नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में पूर्व केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा के नया उपराज्यपाल नियुक्त होने के बाद भाजपा अब केंद्रशासित प्रदेश में परिसीमन प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी होने की उम्मीद कर रही है. लेकिन जैसा जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता निर्मल सिंह कहते हैं वह 2011 की बजाये 2001 की जनगणना के आधार पर होनी चाहिए.
दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में निर्मल सिंह ने कहा कि 2011 की जनगणना गड़बड़ थी और इसमें कई विसंगतियां थीं.
उन्होंने कहा, ‘2011 की जनगणना गड़बड़ थी. उस जनगणना में जम्मू क्षेत्र की आबादी को घाटी से कम दिखाया गया था. 2001 से 2011 (2011 की जनगणना में) के बीच 10 वर्षों में कश्मीर की जनसंख्या में 14 लाख की वृद्धि बताई गई थी. 1971 से 2001 के बीच जम्मू क्षेत्र की औसत आबादी में वृद्धि 31 प्रतिशत थी, जिसे 2011 (जनगणना) में 21 प्रतिशत तक गिरावट दिखाई गई.’
पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार के दौरान उपमुख्यमंत्री रहे निर्मल सिंह ने कहा, ‘यदि हम परिसीमन के लिए 2011 को आधार वर्ष के रूप में चुनते हैं, तो यह जम्मू के साथ अन्याय होगा, और यह दोषपूर्ण भी होगा. 2011 की जनगणना की तुलना में 2001 की जनगणना अधिक तर्कसंगत थी.’
जम्मू और कश्मीर में मौजूदा समय में 83 विधानसभा सीटें हैं, लेकिन परिसीमन के बाद सात और सीटें जुड़ने की संभावना है.
2011 की जनगणना के अनुसार, कश्मीर में जनसंख्या 68,88,475 है और जम्मू में यह आंकड़ा 53,78,538 है. हालांकि, लोकसभा में पिछले साल मोदी सरकार की तरफ से पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, जम्मू में 37,33,111 मतदाता हैं और कश्मीर में उनकी संख्या 40,10,971 है.
जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार परिसीमन 1995 में किया गया था. यह लोकसभा और विधानसभा सीटों की सीमाओं को फिर से परिभाषित करने की एक प्रक्रिया होती है. इस प्रक्रिया से लोकसभा में विभिन्न राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को आवंटित सीटों की संख्या और एक विधानसभा की कुल सीटों की संख्या भी बदल सकती है.
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इस वर्ष मार्च में केंद्र ने अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के अलावा केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में भी निर्वाचन क्षेत्रों को फिर से निर्धारित करने के लिए परिसीमन आयोग का गठन किया है.
परिसीमन के लिए भाजपा के इस कदम का उद्देश्य जम्मू में विधानसभा सीटें बढ़ाना है, जो तब केंद्रशासित प्रदेश में मुख्यमंत्री के चयन को प्रभावित करने वाला हो सकता है.
2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जम्मू-कश्मीर में 25 विधानसभा सीटें जीती थीं, जो कि अब तक की सबसे बड़ी संख्या थी और यह सभी हिंदू बहुल जम्मू क्षेत्र में थीं.
राज्य का दर्जा एक ‘रणनीतिक’ फैसला
राज्य के दर्जे की मांग के बारे में पूछे जाने पर निर्मल सिंह ने दिप्रिंट को बताया कि इसकी घोषणा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल संसद में की है, लेकिन सामान्य स्थिति बहाल किए बिना यह किसी भी उद्देश्य को पूरा नहीं करेगा.
सिंह ने कहा, ‘राजनीतिक माहौल अनुकूल होना चाहिए. यद्यपि यह एक रणनीतिक निर्णय है, जिसे केंद्र को लेना है, इसे राज्य का दर्जा देने से पहले कई फैक्टर पर विचार करना होगा. तब क्या होगा यदि आप राज्य का दर्जा दे दें और अन्य दल उस निर्णय को स्वीकार न करें? इसलिए पहला कदम बातचीत है, जिसे नए उपराज्यपाल सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए शुरू करेंगे.’
मकबूल शेरवानी पर श्रीनगर एयरपोर्ट का नाम बदलना
निर्मल सिंह ने घाटी में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए पार्टी को प्रशासन और नए उपराज्यपाल द्वारा किए गए विकास कार्यों को लोगों के सामने लाने की जरूरत है.
उन्होंने कहा, ‘विभिन्न विकास परियोजनाएं हैं, जिन्हें समयबद्ध तरीके से पूरा करने की जरूरत है. लेकिन प्रमुख तौर पर चिह्नित एक या दो घोषणाएं की जानी चाहिए. हम चाहते हैं कि श्रीनगर हवाई अड्डे का नाम बदलकर मकबूल शेरवानी (नेशनल कांफ्रेंस नेता) के नाम पर रखा जाए. मकबूल शेरवानी की वजह से ही कश्मीर भारत का हिस्सा है. डोगरा राजा हरि सिंह के नाम पर जम्मू एयरपोर्ट का नाम रखा जाना चाहिए. यह लोगों के बीच शांति और सद्भाव का एक अच्छा संदेश देगा.’
सिंह ने कहा, ‘विकास कार्यों से लोगों में भरोसा बढ़ेगा और विकास कार्य में लोगों की भागीदारी से बंदूक संस्कृति खत्म होगी, जो चुनाव कराने के लिए आवश्यक है.’
श्रीनगर हवाई अड्डे का नाम अभी कुलगाम जिले में 1377 में जन्मे सूफी संत शेख उल-आलम के नाम पर रखा गया है, लेकिन भाजपा इसे एक कश्मीरी युवक मकबूल शेरवानी के नाम पर करना चाहती है, जिसने अकेले दम पर पाकिस्तान से आए हजारों हमलावरों को आगे बढ़ने से रोक दिया था जिससे भारत को आजादी मिलने के कुछ महीने बाद ही हुए 1947 के युद्ध में मोर्चा संभालने के उद्देश्य से श्रीनगर पहुंचने के लिए भारतीय सेना को पर्याप्त समय मिल गया था.
जम्मू के हवाई अड्डे का नाम अंतिम डोगरा राजा महाराजा हरि सिंह, जिन्होंने 1947 में भारत के साथ विलय किया, के नाम पर करने और एक स्थानीय विश्वविद्यालय का नाम डोगरा राजवंश के संस्थापक महाराजा गुलाब सिंह पर रखने के लिए जम्मू नगर निगम इस साल मार्च में पहले ही एक प्रस्ताव पारित कर चुका है.
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