इंदौर (मध्यप्रदेश), 25 अगस्त (भाषा) अपने जायकेदार पकवानों के लिए देश-दुनिया में मशहूर इंदौर की रात्रिकालीन सर्राफा चाट-चौपाटी के खिलाफ आभूषण कारोबारियों के मोर्चा खोलने के बाद शहर की पहचान से जुड़े इस स्थान को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।
आभूषण कारोबारियों के संगठन ने यह दावा करते हुए इस चाट-चौपाटी को कहीं और ले जाए जाने की मांग की है कि चाट-चौपाटी के कारण बड़े अग्निकांड के खतरे से पूरा सर्राफा बाजार ‘बारूद के ढेर’ पर बैठा है।
दूसरी ओर, इंदौर नगर निगम ने इस चाट-चौपाटी को ‘शहर की धरोहर’ बताते हुए संगठन की मांग सिरे से खारिज कर दी है।
बामुश्किल 20 फुट चौड़ी और आधा किलोमीटर लम्बी गली में संचालित सर्राफा चौपाटी में पकवानों की करीब 225 दुकानें हैं।
हर रोज रात आठ बजे के बाद जेवरात की दुकानें बंद होते ही सर्राफा बाजार, सर्राफा चौपाटी में बदल जाता है और इन दुकानों के बाहर व्यंजनों के प्रतिष्ठान सजने लगते हैं।
स्वाद का यह पारंपरिक बाजार रात दो बजे तक खुला रहता है जहां इंदौर के लोगों के साथ ही देश-दुनिया से आने वाले पर्यटकों की भी भारी भीड़ रहती है।
सर्राफा चाट-चौपाटी के मुद्दे पर आभूषण कारोबारियों और नगर निगम के बीच सोमवार को हुई बैठक विफल रही।
बैठक के बाद इंदौर सर्राफा एसोसिएशन के अध्यक्ष हुकुम सोनी ने संवाददाताओं से कहा,‘‘सर्राफा चाट-चौपाटी के कारण पूरा सर्राफा बाजार बारूद के ढेर पर बैठा है। व्यंजन पकाने में इस्तेमाल रसोई गैस सिलेंडरों से बड़े अग्निकांड का खतरा बना रहता है। चाट-चौपाटी में आने वाले आपराधिक प्रवृत्ति के लोग आए दिन हंगामा भी करते हैं।’’
उन्होंने सर्राफा चाट-चौपाटी को स्थानांतरित किए जाने की मांग करते हुए कहा कि आभूषण कारोबारी अपनी दुकानों के बाहर व्यंजनों की रात्रिकालीन दुकानें नहीं लगने देंगे और आवश्यकता पड़ने पर आंदोलन करने से लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाने से भी पीछे नहीं हटा जाएगा।
उधर, महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा,‘‘विश्व भर में प्रसिद्ध सर्राफा चाट-चौपाटी इंदौर की धरोहरों, परंपराओं और पहचान में शामिल है। यह चाट-चौपाटी अपने मौजूदा स्थान पर ही बरकरार रहेगी। हालांकि, हम चाट-चौपाटी की दुकानों की संख्या सीमित करने और दूसरे सुझावों पर विचार करेंगे।’’
महापौर ने अपनी बात में जोड़ा कि इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि सर्राफा चाट-चौपाटी के संचालन से सर्राफा बाजार के आभूषण कारोबारियों के हित प्रभावित न हों।
इतिहासकार जफर अंसारी ने बताया कि इंदौर के होलकर राजाओं के शासनकाल में शुरू हुई सर्राफा चाट-चौपाटी का इतिहास करीब 100 साल पुराना है, हालांकि शुरुआत में वहां खासकर दूध और दूध से बनी मिठाइयां मिलती थीं।
उन्होंने कहा,’शहर भर के अखाड़ों के पहलवान वर्जिश के बाद सर्राफा चाट-चौपाटी पहुंचते थे। बाद में इस चाट-चौपाटी का स्वरूप लगातार बड़ा होता चला गया।’ भाषा हर्ष संतोष
संतोष
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