं होने की वजह से उन्हें लॉकडाउन में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इसपर वीसी ने कहा, ‘डेज़र्टेशन ऑनलाइन जमा किए जाने की व्यवस्था को लेकर अकादमिक काउंसिल ने एक रेज़ॉल्यूशन पास किया है. इसे लागू भी किया जा रहा है.’
वीसी ने जानकारी दी कि पीएचडी छात्रों का वाइवा भी ऑनलाइन करवाया जा रहा है. ये भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि एमफिल और पीएचडी के छात्र बिना किसी परेशानी अपने फाइनल स्टेज को पूरा कर सकें.
विश्वविद्यालय के कई छात्रों ने दिप्रिंट को ये जानकारी दी कि उन्हें लंबे समय से नॉन-नेट फेलोशिप नहीं दी जा रही. लेकिन फेलोशिप न मिलने की बात को वीसी जगदीश कुमार ने सिरे से नकार दिया. उन्होंने कहा, ‘ये सच नहीं है. छात्रों को सही समय से नॉन-नेट फेलोशिप दी जा रही है.’
वहीं, कैंपस के बाहर रह रहे छात्रों की मांग है कि उनके लिए एक हेल्पलाइन नंबर मुहैया कराया जाए. इसे लेकर वीसी का कहना है कि यूनिवर्सिटी के हेल्थ सेंटर में तमाम तरह की सुविधाएं हैं.
उन्होंने कहा, ‘यूनिवर्सिटी हेल्थ सेंटर में बेहद सक्षम डॉक्टर हैं. उनका कॉन्टैक्ट डीटेल छात्रों को दे दिया गया है. मानसिक या किसी भी तरह के तनाव के मामले में भी हेल्थ सेंटर लगातार मदद को तत्पर है. हमारे यहां दो एबुलेंस भी 24 घंटे तैयार खड़ी हैं.’
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हाल में हुई गिरफ़्तारियां और 5 जनवरी की हिंसा
पांच जनवरी को कैंपस में हुई हिंसा के बाद से ही जेएनयू कई विवादों में रहा है. वहीं, पिछले दिनों जेएनयू के दो छात्राएं देवांगना कलीता और नताशा नरवाल को सीएए विरोधी प्रदर्शन के सिलसिले में गिरफ़्तार किया गया था.
इस पर वीसी ने कहा, ‘कानून अपना काम कर रहा हैं. कानून के उल्लंघन के लिए अगर किसी की गिरफ़्तारी की गई है तो उसके ऊपर किसी संस्था को टिप्पणी करने का अधिकार नहीं होता है.’
जेएनयू में हुई पांच जनवरी की हिंसा के दौरान मास्क पहने गुंडों ने कैंपस पर हमला कर दिया था. इसपर उन्होंने कहा कि पुलिस द्वारा मामले की जांच चल रही है और जेएनयू प्रशासन पूरा सहयोग दे रहा है.
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उन्होंने कहा, ‘यूनिवर्सिटी भी मामले की जांच कर रही है. छात्रों को सलाह दी गई है कि वो ऐसी गैर-कानूनी गतिविधियों में मत शामिल हों.’ सुरक्षा के लिहाज़ से कैंपस के हॉस्टलों और अहम हिस्सों में सीसीटीवी भी लगाए जा रहे हैं और गार्ड्स को पहले की तुलना में और सतर्क रहने को कहा गया है.
दिप्रिंट ने जनवरी महीने में एक रिपोर्ट में बताया था कि जब कैंपस पर हमला हुआ था तो इस दौरान यहां बेहद कम सीसीटीवी कैमरे थे.
‘कैपस के बाहर फंसे छात्रों को वापस नहीं ले सकत’
सरकारों ने देश भर में अनलॉक- 1 लागू कर दिया है. लेकिन दिल्ली में फंसे जेएनयू छात्र अभी भी कैंपस लौटने में असक्षम हैं. वीसी का कहना है कि ऐसा इस वजह से है क्योंकि कैंपस में क्वारेंटीन फैसिलिटी नहीं है.
उन्होंने, ‘यहां क्वारेंटाइन फैसिलिटी नहीं है. ऐसे में अगर बाहर फंसे छात्रों को वापस बुलाया जाता है तो यहां मौजूद छात्रों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच सकता है.’
इससे जुड़े कई सर्कुलर का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, ‘सभी छात्रों से लगातार उनके घर जाने को कहा गया है. इसके बावजूद कैंपस में करीब 850 छात्र रुके हैं. बेहद कम स्टाफ के साथ इन छात्रों का ख़्याल रखा जा रहा है.’
इस साल के जेएनयू छात्र संघ चुनाव पर वीसी ने कहा, ‘यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन (यूजीसी) की गाइडलाइन और लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के हिसाब से यूनिवर्सिटी खुलने के बाद छात्र संघ चुनाव होंगे.’