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Sunday, 3 November, 2024
होमदेशJ&K CID ​​ने इल्तिजा मुफ्ती से पूछा: आखिर किसने उनपर पासपोर्ट की याचिका वापस लेने का 'दबाव डाला'

J&K CID ​​ने इल्तिजा मुफ्ती से पूछा: आखिर किसने उनपर पासपोर्ट की याचिका वापस लेने का ‘दबाव डाला’

पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा ने आरोप लगाया कि उन्हें जम्मू-कश्मीर सीआईडी द्वारा पासपोर्ट देने से इनकार कर दिया गया और उन पर मामले को अदालत में आगे न बढ़ाने का दबाव बनाया जा रहा है.

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नई दिल्ली: दिप्रिंट को पता चला है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस की सीआईडी शाखा ने जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती को पत्र लिखकर उनसे उस अधिकारी का पता लगाने को कहा है, जिसने कथित तौर पर पासपोर्ट संबंधी शिकायतों पर अपनी याचिका वापस लेने के लिए उन पर दबाव डाला था. ताकि मामले की ‘उचित कार्रवाई’ की जा सके.

इल्तिजा ने दावा किया था कि जम्मू-कश्मीर पुलिस के सीआईडी विभाग द्वारा एक रिपोर्ट जारी करने के बाद उन्हें पासपोर्ट देने से इंकार कर दिया गया था.

7 अप्रैल को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, इल्तिजा ने आरोप लगाया था कि सीआईडी उन पर पासपोर्ट मुद्दे पर जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में मुकदमा चलाने से बचने का दबाव बना रही थी. उन्होंने आगे दावा किया कि सीआईडी द्वारा उन पर अपनी याचिका वापस लेने के लिए दबाव डाला जा रहा था, और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 8 अप्रैल को जारी अपने बयान में कहा था कि वह आरोपों की जांच करेगी.

आरोप के जवाब में सीआईडी अब चाहती है कि इल्तिजा उन अधिकारियों का नाम बताए जिन्होंने उन पर अपनी याचिका वापस लेने का दबाव डाला.

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (सीआईडी) ने 26 अप्रैल का एक पत्र पढ़ते हुए कहा, “आपके आरोपों का संज्ञान लेते हुए, कार्यालय ने एक जांच आयोजित करना उचित समझा ताकि आपके दावे के पीछे की सच्चाई का पता लगाया जा सके और मीडिया में आपके आरोपों के अनुसार दोषी अधिकारियों (यदि कोई हो) की पहचान की जा सके.”

पत्र, जिसे दिप्रिंट ने देखा है, में आगे कहा गया कि “हम आपके सहयोग की मांग करते हैं ताकि स्पष्ट रूप से पता लगाया जा सके कि कहां, कब और किसने आप पर अदालत से अपनी याचिका वापस लेने का दबाव डाला ताकि कानून के तहत वारंट के अनुसार आगे की कार्रवाई की जा सके और कानून के अनुसार जांच पूरी की जा सके. मामले पर आप एक लिखित बयान अपने हस्ताक्षर के साथ जमा करें.”

दिप्रिंट से बात करते हुए, इल्तिजा ने कहा कि पत्र उन्हें चुप कराने, धमकी देने और डराने की रणनीति है. उन्होंने कहा कि वह कानून का पालन करने वाली नागरिक है और एजेंसी को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कैसे खतरा है.

उन्होंने कहा, “कश्मीर में हर कोई जानता है कि यह एजेंसी सुरक्षा के नाम पर कैसे काम करती है और पासपोर्ट जब्त करने के नाम पर लोगों को परेशान करती है, जो की सबका मौलिक अधिकार है.

उन्होंने आगे कहा, “उन्हें इस बात पर सफाई देनी चाहिए कि मैं कैसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा हूं. वे सरकारी गोपनीयता अधिनियम के तहत उनके द्वारा प्रस्तुत प्रतिकूल रिपोर्ट को साझा करने से इनकार क्यों करते हैं? वे केवल कश्मीरियों को कुचलने के लिए अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हैं.”

सीआईडी द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि अब तक की गई प्रारंभिक जांच में “ऐसे कोई परिस्थिति या सबूत नहीं मिले है जो आरोपों को पुख्ता कर सके.”

उन्होंने कहा कि इस संगठन को पासपोर्ट आवेदकों जांच पड़ताल करके, सिस्टम के तरीके से काम करना चाहिए और मिडिया के सामने मेरे बयान की सत्यता का पता लगाने और मामले की जांच करने के लिए प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए.

दिप्रिंट से बात करते हुए इल्तिजा ने कहा कि सीआईडी को उनके “दुष्ट अधिकारियों” की जांच के लिए एक जांच समिति भी गठित करनी चाहिए.

उन्होंने कहा, “यदि वे जांच कर रहे हैं, तो उन्हें पहले सीआईडी में दुष्ट अधिकारियों की जांच करनी चाहिए जो सरकारी नौकरियों से निर्दोष नागरिकों को हटाने के लिए अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं. सुरक्षा के नाम पर प्रमोशन को अस्वीकार कर रहे हैं और आतंकवादियों से संबंध होने के झूठे दावों के नाम पर कॉन्ट्रेक्टर को परेशान कर रहे हैं.


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समस्या

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 35 साल की इल्तिजा मुफ्ती ने पिछले साल 8 जून को नए पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था, क्योंकि उनका मौजूदा पासपोर्ट इस साल 2 जनवरी को एक्सपायर होने वाला था. उनके आवेदन को मंजूरी नहीं मिलने के बाद उन्होंने फरवरी में जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट का रुख किया था.

मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि 29 मार्च को, CID ने हाई कोर्ट को यह कहते हुए उनकी रिट याचिका को खारिज करने की मांग की कि उनकी अंतिम सत्यापन रिपोर्ट संबंधित विभाग को फरवरी में भेज दी गई थी.

अदालत ने हालांकि, क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय (आरपीओ) को मामले को देखने का निर्देश दिया. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इसके बाद, आरपीओ द्वारा अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल को अप्रैल में लिखे गए एक पत्र में कहा गया कि मुफ़्ती, जो हायर एजुकेशन के लिए विदेश जाने की इच्छा रखती हैं, को एक अस्थायी उपयोग-विशिष्ट पासपोर्ट जारी किया गया था. जो 5 अप्रैल 2023 से 4 अप्रैल 2025 तक वैध है. हालांकि, उन्होंने 10 साल के नियमित पासपोर्ट की मांग की है.

मार्च 2021 में, महबूबा मुफ्ती और उनकी 80 वर्षीय मां गुलशन नज़ीर को भी उनके खिलाफ ‘एडवर्स रिपोर्ट’ का हवाला देते हुए कथित तौर पर पासपोर्ट देने से मना कर दिया गया था.

99% आवेदनों को मंजूरी

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इल्तिजा के इन दावों का भी खंडन किया था कि अधिकांश कश्मीरियों के पासपोर्ट आवेदन ‘प्रतिकूल सूचनाओं’ पर खारिज किए जा रहे थे.

8 अप्रैल को जारी एक बयान में कहा गया है कि 2020 से अब तक पासपोर्ट कार्यालय द्वारा 99 प्रतिशत से अधिक आवेदनों को मंजूरी दे दी गई है.

आंकड़ों को साझा करते हुए, पुलिस ने दावा किया कि 2020 में, प्राप्त पासपोर्ट सत्यापन में से 99.95 प्रतिशत को मंजूरी दे दी गई थी – आंकड़े 2021 में 99.68 प्रतिशत और 2022 में 99.61 प्रतिशत पर समान रूप से आशाजनक थे.

पुलिस ने यह भी कहा कि पासपोर्ट जारी करने से पहले सुरक्षा सत्यापन एक ‘हाई वैल्यू पब्लिक सर्विस’ है.

इसमें आगे कहा गया कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पता लगाया था कि 2017-18 के दौरान 54 लड़कों को उचित वैरिफिकेशन के बिना पासपोर्ट जारी किए गए थे. ये लड़के पाकिस्तान गए, उन्हें आतंकवादी शिविरों में ले जाया गया. इन्हें हथियारों, गोला-बारूद और विस्फोटकों की ट्रेनिंग दी गयी और उनमें से कई को एलओसी के माध्यम से जम्मू-कश्मीर में वापस भेज दिया गया.

बयान में कहा गया है कि उनमें से 26 की मौत या तो क्रॉसिंग के दौरान या भीतरी इलाकों में मुठभेड़ों के दौरान हुई.

स्टेटमेंट में आगे कहा गया, “इनमें से 12 युवा लड़कों की पाकिस्तान से वापसी के बाद CID द्वारा उन्हें निवारक हिरासत में लाकर उनकी जान बचाई गई ताकि आतंकवादी-अलगाववादी सिंडिकेट उन पर आतंकी रैंकों में शामिल होने का दबाव बनाने में सफल न हों पाए. आखिरकार, सभी 12 लोगों को उनके परिवारों को सौंप दिया गया था.”

इसमें कहा गया कि “आज, वे जीवित हैं और खुशी से अपनी मां, बहनों, भाइयों, पिता और दोस्तों के बीच रहते हैं. दुर्भाग्य से, उनमें से 16 अभी भी उस पार हैं और शत्रुतापूर्ण एजेंसियों के नियंत्रण में शिविरों में फंसे हुए हैं.”

पुलिस ने आगे दावा किया है कि जांच से पुष्टि हुई है कि प्रत्येक मामले में, हुर्रियत के दल के एक या दूसरे नेता के इशारे पर पाकिस्तान के वीजा की व्यवस्था की गई थी.

बयान में कहा गया है कि सीआईडी कमजोर युवा व्यक्तियों के माता-पिता को मौत के जाल में फंसने से बचाने के लिए प्रतिबद्ध है. जम्मू-कश्मीर पुलिस 99% से अधिक (लोगों) के लिए सही एवं कानूनी तरीके से उनके लिए किया है ताकि सभी के हित में काम हो और जनता को इसका लाभ हो.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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