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Thursday, 26 December, 2024
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लालू की टिप्पणी के खिलाफ जदयू की महिला इकाई का प्रदर्शन

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पटना, 11 दिसंबर (भाषा) राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू प्रसाद की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी के एक दिन बाद जनता दल (यूनाइटेड) की महिला इकाई की नेताओं व कार्यकर्ताओं ने पटना में बुधवार को एक विरोध मार्च निकाला और बिना शर्त माफी की मांग की।

पटना के वीरचंद पटेल रोड पर स्थित जद(यू) कार्यालय से शुरू हुआ विरोध मार्च आयकर चौराहे के पास समाप्त हुआ।

विरोध मार्च के दौरान बैनर और तख्तियां लिए प्रदर्शनकारियों ने लालू के खिलाफ नारे लगाए।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की 15 दिसंबर से प्रस्तावित राज्यव्यापी महिला संवाद यात्रा के बारे में पूछे जाने पर मंगलवार को राजद सुप्रीमो यादव ने विवादित बयान देते हुए कहा था, ‘‘अच्छा है जा रहे हैं तो… नैन (आंख) सेकने जा रहे हैं।’’

यादव को बताया गया कि नीतीश कुमार दावा कर रहे हैं कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) 225 सीट जीतेगा, इसपर उन्होंने कहा, ‘‘पहले आंख सेकें न अपना, जा रहे हैं आंख सेकने।’’

उन्होंने दावा किया कि राजद के नेतृत्व वाला विपक्षी दलों का महागठबंधन 2025 में राज्य में सरकार बनाएगा।

जद(यू) की महिला इकाई की नेता ममता शर्मा ने बुधवार को संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, “लालू जी ने हमारे मुख्यमंत्री के खिलाफ इस तरह की टिप्पणी करके महिलाओं का अपमान किया है। सम्मानित नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में राज्य में राजग सरकार ने महिलाओं के समग्र विकास और सशक्तिकरण के लिए बहुत काम किया है। सात बेटियों के पिता लालू जी ने मुख्यमंत्री के खिलाफ इस तरह की टिप्पणी करके महिलाओं का अपमान किया है। हम इस मुद्दे पर राजद सुप्रीमो से बिना शर्त माफी की मांग करते हैं।”

कुमार अपनी सरकार के सात-संकल्प कार्यक्रम की प्रगति की समीक्षा करने और महिलाओं के साथ बातचीत के माध्यम से लोगों की नब्ज टटोलने के लिए 15 दिसंबर से राज्यव्यापी ‘महिला संवाद यात्रा’ पर रवाना होंगे।

राजद की लोकसभा सदस्य और लालू प्रसाद की बडी बेटी मीसा भारती ने मुख्यमंत्री की प्रस्तावित यात्रा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, बुधवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में लिखा, ‘संवाद का मतलब होता है कि दो पक्ष आमने-सामने बैठकर बात करें। एक आत्ममुग्ध, अहंकारी आदमी केवल भाषण बाजी करे और बाकी लोग चुपचाप मजबूरी वश सुनें तो उसे संवाद नहीं कहते। प्रायोजित महिमामंडन कहते हैं।’

भाषा अनवर जोहेब

जोहेब

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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