scorecardresearch
Friday, 29 March, 2024
होमएजुकेशनफीस बढ़ोतरी की मार से 40 फीसदी बच्चों को बचाने के लिए जेएनयू के छात्रों का प्रदर्शन

फीस बढ़ोतरी की मार से 40 फीसदी बच्चों को बचाने के लिए जेएनयू के छात्रों का प्रदर्शन

हाल ही में जेएनयू के हॉस्टल मैन्युअल में बदवाल करके हॉस्टल की फ़ीस बढ़ाई गई है. बढ़ी हुई फ़ीस की वजह से 40% छात्रों के प्रभावित होने की आशंका है.

Text Size:

नई दिल्ली : जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के छात्रों ने अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. दिल्ली स्थित ऑल इंडिया काउंसिल फ़ॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) परिसर के आस-पास के इलाके में भी इस प्रदर्शन का असर देखने को मिला.

सोमवार को आयोजित जेएनयू के दीक्षांत समारोह के दौरान यह विरोध प्रदर्शन हुआ. समारोह के अतिथियों में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु और शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक शामिल थे.

जेएनयू के छात्र फीस बढ़ोतरी और कैंपस में घूमने पर रोक लगाने जैसी आशंकाओं को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. हाल ही में यूनिवर्सिटी के हॉस्टल मैन्युअल में बदवाल करके फ़ीस बढ़ाई गई है. बढ़ी हुई फ़ीस की वजह से 40% छात्रों के प्रभावित होने की आशंका है. छात्रों का आरोप है कि नए बदलावों की प्रक्रिया में उन्हें शामिल नहीं किया गया और यूनिवर्सिटी प्रशासन से बातचीत की मांग को लेकर ये ताज़ा विरोध प्रदर्शन हुआ.

होस्टल में रह रहे छात्रों को पहले कमरे के किराए के तौर पर 10 रुपए प्रतिमाह देने पड़ते थे लेकिन मौजूदा फीस बढ़ोतरी के बाद ये बढ़कर 300 रुपए हो जाएगा. वहीं सर्विस चार्ज पहले कुछ भी नहीं लिया जाता था लेकिन वो अब बढ़कर 1700 रुपए प्रतिमाह हो जाएगा.

मेस सिक्योरिटी 5500 रुपए से बढ़ाकर 12000 रुपए कर दिया गया है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

जेएनयू प्रशासन द्वारा जारी की गई जानकारी में कहा गया है कि होस्टल फीस और कैंपस में घूमने पर कोई पाबंदी नहीं लगाई गई है. प्रशासन ने छात्रों से अपील की है कि अफवाहों के प्रभाव में न आएं.

 

मैन्युअल में हुए बदलावों के ख़िलाफ़ ये छात्र 28 अक्टूबर से प्रदर्शन कर रहे हैं. जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) अध्यक्ष आयशी घोष ने कहा, ‘हॉस्टल मैन्युअल में हुए ताज़ा बदलावों से कैंपस के करीब आधे छात्रों पर आर्थिक बोझ पड़ेगा जिसके कारण उन्हें पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर होना पड़ सकता है.’

प्रस्तावित बदलावों के ख़िलाफ़ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए जेएनयूएसयू ने यूनिवर्सिटी प्रशासन को 5 नवंबर को एक चिट्ठी लिखी. इस चिट्ठी में लिखा है, ‘डीन के कार्यालय ने 3 अक्टूबर को एक सर्कुलर जारी कर यूनिवर्सिटी के हॉस्टल मैन्युअल में बदलाव का प्रस्ताव दिया और 28 अक्टूबर को इसे चुपके से पास कर दिया गया.’

विरोध इस बात पर शुरू हुआ कि मैन्युअल में बदलाव से जुड़े प्रस्ताव को तैयार करने और इसे पास करने में जेएनयूएसयू को शामिल नहीं किया गया. हॉस्टल मैन्युअल में प्रस्तावित बदलावों में जिन अहम बातों का विरोध हो रहा है उनमें बढ़ी हुई फ़ीस, ड्रेस कोड और हॉस्टल टाइमिंग शामिल हैं.

मिली जानकारी के मुताबिक पहले हॉस्टल से जुड़ा कोई सर्विस चार्ज नहीं था लेकिन अब छात्रों को 1700 रुपए हर महीने देने होंगे. मेस से जुड़े ड्रेस कोड को लेकर फिल्म स्टडीज़ की छात्रा अपेक्षा ने कहा कि मैन्युअल में ये प्रावधान पहले से है लेकिन इसे लागू नहीं किया गया था.

अपेक्षा ने कहा, ‘हमें डर है कि रूढ़ीवादी प्रशासन हम पर ड्रेस कोड थोप सकता है.’ वहीं, जिस नए होस्टल टाइमिंग को छात्र कर्फ्यू बुला रहे हैं वो भी पहले से हॉस्टल मैन्युअल में मौजूद है लेकिन आज तक लागू नहीं हुआ. ताज़ा बदलाव के बाद छात्रों को डर है कि रात 11 बजे के बाद कैंपस में उनके मूवमेंट पर पाबंदी लग जाएगी.

साथ ही लड़के-लड़कियों के एक-दूसरे के हॉस्टल में जाने और बाहरी लोगों के यहां ठहरने पर भी लगाम लग सकती है, हालांकि, जेएनयू वीसी जगदीश कुमार मामीडाला और यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अपने ट्वीट्स में छात्रों की ऐसी आशंकाओं को ख़ारिज किया है.

जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष एन साईं बालाजी ने कहा, ‘हॉस्टल के लिए पहले छात्रों को मामूली सी कीमत अदा करनी पड़ती थी. ताज़ा बदलावों के बाद सालाना करीब एक लाख़ रुपए तक देना पड़ेगा. यही नहीं, इसमें हर साल 10 प्रतिशत की वृद्धि होती चली जाएगी.’

बालाजी ने कहा कि इससे 40 प्रतिशत छात्र प्रभावित होंगे और इनमें से ज़्यादातर को पैसों की वजह से जेएनयू छोड़ना पड़ सकता है. इतनी बड़ी संख्या में छात्रों के प्रभावित होने की आशंका को जेएनयू की प्रोफेसर आयशा किदवई का दो हफ्ते पहले लिखा गया एक फे़सबुक पोस्ट बल देता है.

इस पोस्ट में उन्होंने जेएनयू प्रशासन के सालाना रिपोर्ट का हवाला देते हुए लिखा है कि यहां 40 प्रतिशत छात्र ऐसे हैं जिनकी पारिवारिक आय 12000 रुपए महीने से भी कम है. उन्होंने लिखा है, ‘एक टीचर के तौर पर मैं चाहती हूं कि मेरी क्लास में गहरी जेब की जगह गहरी सोच वाले छात्र मौजूद हों.’

जेएनयू के वीसी जगदीश कुमार मामीडाला पर हमला करते हुए उन्होंने लिखा है कि 2016-17 और 2017-18 की सालाना रिपोर्ट तो मौजूद है लेकिन 2018-19 की रिपोर्ट ग़ायब है, ऐसा इसलिए है क्योंकि अपनी पैरेंट पार्टी की तरह जेएनयू प्रशासन आंकड़ों में भरोसा नहीं करता.

इस बारे में दिप्रिंट ने जब प्रशासन का पक्ष जानना चाहा तो कोई जवाब नहीं मिला. हालांकि, वीसी मामीडाला ने अपने हैंडल से एक नवंबर को किए गए एक ट्वीट में लिखा है, ‘कुछ छात्र नए होस्टल मैनुअल को लेकर अफ़वाह फै़ला रहे हैं. जेएनयू प्रशासन छात्रों से अपील करता है कि अफ़वाहों में पड़कर अकादमिक गतिविधियों में बाधा मत पड़ने दें.’

आपको बता दें कि 28 अक्टूबर से छात्रों ने क्लास का बायकॉट कर रखा है और छात्रों का एक बड़ा हिस्सा क्लास में नहीं जा रहा है. इसे लेकर कॉलेज प्रशासन की चिंता और अपील के बाद भी छात्र क्लास में वापस नहीं लौटे हैं. ताज़ा प्रदर्शन के लिए ज़्यादातर छात्रों ने सोमवार हो हुए सेमेस्टर टेस्ट तक में हिस्सा नहीं लिया. प्रदर्शनकारी छात्र इस मांग पर अडिग हैं कि बढ़ी हुई फ़ीस वापस ली जाए.

share & View comments