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Thursday, 21 November, 2024
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झारखंड SIT ने ‘सेडेटिव’ को माना जिम्मेदार, धनबाद के जज की मौत के पीछे ‘कोई साजिश नहीं’ होने का दावा

सुबह की सैर के लिए निकले 49 वर्षीय जज उत्तम आनंद को 28 जुलाई को धनबाद स्थित उनके घर के पास ही एक तिपहिया वाहन ने टक्कर मार दी थी. सीसीटीवी फुटेज ने इस मामले को लेकर संदेह उत्पन्न कर दिया.

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धनबाद/रांची: धनबाद के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश उत्तम आनंद की मौत की जांच के लिए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने इस मामले में किसी ‘आपराधिक साजिश’ की बात को सिरे से खारिज कर दिया है. दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक, एसआईटी ने हिट-एंड-रन की इस घटना को एक दुर्भाग्यपूर्ण ‘सड़क हादसा’ करार दिया है.

एसआईटी के एक सूत्र ने बताया कि 28 जुलाई को जज को टक्कर मारने वाले वाहन के चालक ने देसी शराब के साथ एन10 या नाइट्रोसन 10 नामक दवा भी ले रखी थी—यह दवा मिर्गी, अनिद्रा और एंजाइटी के शिकार मरीजों को दी जाती है.

धनबाद स्थित जज कॉलोनी में रहने वाले 49 वर्षीय न्यायाधीश आनंद 28 जुलाई को सुबह करीब 5 बजे मॉर्निंग वाक पर निकले थे, जब घर के पास ही उन्हें एक तिपहिया वाहन ने टक्कर मार दी, जो एक टेम्पो थी.

घटना के सीसीटीवी फुटेज ने इस मामले को लेकर संदेह पैदा कर दिया क्योंकि इसमें यह वाहन सड़क के बाईं ओर जॉगिंग करते दिख रहे आनंद के ठीक पीछे से आता है और उनकी तरफ मुड़कर टक्कर मारने के बाद एक सेकेंड भी गंवाए बिना तेजी से भागता नजर आता है.

इस केस में अब तक चार गिरफ्तारियां हो चुकी हैं. उनमें से दो की पहचान लखन कुमार वर्मा और राहुल वर्मा के रूप में हुई है, जिन्होंने कथित तौर पर यह वाहन चुराया था. उनकी पहचान ‘छुटभैया बदमाशों’ के तौर पर हुई है और ये दुर्घटना के समय कथित तौर पर वाहन में ही थे.

तीसरी गिरफ्तारी उस दुकानदार की हुई है, जिसके बारे में माना जाता है कि उसने उन्हें वह दवा बेची थी, और चौथा वाहन का मालिक है.

आरोपियों के खिलाफ लगाई गई धाराओं के बारे में सटीक जानकारी नहीं मिल पाई है क्योंकि पुलिस ने जांच का ब्योरा साझा करने से इनकार कर दिया है.

जज आनंद के परिवार ने उनकी मौत के पीछे साजिश होने का आरोप लगाया है.

अपनी मौत से पूर्व जज आनंद दो हाई-प्रोफाइल मामलों की सुनवाई कर रहे थे—इसमें एक अभिनव सिंह और रवि ठाकुर की जमानत याचिका से जुड़ा था, जो दोनों जेल में बंद उत्तर प्रदेश के संदिग्ध गैंगस्टर अमन सिंह के सहयोगी हैं. और दूसरा मामला 2017 में पूर्व विधायक संजीव सिंह के करीबी सहयोगी रंजय सिंह की हत्या से जुड़ा है, संजीव सिंह खुद भी 2017 में डिप्टी मेयर की कथित हत्या से जुड़े एक अन्य मामले में जेल में है.

आनंद की मौत की संदिग्ध परिस्थितियों ने न्यायिक बिरादरी की तरफ से निचली अदालतों के न्यायाधीशों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग को तेज कर दिया है.

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) संजय आनंद लॉटकर के नेतृत्व में एसआईटी का गठन 29 जुलाई को किया गया था.

झारखंड हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया था. हाई कोर्ट ने जहां एसआईटी को 3 अगस्त तक अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश देते हुए गुरुवार को कहा कि वह खुद इस मामले में जांच की प्रगति पर नजर रखेगा, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को झारखंड के मुख्य सचिव और पुलिस प्रमुख को एक सप्ताह के भीतर जांच पर एक स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया.

31 जुलाई को झारखंड सरकार ने मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि यह मामला हाई-प्रोफाइल है और इसमें न्यायपालिका पूरी गंभीरता से शामिल है.’

एसआईटी, जिसका नेतृत्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) संजय आनंद लॉटकर कर रहे हैं, के निष्कर्षों पर प्रतिक्रिया के लिए संपर्क किए जाने पर झारखंड पुलिस के प्रवक्ता अमोल होमकर ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

उन्होंने कहा, ‘इस मामले में जांच का ब्योरा फिलहाल मीडिया के साथ साझा नहीं किया जा सकता क्योंकि अभी जांच चल ही रही है. जब कोई उपयुक्त अपडेट होगा मीडिया को बता दिया जाएगा.’


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किस वजह से हुआ ‘हादसा’

एसआईटी में शामिल एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि लखन कुमार वर्मा और राहुल वर्मा वाहन चलाते समय ‘अवैध शराब के नशे में थे’ और उन्होंने नाइट्रोसन 10 गोलियों का भी सेवन कर रखा था.

नाइट्रोसन 10 में नाइट्राजेपम होता है जो दिमाग शांत करने/कृत्रिम तौर पर नींद में सहायक एक ‘बेंजोडायजेपाइन’ है. इसका इस्तेमाल अनिद्रा, चिंता विकार और मिर्गी (दौरे रोकने के लिए) के मरीजों के इलाज मे किया जाता है. यह गाबा का स्तर बढ़ाने में मददगार होता है, जो मस्तिष्क की कोशिकाओं की असामान्य गतिविधियां घटाने के लिए एक रासायनिक संदेशवाहक की तरह काम करता है.

दवा लेने के दौरान ड्राइविंग करना स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित है.

यदि लंबे समय तक या ज्यादा मात्रा में इसका सेवन किया जाए तो इसकी लत पड़ सकती है. इसका सेवन अचानक बंद करने से व्यवहार संबंधी दिक्कतें, हाथ-पैर कांपने और चिंता आदि जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं.

अधिकारी ने बताया कि चालक ‘पहले एक पक्षाघात का शिकार हुआ था जिसकी वजह से उसके शरीर का बायां हिस्सा कमजोर है और यही इस हादसे की वजह भी बना.’ हालांकि, अधिकारी ने यह स्पष्ट नहीं किया कि उन दोनों में से कौन गाड़ी चला रहा था.

अधिकारी ने आरोपी को ‘छोटा-मोटा बदमाश’ करार दिया.

पुलिस अधिकारी ने आगे जोड़ा कहा, ‘सीसीटीवी फुटेज का भी बहुत ध्यान से अध्ययन किया गया है और इसमें कोई गड़बड़ी नहीं मिली है.’

दिप्रिंट को मिली न्यायाधीश आनंद की ऑटोप्सी रिपोर्ट के मुताबिक, ‘किसी कठोर और तेजधार वाली वस्तु से सिर में लगी गंभीर चोट के कारण उनकी मौत हुई है.’

इसमें कहा गया है, ‘चोट के कारण सबड्यूरल हेमेटोमा (सिर के अंदर एक तरह का रक्तस्राव) और खोपड़ी में फ्रैक्चर हो गया. पीठ में भी कई चोटें आई हैं.’

इस पर विस्तार से बताते हुए पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘फुटेज से पता चला है कि जज आनंद के जमीन पर गिरने से उनका सिर किसी पत्थर से टकरा गया.’

अधिकारी ने बताया, ‘उनकी पीठ में चोटें टेंपो से टकराने के कारण लगी हैं.’


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सीबीआई पर टिकी परिवार की उम्मीदें

आनंद के भाई सुमन शंभू ने दावा किया है कि उनकी मौत एक ‘सुनियोजित हत्या’ है.

एसआईटी के नतीजों पर प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘मैं इस मामले में सीबीआई के अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचने का इंतजार करूंगा. तब तक किसी भी जांच पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं.’

धनबाद बार काउंसिल के अध्यक्ष ए.के. सहाय का कहना है कि न्यायाधीश आनंद इतने लंबे समय तक अदालत में नहीं रहे कि किसी भी ‘पक्ष ने उन्हें मारने के बारे में सोचा हो.’

उन्होंने कहा, ‘जज उत्तम महामारी के बीच धनबाद अदालत में आए थे. इस दौरान केवल जमानत याचिकाओं पर सुनवाई हो रही थी क्योंकि कोर्ट ऑनलाइन काम कर रही थीं और सबूत सामने लाए जाना संभव नहीं था.’

उनकी अदालत में विचाराधीन हाई-प्रोफाइल मामलों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘जहां तक रंजय सिंह की हत्या की बात है, तो यह सालों पुराना मामला है तो कोई अब जज को क्यों मारेगा? इसका कोई मतलब नही बनता. और अमन सिंह गिरोह के सदस्यों के मामले में जज आनंद उनकी जमानत याचिका खारिज करने वाले दूसरे न्यायाधीश थे.

उन्होंने यह भी कहा, ‘जहां तक साजिश की बात है तो काफी हद तक यह संभव है कि इसका संबंध ऐसे किसी मामले से हो जिसे उन्होंने धनबाद में अपनी सेवाएं देना शुरू करने से पहले निपटाया हो.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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