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Thursday, 27 November, 2025
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झारखंड उच्च न्यायालय ने जेल में परोसे जाने वाले भोजन की गुणवत्ता की औचक जांच के आदेश दिये

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रांची, 27 नवंबर (भाषा) झारखंड उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को राज्य के सभी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) अध्यक्षों को कैदियों के भोजन की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए जेलों का औचक निरीक्षण करने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद और न्यायमूर्ति अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने एक आपराधिक अपील पर सुनवाई करते हुए डीएलएसए अध्यक्षों और सचिवों को यह निरीक्षण करने का आदेश दिया कि कैदियों को दिया जाने वाला भोजन जेल नियमावली के दिशानिर्देशों के अनुरूप है या नहीं।

ये निर्देश आकाश कुमार रॉय द्वारा दायर एक आपराधिक अपील पर पारित किए गए।

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि कैदियों के भोजन और उसकी गुणवत्ता जेल नियमावली के दिशानिर्देशों के अनुसार होनी चाहिए।

अदालत ने कहा कि कैदियों को दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता में किसी भी तरह की अनियमितता या जेल नियमावली के उल्लंघन के लिए संबंधित जेलर जिम्मेदार होंगे।

अदालत ने कहा कि ऐसे अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार के अधीक्षक सुदर्शन मुर्मू और जेलर लवकुश कुमार सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद थे।

दोनों ने अदालत को आश्वासन दिया कि भोजन की गुणवत्ता में सुधार हुआ है और जेल नियमावली के अनुसार परोसा जा रहा है।

सरकार ने अदालत को यह भी बताया कि जेल में कैंटीन चलाने के लिए एक समिति गठित की गई है। पीठ ने समिति को जेलर की देखरेख में कैंटीन चलाने की अनुमति दे दी।

उच्च न्यायालय ने राज्य के सभी डीएलएसए अधिकारियों को अपने-अपने जिलों में स्थित जेलों का दौरा करने का आदेश दिया।

अदालत ने इस मामले में डीएलएसए से रिपोर्ट मांगी है।

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 11 दिसंबर तय की है।

भाषा शफीक अविनाश

अविनाश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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