मेदिनीनगर, 22 अगस्त (भाषा) झारखंड की पलामू केंद्रीय कारागार में प्रतिद्वंद्वी गिरोहों के अपराधियों के बंद होने के मद्देनजर यहां की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस उपमहानिरीक्षक ने शुक्रवार को असंतोष व्यक्त किया और सुरक्षा बढ़ाने के कई उपाय सुझाए हैं।
पुलिस उपमहानिरीक्षक (पलामू जोन) नौशाद आलम ने पलामू के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक को लिखे एक पत्र में कहा कि उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के मद्देनजर 13 अगस्त को जेल का औचक निरीक्षण किया था।
पुलिस उपमहानिरीक्षक ने कहा कि दिनेश गोप, गैंगस्टर सुजीत सिन्हा, हरि तिवारी, डबलू सिंह और बल्लू पांडे जैसे कुख्यात अपराधियों के जेल में बंद होने के बावजूद केंद्रीय कारागार में बुनियादी सुरक्षा और आंतरिक व्यवस्था में कई खामियां पाई गयी।
आलम ने अप्रिय घटनाओं की आशंका जताते हुए जेल के अंदर हिंसा रोकने के लिए कुछ ठोस कदम उठाने की वकालत की।
उन्होंने जेल में लगे मौजूदा 2जी जैमर का जिक्र करते हुए कहा कि यह अपर्याप्त है।
आलम ने राज्य सरकार के साथ इस मुद्दे को उठाने का सुझाव दिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ‘सिस्टम’ को 5जी जैमर सुविधा के साथ उन्नत किया जाए।
उन्होंने जेल परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों की स्थिति और उनके दायरे पर भी असंतोष व्यक्त किया।
आलम ने कहा कि इन्हें उच्च-गुणवत्ता और रिजॉल्यूशन वाले सीसीटीवी कैमरों से बदला होगा, जो पूरे जेल परिसर को कवर करने के लिए उपयुक्त स्थानों पर लगाए जाने चाहिए।
कारागार के अंदर का कुछ हिस्सा पास के एक फ्लाईओवर से दिखाई देता है, इसलिए पुलिस अधिकारी ने ‘व्यू कटर’ लगाने का प्रस्ताव रखा।
आलम ने अधिकारियों से यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि जेल ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक कैदियों की स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान करने के लिए नियमित रूप से उपस्थित रहें।
पुलिस अधिकारी ने कुख्यात अपराधियों को दूसरी जेलों में स्थानांतरित करने का भी सुझाव दिया क्योंकि गैंगस्टर सुजीत सिन्हा व डबलू सिंह कट्टर दुश्मन रहे हैं और उन्हें एक ही जेल में रखने से अप्रिय घटनाएं हो सकती हैं।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा कारागार में मोबाइल फोन या मादक पदार्थों के इस्तेमाल को रोकने के लिए आगंतुकों और जेल कर्मचारियों की नियमित जांच की जानी चाहिए।
भाषा जितेंद्र पवनेश
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