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Thursday, 9 May, 2024
होमदेशनीति आयोग के विशेषज्ञ ने कहा- भारत में कोविड-19 के मामले, मृत्यु दर या प्रति मिलियन मौत अभी नियंत्रण में है

नीति आयोग के विशेषज्ञ ने कहा- भारत में कोविड-19 के मामले, मृत्यु दर या प्रति मिलियन मौत अभी नियंत्रण में है

एक विशेष साक्षात्कार में नीति आयोग के स्वास्थ्य और पोषण सलाहकार आलोक कुमार ने दिप्रिंट को बताया कि भारत ने कोविड के मामले में सामान संक्रमित संख्या वाले अन्य देशों की तुलना में बेहतर किया है.

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नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार के थिंकटैंक नीति आयोग के एक स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने कहा कि हर तरह से देखा जाये तो भारत में कोविड -19 का प्रभाव अपेक्षाकृत कम गंभीर है.

नीति आयोग के सलाहकार (स्वास्थ्य और पोषण) आलोक कुमार ने एक विशेष साक्षात्कार में दिप्रिंट को बताया कि अगर हम प्रति मिलियन मामलों को देखते हैं तो अमेरिका और स्पेन के 5,000 से अधिक मामलों की तुलना में हम प्रति मिलियन केवल 151 मामलों पर हैं.

उत्तर प्रदेश कैडर के 1993 बैच के आईएएस अधिकारी कुमार ने कहा, ‘हमारे मामले में मृत्यु दर (सीएफआर) लगभग 2.8 प्रतिशत है और लगातार कम बनी हुई है.’

तुलना करते हुए उन्होंने अन्य देशों में सीएफआर का हवाला दिया. उन्होंने कहा, ‘जर्मनी में सीएफआर 5 फीसदी है, फ्रांस में यह 19 फीसदी, अमेरिका में 6 फीसदी और इटली और यूके दोनों में 14 फीसदी से ज्यादा है.’

सीएफआर बीमारी से हुई मृत्यु और बीमारी से पीड़ित पुष्‍ट किये गए मामलों का अनुपात होता है.

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उन्होंने कहा, ‘अगर हम प्रति मिलियन जनसंख्या पर नजर डालें तो भारत में प्रति मिलियन चार मौतें दर्ज की गई हैं, जबकि यूके के लिए संख्या 585, अमेरिका 330, जर्मनी 104 और ब्राजील 153 है. उन्होंने कहा कि यहां अगर हमारी युवा जनसांख्यिकी को देखें तो हमारी स्वास्थ्य प्रणाली अभी तक महामारी से निपटने में सक्षम है.

कुमार के विश्लेषण के अनुसार, कोविड-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले शहर राष्ट्रीय स्तर केस में 65 प्रतिशत से अधिक का योगदान करते हैं. हालांकि यह सच है कि कुछ राज्य दूसरों की तुलना में अधिक केस लोड साझा करते हैं. यह स्पष्ट उभरता हुआ पैटर्न है कि घनी शहरी आबादी वाले शहर दूसरों की तुलना में वायरल संक्रमण के लिए अतिसंवेदनशील है.

आरनॉट, सीएफआर, मृत्यु दर -कोविड के प्रकोप की सीमा की जांच करने का सबसे सटीक उपाय है?

उन्होंने कहा, ‘हालांकि सभी पैरामीटर अलग-अलग निगरानी योग्य मानदंडों का सामना करने के लिए अपने तरीके से प्रासंगिक हैं, प्रति मिलियन आबादी की मृत्यु को ध्यान में रखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण संख्या है.’

उन्होंने कहा, सीएफआर हमारे क्लीनिकल ​​प्रयासों की सफलता को दर्शाता है, कम आरनॉट (आर शून्य) हमारे संक्रमण रोकथाम और शमन की रणनीति की सफलता को दर्शाता है.

आरनॉट उन लोगों की औसत संख्या का माप है जो एक संक्रामक रोग से पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आकर बीमार होते है.

भारत के लिए सबक

कुमार ने जोर दिया कि स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की योजना के लिए भारत को और अधिक रणनीतिक होने की आवश्यकता है.

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (एनएचपी) 2017 स्पष्ट रूप से स्वास्थ्य के संवर्धित सरकारी वित्तपोषण की आवश्यकता को स्पष्ट करती है, लेकिन इसके साथ ही हमें स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र के अन्य तत्वों को भी देखना होगा.’

इन मुद्दों में चिकित्सा शिक्षा और इसकी गुणवत्ता, दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और निदान के संदर्भ में अधिक आत्मनिर्भरता और विनियामक मार्गों को सुव्यवस्थित करना शामिल है. एनएचपी देश के स्वास्थ्य उद्देश्यों और लक्ष्यों को अच्छी तरह से परिभाषित अवधि के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रतिवर्ष प्रकाशित किया जाने वाला एक दस्तावेज है.

कुमार ने कहा, नीति आयोग भारत में स्वास्थ्य के लिए एक नए दृष्टिकोण की वकालत करता रहा है क्योंकि इसको ‘न्यू इंडिया के लिए हेल्थ सिस्टम- बिल्डिंग ब्लॉक्स: संभावित रास्तों में सुधार के लिए’ लाया गया है, जो विचार के लिए कई विकल्पों को प्रस्तुत करता है.

पिछले साल जारी की गई रिपोर्ट मौजूदा खंडित स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए आवश्यक प्रयासों पर दृष्टिकोण को एकीकृत करती है, ताकि राष्ट्र के सामने आने वाली चुनौतियों का सामना किया जा सके.

नीति आयोग का अनुमान

केंद्र सरकार अपने बुनियादी ढांचे की योजना के लिए नीति आयोग से अनुमानों पर निर्भर करती है. उदाहरण के लिए, आपातकालीन आवश्यकताओं का अनुमान लगाने के लिए 100 दिनों का कार्यक्रम शुरू किया, जो कि अगले तीन महीनों में उत्पन्न हो सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि कोरोनोवायरस का प्रकोप कितना तेज होता है.

कुमार ने कहा, ‘नीति आयोग ने विशेषज्ञों की एक विस्तृत श्रृंखला से परामर्श किया, जिसमें भारत सरकार के अन्य मंत्रालयों से महामारी विज्ञानियों, सांख्यिकीविदों, अर्थशास्त्रियों, इनपुट्स शामिल हैं और यह भी अनुमान लगाया गया है कि भारत में कोविड​​-19 के अनुमानों के बारे में हमारे अनुमानों पर पहुंचने से पहले जमीन से फीडबैक लेंगे, जैसा कि आप सराहना करेंगे, अनुमानों में बड़ी अनिश्चितताओं को शामिल करने का अनुमान सबसे अच्छे समय में एक जोखिम भरा अभ्यास है.

उन्होंने कहा, ‘मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि कोविड-19 की प्रतिक्रिया को संभालने के लिए नियोजन अभ्यास के संदर्भ में अनुमान मजबूत साबित हुए. यह नोट करना भी महत्वपूर्ण है कि सभी भारत समुच्चय क्षेत्रीय असमानताओं को छिपाते हैं, जो भारत जैसे विशाल और विविध देशों में घटित होती हैं.

विश्व स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन

नीति आयोग विशेषज्ञ का मानना ​​है कि अन्य देशों ने महामारी को अच्छी तरह से संभाला है.

आईएएस अधिकारी ने कहा, ‘बहुत से देशों ने कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए नए दृष्टिकोण लागू किए हैं, लेकिन मेरे दिमाग में निम्नलिखित देश अपनी समग्र प्रणालीगत प्रतिक्रिया के संदर्भ में हैं, जबकि ताइवान ने पिछले प्रकोपों ​​से सबक लिया- तकनीक का व्यापक उपयोग और जनता द्वारा अनुपालन, न्यूजीलैंड ने रोकथाम- समय पर उपायों और जनता के साथ विज्ञान-संचालित संचार पर उन्मूलन पर ध्यान केंद्रित किया.

उन्होंने कहा, ‘फास्ट एंड फ्री टेस्टिंग, एक्सपेंसिव ट्रेसिंग टेक्नोलॉजी, और सबसे गंभीर मामलों में अनिवार्य आइसोलेशन ने ने दक्षिण कोरिया की मदद की, जबकि जर्मनी ने लोगों की भागीदारी, परीक्षण की उच्च संख्या और प्रबंधन बेड, डॉक्टरों और नर्सों, सामग्री में उपयुक्त प्रतिक्रिया के कारण प्रकोप को अच्छी तरह से निपटाया.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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