नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा और संसदीय क्षेत्रों को फिर से परिभाषित करने वाले परिसीमन आयोग के आदेश 20 मई से ‘प्रभावी’ हो गए हैं. कानून मंत्रालय ने यह जानकारी दी.
आयोग के दो आदेशों में विभिन्न श्रेणियों के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या से संबंधित 14 मार्च का आदेश और प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के आकार से संबंधित पांच मई का आदेश शामिल है.
इसकी रिपोर्ट के आधार पर केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में भविष्य का विधानसभा चुनाव होगा.
परिसीमन आयोग ने जम्मू क्षेत्र में छह जबकि कश्मीर घाटी में एक विधानसभा सीट बढ़ाई तथा राजौरी व पुंछ क्षेत्रों को अनंतनाग संसदीय सीट के तहत लाने का काम किया.
जम्मू-कश्मीर की 90 सदस्यीय विधानसभा में जम्मू संभाग में 43 और कश्मीर में 47 सीट होंगी.
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मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) सुशील चंद्रा ने शुक्रवार को कहा था कि जम्मू-कश्मीर में परिसीमन करते समय जनसंख्या का विषय अहम था लेकिन वह एकमात्र मानदंड नहीं था. इसके साथ ही उन्होंने जोर दिया कि केंद्रशासित प्रदेश को ‘एक इकाई’ के तौर पर देखा जाना चाहिए जिसकी पूरी जनसंख्या को 90 विधानसभा सीटों में प्रतिनिधित्व दिया जाना है.
चंद्रा जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों से संबंधित परिसीमन आयोग के पदेन सदस्य थे. आयोग ने पिछले दिनों अपना अंतिम आदेश सौंप दिया है. उन्होंने कहा कि पहले के परिसीमन के साथ ‘कई सारी समस्याएं’ थीं और उन्हें अब ठीक कर लिया गया है.
चंद्रा कुछ तबकों की इस आलोचना के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब दे रहे थे कि जनसंख्या अनुपात को देखते हुए, कश्मीर क्षेत्र को जम्मू की तुलना में कम सीट मिली हैं.
उन्होंने कहा, ‘इसे अलग-अलग हिस्सों में (देखा) नहीं जा सकता है. यह एक एकल केंद्रशासित प्रदेश है. पूरी आबादी को 90 निर्वाचन क्षेत्रों में प्रतिनिधित्व देना होगा. (कश्मीर) घाटी को कम प्रतिनिधित्व दिया गया है या जम्मू (डिवीजन) को कम दिया गया है… यह 20 जिलों और 207 तहसीलों को मिलाकर एक पूरी इकाई है. हमें इसे एक पूरी इकाई के तौर पर देखना होगा.’
जम्मू कश्मीर संबंधी परिसीमन आयोग का गठन मार्च 2020 में हुआ था और उसने पांच मई को अपनी अंतिम रिपोर्ट को अधिसूचित किया. इसमें जम्मू क्षेत्र को छह अतिरिक्त विधानसभा सीट और कश्मीर घाटी को एक अतिरिक्त सीट दी गई है. 90 सदस्यीय विधानसभा में अब जम्मू क्षेत्र से 43 और कश्मीर से 47 सीट होंगी.
चंद्रा ने कहा कि पहले के परिसीमन में ‘कई समस्याएं’ थीं जिन्हें अब ठीक कर लिया गया है. उन्होंने कहा, ‘जब पहले का परिसीमन हुआ था तब केवल 12 जिले थे. अब 20 जिले हैं. कई निर्वाचन क्षेत्र एक से अधिक जिलों में फैले हुए थे. कई गांव दो या तीन निर्वाचन क्षेत्रों में फैले हुए थे. इसलिए इन चीजों को सुधारना होगा.’
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