रांची, 30 अगस्त (भाषा) झारखंड की राजधानी रांची में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने पूर्व मंत्री एनोस एक्का और उनकी पत्नी मेनन एक्का को छोटा नागपुर काश्तकारी (सीएनटी) अधिनियम के उल्लंघन से जुड़े अवैध भूमि अधिग्रहण के एक मामले में शनिवार को सात-सात साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई। वकीलों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि रांची के पूर्व भूमि सुधार उपायुक्त (एलआरडीसी) कार्तिक प्रभात और दो अन्य आरोपियों मणिलाल महतो एवं ब्रजेश्वर महतो को पांच-पांच साल सश्रम कारावास, जबकि पांच अन्य दोषियों को चार-चार साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई।
सीबीआई के एक वकील ने बताया, “अदालत ने दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया और कहा कि जुर्माना न भरने पर आरोपियों को एक साल की अतिरिक्त कैद की सजा काटनी होगी।”
यह मामला सीएनटी अधिनियम के उल्लंघन से जुड़ा है, जहां एनोस एक्का ने पद पर रहते हुए आदिवासी भूमि की अवैध खरीद-बिक्री के लिए कथित तौर पर एक फर्जी पते का इस्तेमाल किया।
प्रभात पर इन लेन-देन में मदद करने का आरोप था।
प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण किया गया।
हिनू में 22 कट्ठा, ओरमांझी में 12 एकड़, नगरी में चार एकड़ और चुटिया के सिरम टोली मौजा में नौ डिसमिल सहित विभिन्न स्थानों पर संपत्तियां खरीदी गईं।
उन्होंने बताया कि ये खरीद मार्च 2006 से मई 2008 के बीच मेनन एक्का के नाम पर की गई थी।
आरोपियों को अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों की रक्षा के लिए बनाए गए सीएनटी अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन का दोषी करार दिया गया था।
रांची के विशेष न्यायाधीश, सीबीआई की अदालत ने मामले में शुक्रवार को 10 आरोपियों — एनोस एक्का, मेनन एक्का, कार्तिक प्रभात, राज किशोर सिंह, फिरोज अख्तर, बृजेश मिश्रा, अनिल कुमार, मणिलाल महतो, ब्रजेशवर महतो और परशुराम करकेट्टा को दोषी करार दिया था।
भाषा जितेंद्र सुभाष
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