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Friday, 22 November, 2024
होमदेशदिल्ली दंगा में आरोपी JNU के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद UAPA के तहत गिरफ्तार

दिल्ली दंगा में आरोपी JNU के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद UAPA के तहत गिरफ्तार

सीएए विरोधी प्रदर्शन में 24 फरवरी को उत्तर पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे जिसमें कम से कम 53 लोगों की मौत हुई थी जबकि 200 के करीब लोग घायल हुए थे.

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नई दिल्ली: इस साल फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे में कथित भूमिका के आरोप में पुलिस ने रविवार देर रात जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को गिरफ्तार किया. सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी.

दिल्ली दंगे के सिलसिले में दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने दो सितंबर को कुछ घंटे तक उमर से पूछताछ की थी.

इससे पहले पुलिस ने दंगे से जुड़े एक अन्य मामले में उमर के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधि (निषेध) कानून (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया था. दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने भी दंगे के पीछे कथित साजिश के मामले में उमर से पूछताछ की थी.

पुलिस ने उसका मोबाइल फोन भी जब्त कर लिया था.

उल्लेखनीय है कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोधी और समर्थकों के बीच हिंसा के बाद 24 फरवरी को उत्तर पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे जिसमें कम से कम 53 लोगों की मौत हुई थी जबकि 200 के करीब घायल हुए थे.

दंगों में शामिल सभी व्यक्तियों की भूमिका की जांच की जा रही: दिल्ली पुलिस

दिल्ली पुलिस ने रविवार को कहा कि वह फरवरी में उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में शामिल उन सभी व्यक्तियों की भूमिका की जांच कर रही है जो हिंसा फैलाने की साजिश के पीछे थे और समुदायों के बीच सांप्रदायिक उन्माद भरने का प्रयास कर रहे थे.

एक अधिकारिक बयान में दिल्ली पुलिस ने कहा कि विभिन्न हित समूह सोशल मीडिया मंच और अन्य ऑनलाइन पोर्टल का उपयोग कर दंगे के मामलों की जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं कि सीएए का विरोध करने वाले प्रदर्शनकारियों के अलावा सामाजिक कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों और छात्रों को ‘फर्जी मामलों’ में फंसाया जा रहा है.

पुलिस ने अपने बयान में कहा, ‘जांच के बारे में विवाद और संदेह पैदा करने के लिए कुछ लोग अदालतों में दायर चार्जशीट की कुछ लाइनों को लेकर उसे संदर्भ से इतर उपयोग कर रहे हैं. उनका दावा सही नहीं है और इसके बजाय वे प्रेरित हैं.’

बयान में कहा गया कि दिल्ली पुलिस ऐसे वक्त में जब मामला न्यायालय में विचाराधीन हो उस पर जवाब देना आवश्यक व उचित नहीं मानती है.

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